लखनऊ (ब्यूरो)। डॉ जेडी रावत के मुताबिक मैनपुरी निवासी विपन कुमार अपने एक दिन के बच्चे को लेकर 18 सितंबर को पहली बार केजीएमयू आये थे। बच्चे का जन्म सैफई मेडिकल कॉलेज में हुआ था। बच्चा बाइलिट्रल नेजल इंसेफलोसील नामक दुर्लभ बीमारी से ग्रसित था, जिसके कारण उसकी दोनों आंखों पर गोले जैसे उभरे हुए थे। इसे बढऩे से रोकने के लिए दवाएं दीं तथा कुछ समय बाद सर्जरी की सलाह दी गई। बच्चे को बीते 26 नवंबर को भर्ती करने के बाद 1 दिसबंर को उसकी सफल सर्जरी की गई। ऑपरेशन के बाद बच्चा स्वस्थ और काफी हद तक सामान्य है। सर्जरी करने वाली टीम में डॉ। निक्षेप त्यागी, सिस्टर वंदना, सिस्टर अंजू और एनस्थेटिक डॉ प्रेम राज सिंह शामिल रहे।

सर्जरी में आई कई दिक्कते
तीन माह के बच्चे की जटिल सर्जरी करने के दौरान कई तरह की समस्या सामने आईं। प्रो रावत के मुताबिक सर्जरी से पहले ऑप्थोमलॉजी और न्यूरो सर्जरी विभाग से भी सलाह ली गई जबकि सर्जरी से पहले एनेस्थीसिया देने में समस्या हो गई क्योंकि उभरा हिस्सा आंखों के ऊपर होने से मास्क लगाने में दिक्कत आ रही थी। इसके बाद आंख के नीचे कॉटन लगाने के बाद एनेस्थीसिया दिया गया। इसके बाद सबसे पहले उभरे हिस्से में निडल डालकर उसका फ्लुएड निकाला गया। इसके बाद चीरा लगाकर बारीकी से देखा गया। अच्छी बात यह थी कि दिमाग का कुछ हिस्सा ही बाहर आया था इसलिए उसे अंदर करके अतिरिक्त हिस्से को निकाल दिया गया। फॉलोअप के दौरान अगर जरूरत पड़ी तो प्लास्टिक सर्जरी करके बच्चे का चेहरा और भी सामान्य हो जाएगा।

प्रोटीन की कमी से होती है समस्या
प्रो जेडी रावत के अनुसार यह बीमारी 35 से 40 हजार बच्चों में से किसी एक को होती है। सिर के एक हिस्से वाले मामले आमतौर पर मिलते हैं, लेकिन दोनों हिस्सों वाला यह केस केजीएमयू का पहला मामला है। यह समस्या गर्भ के दौरान महिलाओं में प्रोटीन की कमी की वजह से होती है। प्रोटीन की वजह से फोलिक एसिड कम हो जाती है। इसकी वजह से बच्चे के दिमाग को ढकने वाली हड्डियां और बाकी हिस्सा नहीं बनने के कारण दिमाग के भीतर का फ्लुएड और उसका हिस्सा बाहर आने लगता है इसलिए महिलाओं को गर्भधारण के दौरान प्रोटीन और आयरन पर बराबर ध्यान देना चाहिए।