लखनऊ ब्यूरो

सीएनजी यानी कम्प्रेस नेचुरल गैस की बढ़ती कीमतों के चलते स्कूल वाहन संचालकों ने भी पेरेंट्स से 500 से एक हजार रुपए तक अधिक वसूलना शुरू कर दिया है। इससे परेशान बहुत से पेरेंट्स तो अब स्कूली वाहनों की जगह खुद अपने वाहनों से बच्चों को स्कूल भेजने और लेने आने लगे हैं। पेरेंट्स का कहना है कि स्कूल वाहन संचालकों की मनमानी से वे परेशान हैं। इस संबंध में परिवहन विभाग को कदम उठाने चाहिए, लेकिन विभाग इस ओर अपनी आंखें बंद करे बैठा है।

कम से कम 500 रुपए बढ़ाए
स्कूली वाहन संचालकों के अनुसार 1 अप्रैल से सीएनजी के दाम में 8.30 रुपए का इजाफा हुआ है। ऐसे में किराया बढ़ाना हमारी मजबूरी थी। तकरीबन सभी स्कूलों में किराया 500 रुपए प्रति बच्चा बढ़ा दिया गया है। ऐसे में एक वैन में यदि 10 बच्चे सफर करते हैं तो उन्हें 5000 रुपए अधिक अब मिलेंगे।

गड़बड़ा गया बजट
पेरेंट्स के अनुसार अगर किराया 100 या 200 रुपए बढ़ता, तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन अचानक 500 रुपए से 1 हजार रुपए तक किराया बढ़ जाने से उनका बजट गड़बड़ा गया है। पहले कई स्कूलों में 2 किमी का किराया 1800 रुपए लिया जा रहा था, जो अब बढ़कर 2500 रुपए हो गया है। स्कूली वाहनों का किराया बढ़ाकर सही नहीं किया गया है।

राजधानी में मौजूद अधिकृत स्कूली वाहन

बसें- 1287
स्कूली वैन- 2867
अनाधिकृत स्कूली वाहन अनुमानित
बसें- 2000 से अधिक
स्कूली वैन- 3500 से अधिक

सभी स्कूली वाहनों का किराया बढ़ा दिया गया है। सीएनजी की कीमत जब 45 रुपए थी, तब जो किराया 1500 रुपए था, जो अब बढ़ कर 2500 पहुंच गया है। स्कूली वाहनों के काम में कोई बचत नहीं रह गई है। हम तो अभी तक कोरोना काल का टैक्स और जुर्माना अदा कर रहे हैं।
-अवतार सिंह, अध्यक्ष, लखनऊ स्कूल वेलफेयर ओनर एसोसिएशन

स्कूली वाहनों की फीस निर्धारित कर प्रस्ताव शासन भेजा गया है। इसमें बढ़ती कीमतों के साथ मरम्मतीकरण के साथ सभी खर्चों को शामिल कर फीस निर्धारित की गई है। अब शासन को आगे फैसला लेना है।
-वीके सोनकिया, अपर परिवहन आयुक्त प्रवर्तन, परिवहन विभाग

स्कूली वाहन संचालकों के फीस बढ़ाने से बजट बिगड़ गया है। हम अब खुद ही अपने बच्चे को छोडऩे और लेने स्कूल आ जा रहे हैं। स्कूली वाहनों की फीस सरकारी स्तर पर निर्धारित की जानी चाहिए। इससे पेरेंट्स को राहत मिल सकती है।
पीके श्रीवास्तव, अध्यक्ष, अभिभावक संघ