- वाहन समन्वय साफ्वेयर के जरिए तीसरे फेज में 20 लोगों को मिले चोरी हुए व्हीकल

- अब तक कुल 67 लावारिस व्हीकल तलाश चुका डीसीआरबी

- एसएसपी ने हजार नगद और प्रशस्ति पत्र देकर किया सम्मानित

LUCKNOW: किसी की शादी तोहफा तो किसी के पति की निशानी वर्षो बाद मिली तो उन्हें चेहरे खिल गए। एसएसपी के निर्देश पर शहर के थानों में खड़े लावारिस वाहनों के असली मालिकों के पता लगा उन्हें उनके वाहन पास करने का अभियान चलाया जा रहा है। रविवार को अभियान के तीसरे फेज में बीस लावारिस वाहनों को उनके मालिकों तक सुपुर्द किया गया। जिसकी शहर के अलग-अलग थाना क्षेत्र से चोरी हुई थी और दूसरे इलाकों में लावारिस रुप में बरामद हुई थी। इस मौके पर एसएसपी ने डीसीआरबी की टीम को नगद और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया।

राजधानी से हर साल चोरी होते है क्ख् सौ वाहन

लखनऊ पुलिस की डीसीआरबी विंग के अनुसार हर वर्ष करीब एक हजार से क्ख् सौ व्हीकल चोरी होने की रिपोर्ट शहर के अलग-अलग थाने में दर्ज कराई जाती है। जिसमें ज्यादातर मामले में इंजन और चेचिस नंबर का जिक्र नहीं होता है। चोरी गई गाडि़यां कई बार लावारिस हालत में मिल जाती है और संबंधित थाना उन्हें लावारिस में दाखिल कर देता है। विवेचक भी लावारिस वाहनों के इंजन और चेचिस नंबर की तफ्तीश में सक्रियता नहीं दिखाते है जिससे चलते असली मालिक का पता लगान मुश्किल हो जाता है। सबसे ज्यादा वाहन चोरी केस हजरतगंज, गाजीपुर, गोमती नगर और नाका थाने में दर्ज होती है।

वाहन समन्वय साफ्वेयर से तलाशे गए असली मालिक

डीसीआरबी ने अब तक थानों में खड़े म्7 लावारिस वाहनों को वाहन समन्वय साफ्वेयर से असली मालिकों का पता लगाया और उन्हें उनकी गायब हुई गाडि़यां भी सौंपी। अब तक कुल ब्7क् लावारिस गाडि़यों को डीसीआरबी ने ट्रेस किया है। जिनके इंजन और चेचिस नंबर पर असली मालिक का पता लगाया जा रहा है। इससे पहले ब् जुलाई को क्9 लावारिस वाहन, ब् अगस्त को ख्8 लावारिस वाहनों को उनके असली मालिकों को सुपुर्द किया गया था।

तीस प्रतिशत लोग ले चुके है क्लेम

किसी ने मेहनत की कमाई से दो पहिया वाहन खरीदा था तो किसी को शादी का तोहफा मिला था। जरा सी लापरवाही के चलते उन्हें वाहनों को चोर उड़ा ले गए थे। एफआईआर दर्ज कराने के बाद उन लोगों ने अपने चोरी गए वाहनों के मिलने की उम्मीद भी छोड़ दी थी। कई तो ऐसे भी थे जिन्होंने अपने व्हीकल का क्लेम तक ले लिया है। रविवार को पुलिस लाइन में उन्हें बुलाकर जब उनके वर्षो पहले गायब हो चुके व्हीकल मिले तो उनका चेहरा खिल गया। इटौंजा की रीता मिश्रा के पति ख्क् मई ख्0क्भ् में हत्या हो चुकी है। पति की बाइक हत्या से चंद दिनों पहले चोरी गई हो गई थी। डेढ़ वर्ष बाद उन्हें पति की बाइक मिली तो उनका कहना था कि पति की आखिरी निशानी मिल गई।

इनको मिले अपने वाहन

क्। लाकेश कुमार, गोमती नगर विशेष खंड

ख्। अकील अहमद, प्रेम नगर सप्र्रूमार्ग

फ्। आनंद प्रकाश, इंदिरा नगर

ब्। मुकेश अग्रवाल, राजाजीपुरम

भ्। रीता मिश्रा, इटौंजा

म्। सवीश अग्रवाल, अलीगंज

7. महावीर रावत, हसनगंज

8. श्याम नरायण, हरदोई

9. शेखर दीवान, कैंट तोपखाना

क्0. उरिवेश कुमार गौतम, जानकीपुरम

क्क्। सीताराम, गुडंबा

क्ख्। फहद सिराज, ऐशबाग मोतीझील

क्फ्। सुभाष चंद्र, गोपालपुरी कृष्णा नगर

क्ब्। रवि कश्यप, राजेंद्र नगर नाका

क्भ्। सरोज कुमार वर्मा, बालागंज ठाकुरगंज

क्म्। रवि प्रसाद, श्याम बिहार कालोनी, सीतापुर रोड

क्7. राकेश राठौर, तालकटोरा

क्8. रमाकांत त्रिवेदी, राजाजीपुरम

क्9. मो। असलम बेग, मदेयगंज खदरा

ख्0. कामिनी देवी, दिव्याखेड़ा पारा

थानों में खड़े लावारिस वाहनों के इंजन और चेचिस नंबर से उनके असली मालिकों पता लगाया जा रहा है। डीसीआरबी ने अब तक म्7 वाहनों को उनके असली मालिकों तक पहुंचाने का काम किया है। इसके लिए डीसीआरबी की टीम को म् हजार का नगद पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र भी दिया गय है।

मंजिल सैनी, एसएसपी लखनऊ