- पीजीआई में अपने कर्मियों को दवाएं न मिलने धरने पर बैठे सहयोगी कर्मचारी

- घबराये मरीज घरवालों से मदद मांग रहे

LUCKNOW: सरकार के तमाम दावों के बाद भी राजधानी के कोविड अस्पतालों में दवाओं का संकट दूर नहीं हो रहा है। आलम यह है कि अस्पताल प्रशासन तीमारदारों से बाहर से दवा लाने के लिए बोल रहा है। कई भर्ती मरीजों को दवाएं और इंजेक्शन तक नहीं मिल पा रहा है, जिसके चलते मरीजों की तबियत बिगड़ने से सांसें उखड़ रही हैं। ऐसे में कई मरीजों की जान पर बन आयी है, लेकिन इन मरीजों की सुनने वाला कोई नहीं है। डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी इनकी एक नहीं सुन नहीं रहे हैं। बेबस मरीज घरवालों और परिचितों को फोन कर मदद मांग रहे हैं। यह हाल पीजीआई, केजीएमयू और बलरामपुर समेत अन्य सभी कोविड अस्पतालों का है जबकि पीजीआई में भर्ती अपने ही कर्मचारियों को कई दिन से दवाएं नहीं मिलने पर शुक्रवार को संस्थान के कर्मचारी भड़क गए और धरने पर बैठ गए।

तीमारदार खरीदकर दवाई दे रहें

केजीएमयू में भर्ती एक मरीज ने बताया कि उसके पॉजिटिव पिता को कोविड अस्पताल में दवाई और इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं। पिता की तबियत बिगड़ रही है। डायबिटीज और अन्य जरूरी दवाएं बाहर से खरीदकर देनी पड़ रही है। दवा की कमी की शिकायत के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ऐसे में आखिर जायें तो जायें कहां पर।

ऑक्सीजन तक मिलने में दिक्कतें

बलरामपुर में भर्ती राजाजीपुरम के युवक का ऑक्सीजन स्तर 52 के करीब पहुंच गया है। वह गुरुवार रात को चीखता रहा कि उसे ऑक्सीजन लगी होने के बावजूद सांस लेने में तकलीफ है। इसके बावजूद उसकी मदद के लिए कोई नहीं पहुंचा जबकि बलरामपुर अस्पताल को छह दिन पहले ही कोविड अस्पताल बनाया गया है। अधिकारी तमाम दावा करते हैं कि उनके यहां व्यवस्था पूरी तरह से चौक चौबंध है। वो भी तब जब यहां पर सभी बेड आईसीयू के हैं, लेकिन मरीजों को ऑक्सीजन मिलने में दिक्कत आ रही है। बेहाल मरीजों की सुनने वाला कोई नहीं है।

नाराज हो उठे कर्मचारी

वहीं पीजीआई कोविड अस्पताल में भी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। नर्सिंग अध्यक्ष सीमा शुक्ला ने बताया कि यहां ड्यूटी कर रहे कर्मचरियों को तबियत खराब होने पर दवा तक नहीं मिल रही है। ऐसे में कर्मचारी किस तरह से काम करेंगे। इसको लेकर सभी लोगों ने निदेशक का घेराव किया। उनका कहना है कि इसको लेकर शनिवार को मीटिंग करेंगी और जरूरत पड़ने पर एक हफ्ते बाद काम को ठप कर दिया जाएगा।

कोट

इलाज से संबंधित सभी दवाएं आ चुकी हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन भी आ चुके हैं, जहां जरूरत हैं वहां दवा भेजी जा रही है।

। डॉ। डीएस नेगी, महानिदेशक चिकित्सा