लखनऊ (ब्यूरो)। आपने अक्सर पुलिस को घोड़ों पर गश्त करते देखा होगा। इन घोड़ों का काम गश्त के साथ-साथ पुलिस के कार्यक्रमों की शोभा बढ़ाना होता है, लेकिन आपको सच्चाई जानकर हैरानी होगी। दरअसल, जितने घोड़े पुलिस के पास होने चाहिए, उससे 50 परसेंट घोड़ों की कमी है। पुलिस के पास घुड़सवार तो हैं, लेकिन उनके लिए घोड़े ही नहीं है। पढ़ें अमित गुप्ता की रिपोर्ट

37 घोड़ों की जरूरत

पुलिस लाइन के एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस लाइन स्थित अश्वशाला में वर्तमान में 18 घोड़े हैं, जबकि जरूरत यहां पर कुल 37 घोड़ों की है। ऐसे में इनकी संख्या में कमी होने के चलते गश्त ड्यूटी से लेकर अन्य ड्यूटी प्रभावित होती हैं। जबकि घुड़सवारों की बात करें तो यहां पर 30 कांस्टेबल, 6 हेड कांस्टेबल और 1 इंस्पेक्टर हैं। सभी को घुड़सवारी के लिए एक-एक घोड़े की जरूरत है, लेकिन ऐसा न होने से गश्त ड्यूटी चरमराई रहती है। हालांकि, इससे निपटारा पाने के लिए घोड़ों की डिमांड की गई है, लेकिन अबतक वे अश्वशाला में शामिल नहीं हो सके हैं।

17 घोड़ों की चल रही ट्रेनिंग

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बीते माह यहां पर दूसरे जिलों से 17 घोड़े लाए गए हैं, जिनको मास्टर के जरिए ट्रेंड किया जा रहा है। इन घोड़ों को इशारों में भाषा से लेकर उछल कूद तक की ट्रेनिंग दी जा रही है। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इनको यूपी के अलग-अलग जिलों में भेज दिया जाएगा।

काठियावाड़ी नस्ल के घोड़े

पुलिस लाइन में जो घोड़े हैं वे काठियावाड़ी नस्ल के हैं। घोड़ों की यह नस्ल सबसे अच्छी मानी जाती है। इस नस्ल के घोड़ों की ऊंचाई करीब डेढ़ मीटर से लेकर 165 सेंटीमीटर तक होती है। एक घोड़े को प्रत्येक दिन में एक किलोग्राम चना, दो किलो जौ, एक किलो गेहूं का चोकर, सीजन की घास दी जाती है। इसके अलावा 10 से 15 किलो घास दी जाती है।

रहते हैं बीमार

बता दें कि इन घोड़ों में कई ऐसे हैं, जो आए दिन बीमार रहते हैं। इनका इलाज चल रहा है। इन घोड़ों की देखरेख करने वालों में बताया कि इनकी उम्र 20 से 22 वर्ष तक की होती है, ऐसे कई घोड़े ऐसे हैं, जो बूढ़े हो चुके हैं। अब इनको बदलने की जरूरत है, लेकिन अबतक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। वहीं, माउंटेन पुलिस प्रभारी रामकुमार ने बताया कि घोड़ों को जरूरत के हिसाब से रखा गया है। हालांकि, इससे ज्यादा उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया।

ये होती है इन घोड़ों की अहमियत

एक अधिकारी ने बताया कि पिछले कई सालों से पुलिस घोड़ों से शहर और संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त कर रही है। इसके अलावा गणतंत्र दिवस की परेड या पुलिस के भव्य कार्यक्रम के आयोजन में भी इनका अहम रोल होता है। जितने ज्यादा घोड़ों की संख्या रहेगी, इनकी ड्यूटी में उतनी ही आसानी होगी।

ये जांबाज हैं सबसे खास

- मोरे

- चुलबुल

- गुरुनंदा

- सिंघम