लखनऊ (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश फार्मेसी काउंसिल के हैरान करने वाले कारनामे सामने आए हैं। जहां फार्मासिस्ट के रजिस्ट्रेशन से पहले ही उसका वैधता समाप्त हो गई है। अधिकारियों की गलती का खामियाजा बड़ी संख्या में फार्मासिस्टों को उठाना पड़ रहा है। रजिस्ट्रेशन में बढ़े पैमाने पर लापरवाही सामने आई है। जिसके बाद अधिकारी व कर्मचारी मामले को दबाने में जुट गए है। और साफ्टवेयर की गलती बता रहे हैं। अधिकारी इसे जल्द ठीक कराने का दावा कर रहे हैं।

पांच साल के लिए रजिस्ट्रेशन

इंदिरानगर स्थित लेखराज में उत्तर प्रदेश फार्मेसी काउंसिल का आफिस है। यहां प्रदेश भर के फार्मासिस्टों का रजिस्ट्रेशन होता है, क्योंकि बिना रजिस्ट्रेशन के कोई फार्मासिस्ट न तो मेडिकल स्टोर खोल सकता है और न ही किसी निजी या सरकारी अस्पातल में बतौर फार्मासिस्ट काम कर सकता है। यह रजिस्ट्रेशन पांच साल के लिए वैध होता है।

10 हजार के करीब हर साल आते हैं आवेदन

विभाग में हर साल 8-10 हजार अभ्यर्थियों का रजिस्ट्रेशन व रिन्युअल के लिए आवेदन आते हैं। आरोप हैं कि अधिकारी व कर्मचारी रजिस्ट्रेशन के नाम पर अभ्यर्थियों का शोषण करते हैं। दो से तीन माह की मशक्कत के बाद भी रजिस्ट्रेशन हो पाना आसान नहीं होता है। ग्रीन कार्ड जारी करने में भी आनाकानी की जाती है। नतीजतन अभ्यर्थी काउंसिल के दफ्तर तक दौड़ लगाने को मजबूर हैं। वहीं, लापरवाही का आलम यह है कि बड़े पैमाने पर आवेदकों का वैधता खत्म होने के बाद रजिस्ट्रेशन किया गया है।

पिछले साल की कर दी वैधता

हैरान करने वाला एक मामला गाजियाबाद का सामने आया है। जहां एक आवेदन का रजिस्ट्रेशन करने के बाद उसे 3 जनवरी 2023 को ग्रीन कार्ड जारी किया गया। इसके रजिस्ट्रेशन की वैधता 31 दिसंबर 2022 को ही खत्म हो चुकी है। आवेदक रजिस्ट्रेशन संबंधी कागज देखकर हैरान हो गया। जिसके बाद उसने इसकी काउंसिल में शिकायत भी की थी। हालांकि अभी तक उसकी शिकायत पर कुछ हुआ नहीं है। इस तरह के और भी मामले हाल के दिनों में सामने आए हैं। वहीं ऐसे मामले सामने आने से आवेदक काफी परेशान हैं।