लखनऊ (ब्यूरो)। अस्पताल में मरीजों को ओपीडी में दिखाने से लेकर जांच कराने और रिपोर्ट हासिल करने तक में संघर्ष करना पड़ता है। वे घंटों लाइन में लगकर अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं। मरीज किसी तरह डॉक्टर को दिखा तो लेता है, पर जांच के लिए लंबी लाइन और वेटिंग से दो-चार होना पड़ता है। राजधानी के केजीएमयू, लेाहिया, सिविल व बलरामपुर जैसे बड़े सरकारी अस्पतालों में कई मशीनें महीनों से खराब पड़ी हैं या अब तक लग ही नहीं पाई हैं। कुछ जगहों पर आलम यह है कि मशीन होने के बावजूद जांच करने वाले टेक्नीशियन नहीं हैं। ऐसे में, मरीजों को बाहर से महंगी जांच करवानी पड़ती है, जिससे उनपर आर्थिक बोझ पड़़ता है। राजधानी में 122 स्थाई टेक्नीशियन के पद हैं, जिसमें करीब 10-15 पद खाली हैं। ऐसे में, इन अस्पतालों में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है।

सिविल अस्पताल

एंजियोग्राफी की सुविधा नहीं

सिविल अस्पताल में रोजाना 150 से 200 नए से पुराने मरीज यहां की कार्डियोलॉजी ओपीडी में दिखाने आते हैं, जिसमें 15-20 मरीजों को रोजाना दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया जाता है क्योंकि यहां पर एंजियोग्राफी की कोई व्यवस्था ही नहीं है। यहां के कार्डियोलाजी विभाग की कैथ लैब में ट्रेडमिल टेस्ट यानि टीएमटी और एंजियोग्राफी 2018 से बंद पड़ी है। इसके लिए शासन को कई पत्र भी लिखे गए, लेकिन अबतक जरूरी मशीनें नहीं आ सकी हैं और न ही जांच हो रही है। यहां डिजिटल एक्सरे मशीन भी खराब पड़ी है। इसके अलावा एक्स-रे, सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड के लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ता है।

बलरामपुर अस्पताल

इंफ्रास्ट्रक्चर का बुरा हाल

बलरामपुर अस्पताल का हाल और बुरा है। ऑक्सीजन प्लांट के मेंटेनेंस से लेकर कई जांचें ठप पड़ी हुई हैं। वहीं, कान की जांच मशीन बीते दो-तीन हफ्ते से बंद पड़ी है क्योंकि मशीन खराब हो गई है। यहां पर 3 एक्स-रे मशीन, 1 सीटी स्कैन और 3 अल्ट्रासाउंड मशीन हैं, जहां रोजाना 250-300 जांचें होती हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत अल्ट्रासाउंड कराने में है, जहां 3-4 दिनों तक की वेटिंग चल रही है, जबकि रोजाना 30-45 तक जांचें हो रही हैं। यहां एमआरआई मशीन ही नहीं है। ऐसे में, मरीजों को बाहर से महंगी जांच कराने पर मजबूर होना पड़ता है। इसके अलावा चार डायलिसिस मशीन कंडम हो चुकी हैं, जिसकी वजह से मरीजों की वेटिंग बढ़ गई है। कई मरीज बाहर से डायलिसिस कराने को मजबूर हैं।

केजीएमयू

कई मशीनें खराब पड़ी हैं

केजीएमयू के कई विभागों में जांच मशीनें खराब पड़ी हैं, जिसकी वजह से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मशीनों को ठीक करने या नई मशीन लाने को लेकर कई बार लिखा भी जा चुका है, लेकिन अभी तक उन्हें दुरुस्त नहीं करवाया जा सका है। यूरोलाजी विभाग में लिथोट्रिप्सी की मशीन अक्टूबर 2021 से खराब पड़ी है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप माडल पर नई मशीन के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हो गए। पर अब तक मशीन नहीं खरीदी जा सकी है। इसके अलावा मानसिक विभाग में इलेक्ट्रो इंसेफेलोग्राम की मशीन, फिजियोलाजी विभाग में सुनने की जांच के लिए मशीन आदि कई माह से खराब पड़ी हैं। वहीं, सर्जरी में भी लंबी वेटिंग चल रही है। सुपर स्पेशलिटी में हाल और खराब हैं। कैंसर मरीजों को सर्जरी के लिए दो माह से अधिक का इंतजार करना पड़ रहा है। गैस्ट्रो व न्यूरो सर्जरी में दो माह और सीटीवीएस में डेढ़ माह की वेटिंग चल रही है। ऐसे में कैंसर और दिल के मरीजों के लिए एक-एक दिन भारी पड़ रहा है।

लोहिया संस्थान

एमआरआई के लिए लंबी वेटिंग

लोहिया संस्थान में भी जांच के लिए मरीजों को लंबी जद्दोजहद करनी पड़ती है। यहां 2 एमआरआई और 2 सीटी स्कैन मशीनें हैं। यहां रोजाना 3-4 हजार तक मरीज दिखाने के लिए आते हैं और 250 से अधिक एक्स-रे, 50 से अधिक सीटी स्कैन और 40 से अधिक एमआरआई जांचें की जाती है। ऐसे में, जांच के लिए लंबी लाइन और वेटिंग चल रही है। खासतौर पर एमआरआई के लिए लंबी वेटिंग चल रही है। वहीं, कैंसर ऑपरेशन के लिए 100 से अधिक लोग वेटिंग में है, जबकि गैस्ट्रो सर्जरी में एक माह, न्यूरो सर्जरी में एक माह और सीटीवीएस में तो चार महीने की वेटिंग चल रही है। मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण विभाग वेटिंग कम नहीं कर पा रहे है, जबकि रोजाना 4-5 सर्जरी की जा रही है।

क्या बोले मरीज

-डॉक्टर ने एक्स-रे लिखा है। जांच कराने के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता है, जिससे बड़ी दिक्कत होती है।

- छाया

-न्यूरो की समस्या है। डॉक्टर ने एमआरआई के लिए लिखा है। पर मशीन न होने के कारण बाहर से कराना पड़ रहा है।

- रमेश कुमार

-डॉक्टर को दिखाने के बाद जांच के लिए लंबी लाइन लगानी पड़ती है। देर हो जाये तो अगले दिन दोबारा आना पड़ता है।

- मेहरूनिशा

क्या बोले जिम्मेदार

-कैथ लैब के लिए शासन को लिखा गया है। जल्द ही लैब शुरू होने की उम्मीद है। एक्स-रे आदि जांच समय पर की जा रही है।

- डॉ। आरपी सिंह, सीएमएस, सिविल अस्पताल

-डायलिसिस की नई मशीन के लिए डीजी को लिखा गया है। अगर कोई जांच बंद है तो उसकी जानकारी लेकर उसे दोबारा शुरू कराया जायेगा।

- डॉ। जीपी सिंह, सीएमएस, बलरामपुर अस्पताल

-संस्थान में मशीन जल्द लगने वाली है। सर्जरी में पेशेंट का लोड है, पर प्राथमिकता के आधार पर इमरजेंसी सर्जरी की जा रही है।

- डॉ। सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू

-संस्थान में मरीजों की संख्या काफी है, जिसकी वजह से जांच व सर्जरी में वेटिंग है। पर प्राथमिकता के आधार पर काम किया जा रहा है। नई मशीन के लिए प्रस्ताव भेजा गया है।

- डॉ। विक्रम सिंह, एमएस, लोहिया संस्थान