- जोमेटो, गैस एजेंसी, ऑटो मोबाइल एजेंसी समेत कई कंपनियों के नाम से हो रहे ऑनलाइन फ्राड

- कैसे चलता है पूरा खेल, दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की खास रिपोर्ट

LUCKNOW: गूगल अगर हर मर्ज की दवा है तो इसमें की गई असावधानी आपको नुकसान भी पहुंचा सकती है। ठगों की पूरी जमात यहां आपको हर वक्त नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार बैठी है। ऑनलाइन फ्राड के बढ़ते मामले कुछ इसी ओर इशारा कर रहे हैं। अब तो ठग फूड सप्लाई कंपनी और पब्लिक सर्विस से जुड़ी अन्य सेवाओं की फर्जी साइट बनाकर भी लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। इन वेबसाइट के जाल में फंसकर लोग अपनी डिटेल उन्हें दे देते हैं और फिर ठगी का शिकार हो जाते हैं।

ऐसे होते हैं ठगी का शिकार

पब्लिक सर्विस की फर्जी वेबसाइट पर क्लिक करते ही एक पेज जो खुद क्रिएट किया जाता है, खुलता है। उस पेज में दोबारा लॉगइन करने को कहा जाता है। लॉगइन के साथ आप से नाम और पर्सनल जानकारी मांगी जाती है। इसके बाद संबंधी डिटेल देकर ऑनलाइन रकम वापस लेने या रकम भेजने का लिंक दिया जाता है। जैसे ही आप अपने बैंक का रजिस्टर्ड नंबर उस लिंक पर बताए गए मोबाइल नंबर पर फॉरवर्ड करते हैं, वैसी ही आप के खाते की डिटेल दिए गए मोबाइल नंबर से हासिल कर ठग खाते से रकम उड़ा देते हैं।

बैंक से नहीं आता मैसेज

इस पूरे खेल की खास बात यह है कि बैंक डिटेल भरते समय एक ओटीपी भी आता है, लेकिन बैंक से किसी तरह का मैसेज नहीं आता है। जबकि साइबर ठग आसानी से आपका खाता साफ कर देते हैं।

इस एप को न करें डाउनलोड

फेक वेबसाइट पर दिए गए नंबर से कॉलर आपको तत्काल भुगतान और दो तरह के एप डाउनलोड करने को कहता है। जैसे ही आप इन एप को डाउनलोड करते हैं, वैसे ही बैंक से आपका मोबाइल नंबर एप के जरिए कॉलर रिमोट पर ले लेता है और खाते से पैसा ट्रांसफर कर लेता है।

कैसे पहचानें असली साइट

किसी भी सरकारी व पब्लिक सर्विस वेबसाइट के असली-नकली की पहचान उसके वेब पेज से नहीं यूआरएल से की जाती है। जिस यूआरएल में लॉक (ताले) की इमेज होती है, वहीं असली वेबसाइट होती है।

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यह हैं दोनों एप

एनी डेस्क - यह एप डाउनलोड करते ही आप का रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर कॉलर रिमोड पर ले सकता है।

टीम व्यूवर - इस एप का मतलब ही है कि कॉलर एप का लिंक भेजता है और लिंक ओपन करते ही सारी डिटेल कॉलर तक पहुंच जाती है।

कौन सा गैंग कर रहा फ्राड

इस तरह के फ्राड बिहार के जमाताड़ा, गिरीडी और वेस्ट बंगाल में बैठे साइबर क्रिमिनल कर रहे हैं। साइबर फ्राड की जड़ तक पुलिस पहुंच गई है लेकिन उनकी कोई पहचान न होने के चलते गिरफ्तारी नहीं हो पाती है। यह हमेशा फेक सिम से फ्राड करते हैं।

ये हुए ठगी का शिकार

केस नंबर 1

राजाजीपुरम निवासी यश का रेस्टोरेंट है। इन्होंने जोमेटो से रजिस्ट्रेशन कराने के लिए ऑनलाइन वेबसाइट पर क्लिक किया था। जिसमें एक पेज खुला और उसमें दिए नंबर से यश की बात हुई। बात करने वाले ने ऑनलाइन डिटेल मांगी और अकाउंट से 14 हजार रुपये उड़ा दिए।

केस नंबर 2

जेजे बेकर्स के नंबर पर एक कॉल आई। कॉल करने वाले ने उनसे कई सामान खरीदे और यूपीआई से पेमेंट करने के लिए कहा और भुगतान भी किया। भुगतान के दौरान उसने रजिस्टर्ड नंबर पर एक लिंक भेजा बेकर्स ने जैसे ही उस लिंक पर क्लिक किया, उनके खाते से मोटी रकम साफ हो गई।

केस नंबर 3

स्प्रू मार्ग स्थित टीवीएस एजेंसी के फर्जी वेबसाइट पेज पर एक आर्मी मैन ने क्लिक किया। उसने गाड़ी की सर्विस संबंधित डिटेल के लिए वेबसाइट सर्च की थी। वेबसाइट पर मिले नंबर पर बात की तो कॉलर ने कहा आप रजिस्ट्रेशन कराएं तो सर्विस के लिए पहला नंबर मिलेगा। जैसे ही कॉलर की पूछी गई डिटेल आर्मी मैन ने बताई कुछ देर बाद उसके खाते से पैसा पार हो गया।

केस नंबर 4

गोमती नगर निवासी रवि दुआ ने कुछ दिन पूर्व जोमेटो पर एक ऑर्डर दिया। आर्डर कैंसिल होने पर उन्होंने पेमेंट के भुगतान के लिए जोमेटो की वेबसाइट सर्च की। यहां मिले नंबर पर उन्होंने जब कॉल की तो कॉलर ने तुरंत भुगतान का आश्वासन दे डिटेल के लिए एक लिंक उनके यूपीएन में रजिस्टर्ड मोबाइल पर भेजा और उनसे इस लिंक को फारवर्ड करने को कहा। रवि ने जैसे ही लिंक फारवर्ड किया उनके खाते से 24 हजार रुपए निकाल लिए गए।

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क्या क्या रखें सावधानी

- गुगल पर वेबसाइट सर्च करते समय असली-नकली की पहचान जरूर करें

- वेबसाइट पर दिए नंबर से कॉलर आप की डिटेल या नंबर पूछता है तो शेयर न करें

- न कोई लिंक क्लिक करें और न ही ओटीपी शेयर करें

कोट

कैश ट्रांजेक्शन के दौरान फेक वेबसाइट से ठगी के मामले सामने आ रहे हैं। लोग बिना जाने इन पर अपनी डिटेल अपलोड कर देते हैं। साइबर क्रिमिनल डिटेल मिलते ही लोगों को ठगी का शिकार बना लेते हैं। आप आसानी से वेबसाइट के असली या नकली होने की जांच कर सकते हैं।

अभय कुमार मिश्र, सीओ साइबर सेल प्रभारी