- पीपीएस कैडर की विसंगतियों पर फिर नहीं बनी बात

- महानगरों में कमिश्नर प्रणाली पर भी नहीं हो सका कोई निर्णय

LUCKNOW : धूमधाम से शुरू हुआ पुलिस वीक रविवार को विदा हो गया। हालांकि, इस बार भी वह अपने पीछे कई अनसुलझे सवालों को जरूर छोड़ गया। पूरे सप्ताह लगातार चले मंथन और सीएम से मुलाकात के बाद भी न तो पीपीएस कैडर की विसंगतियों पर स्थिति साफ हो सकी और न ही महानगरों में बहुप्रतीक्षित पुलिस कमिश्नर प्रणाली पर ही कोई निर्णय हो सका। आईपीएस व पीपीएस एसोसिएशन्स ने अपने ज्ञापन सीएम योगी आदित्यनाथ को दिये हैं। अब उस पर क्या निर्णय होते हैं, यह अब भी भविष्य के गर्भ में छिपा है।

पीसीएस कैडर से पिछड़े पीपीएस

पीपीएस एसोसिएशन द्वारा सीएम योगी आदित्यनाथ को दिये गए ज्ञापन में पीपीएस अधिकारियों ने जो बिंदु उठाए हैं वे काफी हैरान करने वाले हैं। आलम यह है कि कैडर में विभिन्न वेतनमान के पदों की संख्या सही अनुपात में न होने की वजह से कैडर का आकार बढे़गा हो गया है। रोचक बात है कि इसी के उलट प्रदेश के ही पीसीएस कैडर का आकार पदों व मौजूद अफसरों के आनुपातिक रूप से बिलकुल सही है। वेतनमान में विसंगति का ही नतीजा है कि 7600 ग्रेड पे पर 1992 से 2001 बैच के अफसर काम कर रहे हैं। पीसीएस व पीपीएस कैडर के पदों की तुलना करें तो पता चलता है कि पीसीएस कैडर में कुल 1112 पद हैं जबकि, पीपीएस कैडर में 1310 पद हैें। वर्तमान में 12000 ग्रेड पे पर पीसीएस कैडर के 0.89 प्रतिशत अफसर कार्यरत हैं जबकि, पीपीएस का एक भी अफसर इस ग्रेड पे पर नहीं है। इसी तरह 10000 ग्रेड पे पर पीसीएस कैडर के 5.84 प्रतिशत अफसर कार्यरत हैं वहीं, पीपीएस अफसरों का इस ग्रेड पे पर प्रतिशत 0.76 प्रतिशत ही है। 8900 ग्रेड पे पर पीसीएस के 9.89 प्रतिशत अफसर कार्यरत हैं जबकि, पीपीएस में यह प्रतिशत महज 2.06 प्रतिशत है। 8700 ग्रेड पे पर पीसीएस अफसरों का प्रतिशत 17.98 प्रतिशत वहीं पीपीएस अफसरों का प्रतिशत सिर्फ 5.11 ही है। इसी तरह 7600 ग्रेड पे पर पीसीएस कैडर के 22.48 प्रतिशत वहीं, पीपीएस कैडर के 15.03 प्रतिशत। 6600 ग्रेड पे पर पीसीएस के 9.26 जबकि, पीपीएस कैडर के 18.62 प्रतिशत। 5400 ग्रेड पे पर पीसीएस के 33.63 प्रतिशत अफसर कार्यरत हैं जबकि, पीपीएस कैडर के 58.30 प्रतिशत।

प्रमोशन से लेकर अधिकारों में भी विसंगति

उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा नियमावली 1942 के मुताबिक, इंस्पेक्टर से डिप्टी एसपी पद पर प्रमोट होने वाले अफसरों की संख्या 50 प्रतिशत से कम भर्ती न किये जाने का प्राविधान है। यानि कि इंस्पेक्टर से डिप्टी एसपी पद पर 50 प्रतिशत से अधिक अफसरों का प्रमोशन किया जा सकता था। लेकिन, अधिकारियों ने इस नियम की गलत व्याख्या कर दी और प्रमोशन का प्रतिशत 50 प्रतिशत पर ही लॉक कर दिया। उधर, पीपीएस से आईपीएस कैडर में प्रमोशन 33 प्रतिशत से भी कम बरकरार रखा गया। नतीजतन, ढेरों इंस्पेक्टर डिप्टी एसपी पद पर बिना प्रमोट हुए ही रिटायर हो गए जबकि, डायरेक्ट भर्ती से अधिक पीपीएस अफसरों के आने से कई पीपीएस अफसर बिना आईपीएस प्रमोट हुए ही रिटायर हो गए। यह हालात सिर्फ यूपी में ही हैं, बाकी पड़ोसी राज्यों उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में पीपीएस अफसरों के हालात कहीं बेहतर हैं। इतना ही नहीं, पीपीएस अफसरों को पूरे सेवाकाल में कोई भी वित्तीय अधिकार प्राप्त नहीं है। ऐसा सिर्फ यूपी में ही है। वहीं, पीपीएस अफसरों को न तो दंड देने का अधिकार है और न ही पुरस्कार। ज्ञापन में पीपीएस अफसरों के पदों पर अंडर ट्रेनिंग आईपीएस अफसरों की तैनाती पर भी ऐतराज जताया गया है। एसोसिएशन ने इन्हीं विसंगतियों को दूर करने को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाई है।

कमिश्नर प्रणाली पर भी सवाल

पुलिस वीक के दौरान आईपीएस एसोसिएशन ने भी मंथन कर तैयार मांगपत्र सीएम योगी आदित्यनाथ को सौंपा। इस मांगपत्र की सबसे प्रमुख मांग 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में कमिश्नर प्रणाली लागू किये जाने की थी। मांगपत्र में विस्तार से बताया गया कि कमिश्नर प्रणाली लागू हो जाने के बाद पुलिस को कानून-व्यवस्था दुरुस्त करने में बेहद आसानी होगी। इसके अलावा पूर्व में जारी किये गए शासनादेश जिसमें डीएम को जिलों में क्राइम मीटिंग लेने का अधिकार दिया गया था, पर भी पुनर्विचार करने की मांग की गई।

पीसीएस व पीपीएस अफसरों के बीच वेतन विसंगति

ग्रेड पे पद (पीसीएस) पद (पीपीएस)

12000 10 0

10000 65 10

8900 110 27

8700 200 67

7600 250 197

6600 103 244

5400 374 765

कुल पद 1112 1310