लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ जहां उपभोक्ता परिषद की ओर से बिजली दरों में कमी किए जाने की मांग की जा रही है, वहीं उपभोक्ता परिषद की याचिका पर पावर कारपोरेशन ने आयोग में जवाब दाखिल करते हुए मांग रखी है कि अभी मामला अपीलेट ट्रिब्यूनल में लंबित है, ऐसे में बिजली दरों में कोई कमी न की जाए। इस पर उपभोक्ता परिषद ने आवाज उठाई है और कहा है कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत विद्युत नियामक आयोग दरों में कमी का निर्देश दे।

25133 करोड़ रुपए बाकी

बिजली उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 25133 करोड़ बकाया निकल रहा है। इसको लेकर उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। विद्युत नियामक आयोग द्वारा 13 सितंबर 2022 को पावर कारपोरेशन से 15 दिन में रिपोर्ट तलब की गई। पूरे मामले पर पावर कारपोरेशन के निदेशक वाणिज्य अमित कुमार श्रीवास्तव की तरफ से विद्युत नियामक आयोग में जवाब दाखिल कर दिया गया है।

पुनर्विचार याचिका दाखिल

बिजली कंपनियों ने एक बार फिर अपने जवाब में कहा है कि बिजली कंपनियों की तरफ से अपीलेट ट्रिब्यूनल नई दिल्ली में आयोग आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है, इसलिए विद्युत नियामक आयोग अभी बिजली दरों में कमी के निर्णय को स्थगित रखे। जवाब में आगे लिखा गया है कि बिजली कंपनियों का हजारों करोड़ अतिरिक्त सब्सिडी उत्तर प्रदेश सरकार के पास बकाया है।

बिजली कंपनियां भूल गई हैैं

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहाकि बिजली कंपनियों शायद भूल गई हैं कि इस 25133 करोड़ की राशि में वर्ष 2020-21 में उपभोक्ताओं का ट्रूअप याचिका के तहत जो लगभग 3088 करोड़ सरप्लस निकल रहा है, उसके एवज में बिजली दरों में कमी होनी चाहिए। स्पष्ट है कि किसी भी मामले पर सिर्फ सक्षम न्यायालय में मुकदमा दाखिल कर देने मात्र से कोई भी कार्रवाई पर रोक तब तक नहीं लगाई जा सकती है, जब तक की लंबित याचिका पर कोई अंतिम निर्णय अथवा स्टे आर्डर ना पास हो। ऐसे में बिजली कंपनियां प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं का हक उन्हें समय से दे। बिजली कंपनियों पर जो सरप्लस पैसा निकल रहा है, उसके एवज में बिजली दरों में कमी कराने के लिए विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत विद्युत नियामक आयोग को निर्देश देना चाहिए।

लंबे समय से मांग

उपभोक्ता परिषद की ओर से पिछले लंबे समय से बिजली दरों में कमी किए जाने संबंधी मांग की जा रही है। इसको लेकर याचिका तक दाखिल की जा चुकी है लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस निर्णय सामने नहीं आया है। अगर नियामक आयोग आदेश दे तो साफ है कि प्रदेश के तीन करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं को बिजली की दरों में राहत मिल सकती है।