-जिला कोषागार में रखीं बाबा की वस्तुओं को सूचीबद्ध करने एवं उनकी फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी का काम शुरू

- पहले दिन खुले तीन संदूक, कुल 24 संदूकों में संरक्षित हैं बाबा की वस्तुएं

FAIZABAD (26 Feb): तीन दशक से जिला कोषागार में रखी गुमनामी बाबा की वस्तुएं खराब होने की आशंका निर्मूल साबित हुई और बाबा के 24 संदूकों में से शुक्रवार को जो तीन संदूक खोले गए उनसे बरामद वस्तुएं तकरीबन सही-सलामत मिलीं। पहले संदूक में तो बाबा की वस्तुओं की वे तस्वीरें एवं वीडियो रिकार्डिंग की प्रति थी, जिसे हाईकोर्ट के आदेश पर तैयार कराया गया था। दूसरे संदूक में बाबा के प्रयोग में आने वाली आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और कुछ एलोपैथिक दवाएं, सिगरेट का पाइप, ऐश ट्रे, टूथ ब्रश, मैग्नेट आदि संरक्षित थे। जबकि शुक्रवार को खले गए तीसरे संदूक में बंगला भाषा की करीब दर्जन भर पुस्तकें, सनातम शास्त्रम नाम कीे ¨हदी की पुस्तक, ¨हदी-इंग्लिश डिक्शनरी, रुद्राक्ष के दाने, शिव¨लग जैसी वस्तुएं बरामद हुईं। हालांकि 10 सदस्यीय प्रशासकीय समिति की निगरानी का उद्देश्य यह देखना नहीं था कि इन संदूकों में क्या है बल्कि यह प्रक्रिया हाईकोर्ट के उस आदेश के क्रियांवयन में संचालित है, जिसमें बाबा की वस्तुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए उन्हें राजकीय संग्रहालय में संरक्षित-प्रदर्शित किया जाना है। इसी क्रम में शुक्रवार को बाबा की वस्तुएं सूचीबद्ध करने एवं उनकी ताजा तस्वीरें लेने तथा वीडियोग्राफी का काम शुरू किया गया। पूर्वाह्न से शुरू यह प्रक्रिया शाम पांच बजे तक चली। इस दौरान एडीएम सिटी आरएन शर्मा, एसपी सिटी संकल्प शर्मा सहित प्रशासनिक समिति के सभी 10 सदस्य एवं इसी समिति में नामित गुमनामी बाबा कच् सच्चाई सामने लाने की मुहिम चला रहे सुभाषचंद्र बोस राष्ट्रीय विचार केंद्र के अध्यक्ष शक्ति सिंह मौजूद रहे। समझा जाता है कि यह प्रक्रिया पूर्ण करने में 10 से 15 दिन का समय लग सकता है।

31 मार्च के पूर्व संग्रहालय में प्रदर्शित हो जाएंगी वस्तुएं

कोषागार में कुछ देर के लिए पहुंचे जिलाधिकारी योगेश्वरराम मिश्र ने बताया कि बाबा की वस्तुएं सूचीबद्ध करने एवं उनकी फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी कराए जाने के बाद इनमें से चयनित वस्तुओं को अयोध्या सथित रामकथा संग्रहालय में ले जाए जाने का काम शुरू हो जाएगा। इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से गठित विशेषज्ञों की समिति यह तय करेगी कि कौन सी वस्तुएं संगहालय में प्रदर्शित करने लायक हैं और उन्हें या बाकी वस्तुएं को किस तरह लंबे समय के लिए सुरक्षित किया जा सकता है। जिलाधिकारी उम्मीद जताई कि 31 मार्च तक यह प्रक्रिया निश्चित रूप से पूर्ण कर ली जाएगी। सहित गुमनामी बाबा च्ी सच्चाई के प्रति उत्सुक कतिपय अधिकारी सुखद आश्चर्य में पड़ गए कि लंबे समय से संदूक में बंद वस्तुएं सही-सलामत हैं।