वाराणसी (ब्यूरो)। ज्ञानवापी परिसर स्थित वुजूखाने में गंदगी करने और नेताओं की बयानबाजी को लेकर लंबित मामले में मंगलवार को एसीजेएम पंचम (एमपी-एमएलए कोर्ट) उज्ज्वल उपाध्याय की अदालत में कोर्ट के आदेश पर वादी अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने लिखित रूप में अपना पक्ष दाखिल किया। उन्होंने सपा नेता आजम खां के Óहेट स्पीचÓÓ मामले का हवाला देते हुए कोर्ट द्वारा उन्हें दोषी करार देने और तीन साल की सजा का उल्लेख भी इसमें किया है। अदालत ने आदेश सुरक्षित रखते हुए अगली सुनवाई के लिए 15 नवंबर की तिथि नियत कर दी.
केस दर्ज करने की मांग
अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने कोर्ट में प्रार्थनापत्र देकर आरोप लगाया है कि ज्ञानवापी परिसर में नमाजियों द्वारा वुजूखाने में हाथ-पैर धोने के साथ गंदगी फैलाई जाती है, जबकि वह हमारे आराध्य भगवान शिव का स्थान है। इसके साथ ही सर्वे में मिली शिवङ्क्षलगनुमा आकृति को लेकर एआइएमआइएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आदि ने बयान देकर ङ्क्षहदुओं की भावनाओं पर कुठाराघात किया है। अधिवक्ता ने इस मामले में ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन इंतेजामिया मजालिस के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल वाकी, मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी, कमेटी के संयुक्त सचिव सैय्यद मोहम्मद यासीन और बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है। अधिवक्ता द्वारा चौक पुलिस से इसकी शिकायत की जा चुकी है। वादी ने सभी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है.
पूजा के अधिकार मामले में सुनवाई 14 को
सिविल जज (सीनियर डिवीजन) फास्ट ट्रैक कोर्ट महेंद्र कुमार पांडेय के अवकाश पर होने के कारण ज्ञानवापी परिसर में कमीशन कार्यवाही में मिली शिवङ्क्षलगनुमा आकृति की पूजा के अधिकार वाली याचिका की ग्राह्यता (सुनवाई योग्य है अथवा नहीं) पर आदेश नहीं आ सका। इसके चलते अगली तारीख 14 नवंबर निर्धारित की गई है.
ज्ञानवापी परिसर में एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के बाद विश्व वैदिक सनातन संघ की ओर से किरन ङ्क्षसह विसेन ने याचिका दायर की थी। सिविल जज (सीनियर डिवीजन) फास्ट ट्रैक कोर्ट में तीन मांगों के साथ किरन ङ्क्षसह ने अपना पक्ष रखा था। इसमें तत्काल तौर पर स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की पूजा करने की अनुमति देने, ज्ञानवापी परिसर को ङ्क्षहदुओं को सौंपने व मुस्लिमों का ज्ञानवापी परिसर में प्रवेश प्रतिबंधित करने की मांग की गई थी। इस मामले में प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से प्रकरण सुनने योग्य न मानते हुए कोर्ट से इस याचिका को निरस्त करने की मांग की गई है.