लखनऊ (ब्यूरो)। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का असर समय के साथ-साथ अब समाज पर भी दिखाई देने लगा है। लोग समझने लगे हैं कि बदलते सामाजिक परिवेश में बेटी और बेटे में कोई अंतर नहीं है। यही कारण है कि नि:संतान दंपति अब अपनी गोद भरने के लिए लड़कों से ज्यादा लड़कियों को गोद ले रहे हैं। जी हां, यह सकारात्मक संकेत चाइल्ड एडॉप्शन रिसोर्स अथारिटी की ओर से जारी किए गए हालियां आंकड़ों से सामने आया है। इन आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020-21 में जितने भी बच्चे प्रदेश में गोद लिए गए हैं, उनमें से 63.45 फीसद बच्चियां हैं। वहीं 2021-22 में अब तक गोद लिए गए बच्चों में 58 फीसद बेटियां हैं।

बड़ा बदलाव आ रहा सामने

चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की सदस्य संध्या मिश्रा ने बताया कि एडॉप्शन प्रक्रिया लंबी होती है। अब प्रक्रिया ऑनलाइन होने से यह कुछ कड़ा भी हो गया है। पहले जो दंपति बच्चा गोद लेने आते थे, उनमें से अधिकतर की पसंद लड़का ही होता था। अब बीते तीन-चार सालों से यह ट्रेंड बदल गया है। गोद लेने वाले अब लड़कियों की तलाश करते हैं। यह जागरूकता समय के साथ आई है। लोग अब समझने लगे हैं कि लड़के और लड़की में कोई अंतर नहीं है। नई जनरेशन में आ रहा यह बदलाव सराहनीय है।

प्रदेश में गोद लिए गए बच्चे

वर्ष 2020-21

कुल बच्चे- 197

लड़कियां- 125

लड़के- 72

प्रदेश में गोद लिए गए बच्चे

वर्ष 2021-22

कुल बच्चे- 174

लड़कियां- 101

लड़के- 73

प्रदेश में गोद लिए गए बच्चे प्रतिशत में

वर्ष 2020-21

लड़कियां- 63.45

लड़के- 36.55

प्रदेश में गोद लिए गए बच्चे प्रतिशत में

वर्ष 2021-22

लड़कियां- 58

लड़के- 42

लड़कियों को अधिक गोद लेने का कारण

- जिन नवजात बच्चों को छोड़ा जाता है, उसमें अधिकतर लड़कियां होती हैं।

- छोड़े गए 10 बच्चों में से करीब 9 लड़कियां ही होती हैं।

- छोड़ी गई बच्चियों का सहारा बनने के लिए लोग उन्हें अधिक गोद लेते हैं।

- बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ अभियान से समाज में जागरुकता आ रही है।

लोग पहले के मुकाबले अधिक जागरूक हो गए हैं। अब लड़के और लड़की के बीच का भेद भी समाज में कम हो रहा है। यही कारण है कि बच्चियों को गोद लेने के लिए लोग अधिक संख्या में सामने आ रहे हैं।

-संध्या मिश्रा, सदस्य चाइल्ड वेलफेयर कमेटी