लखनऊ (ब्यूरो)। आपको डॉक्टर बनाने के लिए आपसे अधिक आपके माता-पिता ने मेहनत और त्याग किया है। पैसा न होने पर भी आपको डाक्टर बनाने के लिए उन्होंने कितनी मेहनत की होगी। हमेशा माता-पिता आपको आगे बढ़ाने और पढ़ाने की कामना करते हैं। कभी अपने अंतिम समय के लिए आपसे अपेक्षा नहीं करते। मेरी सलाह है कि आप लोग माता-पिता को उनके अंतिम समय में अकेला न छोडें़, साथ रखें और सेवा करें। देश में वृद्धाश्रम बढ़ रहे है, क्योंकि लोग माता-पिता को अंतिम समय पर छोड़ देते हैं। घर के सभी सदस्य घर की महिला के सेहत पर ध्यान दें। महिला अपने दर्द को छिपा लेती हैं। ये बातें गुरुवार को संजय गांधी पीजीआई के 27वें दीक्षांत समारोह के दौरान गवर्नर-चांसलर आनंदीबेन पटेल ने कहीं।

गांव तक इलाज पहुंचे

दीक्षांत समारोह में बोलते हुए गवर्नर ने आगे बताया कि पीजीआई टेलीमेडिसिन को प्रदेश के सभी 75 जिलों तक पहुंचाना चाह रही है। जल्द ही इसमें कामयाबी मिलेगी। इससे मरीजों को इलाज के लिए पीजीआई, केजीएमयू व लोहिया जैसे बड़े संस्थानों की ओर रुख नहीं करना होगा। घर के नजदीक ही उन्हें विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह मिल सकेगी। वहीं, रामचंद्र विश्वविद्यालय के प्रो। एसपी थ्यागराजन ने बताया कि डायबटीज, हाई बीपी, स्ट्रोक, दिल की बीमारी और कैंसर सहित अन्य बीमारियों का कारण सही खानपान न होना और शारीरिक रूप से सक्रिय न रहना है। इन बीमारियों से बचाव के लिए खुद को जागरूक होने के साथ ही सही मात्रा में शुगर, नमक और फैट का सेवन करने की जरूरत है। इसके साथ ही आयुष को आगे लाकर सबको स्वास्थ्य का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। कम लागत की चिकित्सा तकनीक विकसित करने की जरूरत है।

पीजीआई को देश में नंबर वन बनाना है

वहीं, चिकित्सा शिक्षा मंत्री एवं डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि मिशन निरामया के जरिए उच्च गुणवत्ता की पैरामेडिकल पढ़ाई का लक्ष्य पूरा किया जाएगा। संस्थान प्रशासन कुछ भी करे, लेकिन कोई मरीज निराश हो कर न लौटे। संस्थान को विकास के लिए हर संसाधन दिया जाएगा। मैं रोज दो-तीन अस्पतालों का निरीक्षण कर मरीजों का हालचाल ले रहा हूं। इलाज की व्यवस्था के बारे में देखता हूं। पीजीआई प्रदेश में नंबर वन है। अब इसे देश के पटल पर नंबर एक बनाने के लिए काम करना होगा। वहीं, राज्य चिकित्सा शिक्षा मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने कहा कि चिकित्सक बनने के बाद मरीजों के साथ मानवतापूर्ण व्यवहार करें। इस दौरान संस्थान के अध्यक्ष एवं मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा, सचिव चिकित्सा शिक्षा श्रुति सिंह, निदेशक प्रो। आरके धीमन, डीन प्रो। एसपी अंबेश और रजिस्ट्रार कर्नल वरुण बाजपेयी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

212 छात्रों को दी गई डिग्री

- एमडी - 40

- डीएम - 46

- एमसीएच - 20

- पीडीसी - 37

- पीएचडी - 8

- बैचलर ऑफ साइंस, नर्सिंग - 40

- एमएससी सीएमटी - 14

- एमएचए - 5

इनको मिला विशेष अवार्ड

- प्रो। आरके शर्मा बेस्ट डीएम स्टूडेंट अवार्ड - डॉ। रुद्रपन चटर्जी

- प्रो। आरके शर्मा बेस्ट एमसीएच स्टूडेंट अवार्ड - डॉ। तंबोली जाइन इकबाल - प्रो। एसएस अग्रवाल एक्सीलेंस इन रिसर्च - डॉ। पारिजात राम त्रिपाठी

- प्रो। एसआर नायक बेस्ट रिसर्चर अवार्ड - डॉ। अमित गोयल

- प्रो। एसआर नायक बेस्ट रिसर्चर अवार्ड - डॉ। रोहित सिन्हा

इसके लिए मिला अवार्ड

आटोफैगी की प्रक्रिया तेज या बढ़ा कर बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। इस शोध से विश्व के वैज्ञानिकों को नई दवा खोजने का रास्ता साफ होगा।

-डॉ। रोहित सिन्हा, प्रो। एसआर नायक आउट स्टैंडिंग रिसर्च इनवेंस्टीगेटर अवार्ड

सिस्टमिक ल्यूपस एथ्रोमेटस, एसएलई की वजह से शरीर के कई अंग प्रभावित हो जाते हैं। कई बार स्थिति गंभीर हो जाती है। देखा गया है कि इनमें यदि बीमारी का पता लगते ही न्यूमोकोकल वैक्सीन दी जाए तो ब्रेन और फेफड़े से संक्रमण की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है। संस्थान का क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग इन बीमारियों के इलाज के लिए देश का बेस्ट सेंटर है। इस शोध को विश्व स्तर रखने की तैयारी है।

-डॉ। रुद्रपन चटर्जी, प्रो। आरके शर्मा बेस्ट डीएम स्टूडेंट अवार्ड

लिवर सिरोसिस या गंभीर लीवर की दूसरी बीमारियों से ग्रस्त बच्चों 50 फीसदी से अधिक बच्चों में एड्रिन ग्रंथि की कार्य प्रणाली प्रभावित हो जाती है। जिसके कारण इन बच्चों में बार-बार संक्रमण, भर्ती होने के साथ ही जीवन पर खतरा रहता है। इस शोध को विश्व स्तरीय अमेरिकन मेडिकल जर्नल ने स्वीकार भी किया।

-डॉ। पारिजात राम त्रिपाठी, प्रो। एसएस अग्रवाल एक्सीलेंस इन रिसर्च अवार्ड

बोटॉक्स थेरेपी के जरिए हाइपर एक्टिव ब्लैडर की परेशानी को दूर किया जा सकता है। हमने देखा कि पेशाब की रुकावट के मरीजों में एमआरआई, ईएमजी परीक्षण किया तो पता चला कि मूत्राशय की मांसपेशियां कमजोर हो गई है। मांसपेशियों में फैलने और सिकुडऩे की प्रक्रिया धीमी हो जाती है, जिसके कारण पेशाब में रुकावट की परेशानी हो रही है। इन मामलों में हमने बोटॉक्स इंजेक्ट किया तो देखा कि मांसपेशियों में ताकत आ गई। बिना सर्जरी के इलाज संभव हो पाया।

-डॉ। तंबोली जायन इकबाल, बेस्ट एमसीएच स्टूडेंट अवार्ड