लखनऊ (ब्यूरो)। परिषद अध्यक्ष का यह भी कहना है कि कई बिजली खंडों में तो सालों से यह खेल किया जा रहा था। दूसरी ओर पावर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा ईआरपी सिस्टम से पावर कारपोरेशन द्वारा जारी स्टॉक इश्यू रेट को हटा लिया गया है। उपभोक्ता परिषद ने जब कास्ट डाटा बुक के विपरीत स्टॉक इश्यू रेट को अपलोड करने के संबंध में जानकारी की तो पता चला की पावर कारपोरेशन आईटी विंग चलाने वाला जो कंसलटेंट है, उसको पावर कारपोरेशन के आईटी विंग से एक ईमेल भेजा गया था। जिसके बाद कॉस्ट डाटा बुक के विपरीत स्टॉक इश्यू रेट को अपलोड किया गया। इसकी जानकारी उपभोक्ता परिषद ने पावर कारपोरेशन प्रबंधन को दे दी है।

पहले से ही बनाया जा रहा है एस्टीमेट
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहाकि मामला गंभीर है। प्रदेश के अनेकों बिजली खंडों में 25 जून 2022 के पहले भी कॉस्ट डाटा बुक के विपरीत स्टॉक इश्यू रेट से उपभोक्ताओं का एस्टीमेट बनाया गया है। पावर कारपोरेशन प्रबंधन को सुनिश्चित करना चाहिए कि डेटा बुक के विपरीत किस डेट से वसूली की गई है, जिससे उसकी वापसी उपभोक्ताओं को दिलाई जा सके। उपभोक्ता परिषद की पूरी टीम छानबीन कर रही है। जल्द पूरे मामले पर एक विस्तृत रिपोर्ट भी आयोग के सामने प्रस्तुत की जाएगी।

फिर क्यों हुआ उल्लंघन
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने पुरजोर मांग उठाते हुए कहा है कि बिजली कंपनियों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए की पावर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा जब 24 अगस्त 2020 में सभी बिजली कंपनियों को यह निर्देश जारी किए गए थे की कास्ट डाटा बुक के आधार पर ही उपभोक्ताओं के एस्टीमेट बनाए जाएं फिर उसका उल्लंघन क्यों हुआ।
यह है मामला
हाल में ही मामला प्रकाश में आया था कि नए कनेक्शन के लिए आवेदन करने वाले उपभोक्ताओं का एस्टीमेट कास्ट डेटा बुक के आधार पर न बनाकर स्टॉक इश्यू रेट के आधार पर बनाया जा रहा है। जिससे एस्टीमेट कास्ट 35 प्रतिशत तक बढ़ गई है। उपभोक्ता परिषद ने स्पष्ट किया था कि पूरे प्रदेश में करीब 100 करोड़ का खेल हुआ है। ऐसे में उपभोक्ताओं को अतिरिक्त धनराशि वापस की जानी चाहिए। इस मामले को नियामक आयोग ने भी गंभीरता से लिया और आनन-फानन में निर्देश दिए कि कास्ट डेटा बुक के आधार पर ही उपभोक्ताओं का एस्टीमेट बनाया जाए साथ ही ऐसे अभियंताओं को भी चिन्हित किया जाए, जिन्होंने नियमों के विपरीत एस्टीमेट बनाए हैं।