- फैजाबाद में बिताए 53 साल

LUCKNOW: कोषागार के डबल लॉक में रखे सीलबंद बक्से जैसे-जैसे खुल रहे हैं, गुमनामी बाबा का रहस्य गहराता जा रहा है। अभी तक निकली वस्तुओं से उनकी जीवन शैली का अंदाजा लगाना आसान नहीं होगा। सामग्री में दो समाचार पत्र ऐसे मिले हैं, जिनमें डॉ। राजेंद्र प्रसाद व स्वामी विवेकानंद की फोटो ¨प्रट है। यह समाचार पत्र वर्ष 1963 का है, जिससे यह अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है कि उन्होंने फैजाबाद में कम से कम 53 साल तो बिताए ही होंगे।

राम भवन में ली अंतिम सांस

गुमनामी बाबा ने अयोध्या के तुलसीनगर मोहल्ला स्थित लखनउवा अहाता मंदिर में कई साल गुमनामी के तौर पर बिताए। उनको लेकर यहां काफी सुगबुगाहट होने लगी, यहां तक कि कई लोगों ने उन्हें रहस्यमय व्यक्ति बताते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक से शिकायत तक की थी। इसी के बाद उन्होंने अपना डेरा यहां से हटा कर सिविल लाइंस स्थित रामभवन में आसरा लिया। रामभवन में करीब ढाई साल बिताने के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली थी। उनकी मृत्यु के बाद ही 1986 में यहां रखी वस्तुओं को हटाया गया और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ये सामान कोषागार के डबल लॉक में रखा गया।

रहस्य की बात तो यह है कि अभी तक बक्से सिल्क की साडि़यां, जनानी व मर्दानी धोतियां, पेटीकोट, ब्लाउज, कुर्ते, चादर, बेडशीट, पीतल के छह कलछुल, फूल के गिलास, प्लेट, छन्नी व फ्राई पान बक्सों से निकाले गए हैं। ये कभी इस्तेमाल में नहीं लाए गए। एक, दो, पांच व दस रुपए की नई करेंसी नोटों की गड्डियां हैं। सिगरेट के लाइटर, तंबाकू, सिगरेट, विदेशी शराब की तीन बोतलें भी हैं। शराब की बोतलें थोड़ी-थोड़ी खाली भी हैं। जड़ी-बूटी व यौन रोगों की किताब भी है। अभी और भी सामग्री सामने आएगी, जिससे स्थित कुछ तो साफ होगी।

अब शुक्रवार को खुलेंगे बक्से

गुमनामी बाबा की सामग्री की पेटियां अब शुक्रवार से फिर खुलेंगी। विधान परिषद चुनाव का मतदान व प्रशासनिक अधिकारियों की व्यस्तता होने के कारण बुधवार को ये बक्से नहीं खोले जा सके। गुरुवार को भी यही स्थिति रहेगी।