लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में हजारों बार हैं, जो देर-रात तक धड़ल्ले से चलते हैं। यहां शराब का सेवन करने वाले कई लोग इसके बाद शहर की सड़कों पर रैश ड्राइविंग भी करते हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि ट्रैफिक पुलिस ऐसे लोगों पर एक्शन नहीं लेती है। यह हम नहीं, ट्रैफिक पुलिस के आंकड़े ही बता रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, थाना पुलिस और ट्रैफिक पुलिस के पास कुल 188 ब्रेथ एनालाइजर हैं, जो सिर्फ शोपीस बनकर रह गए हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि पिछले 298 दिनों में सिर्फ 10 दिन ही इनका यूज किया गया है।

केस-1-अपै्रल 2023

आलमबाग के रामनगर में नशे में धुत तेज रफ्तार कार सवार ने मार्निंग वॉक पर निकले 60 वर्षीय दुकानदार को कुचल दिया था। हादसे में नवीन दत्त की मौके पर ही मौत हो गई थी। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया था।

केस-2-अक्टूबर 2023

हजरतगंज चौराहे पर स्थित गांधी प्रतिमा के पास दो कारों में मामूली टक्कर हो गई। एक कार सवार युवकों ने अल्टो सवार दो युवकों को नीचे उतारा और मारपीट करने लगे। पुलिस की जांच में कार चालक नशे में धुत पाए गए।

केस-3-अक्टूबर 2023

बाजारखाला के संजय नगर में देर रात जन्मदिन पर नशे में धुत युवक ने कार एक झोपड़ी में घुसेड़ दी। इस हादसे में 80 वर्षीय लीलावती की मौके पर ही मौत हो गई।

साल में सिर्फ 10 दिन चेकिंग

ट्रैफिक पुलिस के मुताबिक, विभाग के पास कुल 188 ब्रेथ एनालाइजर हैं। ये ब्रेथ एनालाइजर पुलिस थाना और ट्रैफिक पुलिस दोनों के पास हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल न के बराबर किया जा रहा है। जिससे आए दिन शहर की सड़कों पर नशे की हालत में एक्सीडेंट, रैश ड्राइविंग, स्टंट, हुड़दंगबाजी आम बात हो गई है।

नहीं चलाया जा रहा अभियान

ऐसे लोगों पर लगाम लगाना ट्रैफिक पुलिस की जिम्मेदारी है, पर ऐसा हो नहीं रहा है। जिसकी वजह से शहर में क्राइम भी तेजी से बढ़ रहा है। वहीं, नाम न बताने की शर्त पर ट्रैफिक पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि बार के बाहर ट्रैफिक पुलिस की तरफ से तभी ड्रिंक एंड ड्राइव का अभियान लगाया जाता है, जब उच्च अधिकारियों का आदेश आता है।

कोई रेगुलर गाइडलाइन नहीं

गोमतीनगर, विभूतिखंड, हजरतगंज, सुशांत गोल्फ सिटी समेत शहर के अलग-अलग हिस्सों में मॉडल शॉप, बार, पब आदि हैं। इसके अलावा भी कई स्थान ऐसे हैं जहां लोग शराब पीकर अपनी ही मस्ती में काफी स्पीड पर वाहन चलाते हैं। इसी साल 15 से 24 जून तक एक ड्रिंक एंड ड्राइव के खिलाफ अभियान चलाया गया था। इस दौरान 252 चालान काटे गए थे। सवाल यह है कि सिर्फ 10 दिन में ही इतने चालान काटे गए तो इस अभियान को आगे क्यों नहीं बढ़ाया गया। वहीं, ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी बताते हैं कि इसे लेकर कोई गाइडलाइन ही नहीं है। यही वजह है कि यह चेकिंग अन्य ट्रैफिक चेकिंग के मुकाबले काफी कम होती है।

इस दिन होता है जरूरी

बता दें कि फेस्टिव सीजन और वीकेंड पर ड्रिंक एंड ड्राइव के मामले राजधानी में बढ़ जाते हैं। इसे देखते हुए पुलिस को इन दिनों और सतर्क रहना चाहिए। डीसीपी ट्रैफिक हृदेश कुमार की मानें तो जरूरत पड़ने पर ड्रंक ड्राइविंग रोकने के लिए नाके लगाए जाते हैं, ताकि रैश ड्राइविंग करने वालों और शराब पीकर वाहन चलाने वालों को रोका जा सके।

यह भी जान लीजिए

शराब पीकर वाहन चलाते समय पकड़े जाने पर मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के सेक्शन 185 के तहत 10 हजार रुपये का जुर्माना या फिर छह महीने की जेल हो सकती है।

जरूरत पड़ने पर ड्रंक ड्राइविंग रोकने के लिए नाके लगाए जाते हैं, ताकि रैश ड्राइविंग करने वालों और शराब पीकर वाहन चलाने वालों को रोका जा सके।

हृदेश कुमार, डीसीपी ट्रैफिक