लखनऊ (ब्यूरो)। शहर के मिशनरीज स्कूलों में नर्सरी के दाखिले शुरू हो चुके हैं। लामार्टिनियर बॉयज स्कूल, लामार्टिनियर गर्ल्स स्कूल, सेंट फ्रांसिस कॉलेज, मोंटफोर्ट इंटर कॉलेज समेत कई स्कूलों ने नर्सरी व प्री-नर्सरी में एडमिशंस की शुरुआत हो गई है। इन स्कूलों में अपने बच्चे के दाखिले को पेरेंट्स बड़ी चुनौती की तरह देखते हैं। स्कूलों में सीट्स लिमिटेड हैं और आवेदन करने वालों की तादाद अधिक। ऐसे में पेरेंट्स अपने बच्चों के दाखिले को लेकर ज्यादा सजग हैं। उनकी तैयारी भी हो रही है। एडमिशन की राह आसान बनाने के लिए हमने एक्सपट्स से बात की, पेश है स्पेशल रिपोर्ट

बच्चे की उम्र के हिसाब से समझ का आंकलन

क्राइस्ट चर्च स्कूल के प्रिंसिपल राकेश चत्री का कहना है कि नर्सरी में एडमिशन कराने वाले स्टूडेंट्स की उम्र 3 प्लस होती है। इस उम्र में हम बच्चे का इंटरव्यू नहीं उससे इंटरैक्शन करते हैं। उम्र के हिसाब से उसकी समझ कैसी है, वह बोल पा रहा है या नहीं। चीजों को पहचान पा रहा है या नहीं, हम एडमिशन से पहले यही देखते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए कि बच्चे को बेसिक जानकारियां हों। कह सकते हैं कि बच्चों को अपने आसपास की चीजों के बारे में जानकारी हो। जैसे वह ऑब्जेक्ट, कलर और जानवरों की पहचान कर ले।

एडमिशन में पेरेंटिंग का रोल अहम

स्कूलों के मुताबिक, नर्सरी में एडमिशन के दौरान बच्चे की समझ के साथ पेरेंट्स की पेरेंटिंग का भी टेस्ट होता है। वे अपने बच्चे को कैसा माहौल दे रहे हैं, उनकी अप्रोच कैसी है, वे किस तरह से स्कूल में प्रिंसिपल से मिलते हैं, इन सब बातों पर खास ध्यान दिया जाता है। बच्चे पेरेंट्स की सराउंडिंग से पिक करते हैं। ऐसे में कोशिश करें कि जो कुछ भी बच्चे को इंडायरेक्टली सिखा रहे हैं, उसको पॉजिटिव अप्रोच के साथ सिखाएं।

इन टॉपिक पर ध्यान दें

पेरेंट्स बच्चे को अपने बारे में अधिक से अधिक जानकारी की प्रैक्टिस कराएं। जैसे नाम, पेरेंट्स का नाम, सिब्लिंग्स, घर का पता, उम्र, जन्मदिन और बॉडी पार्ट को अच्छे से सिखाएं। इसके अलावा बच्चों को कलर्स, फ्रूट्स, वेजिटेबल, एनिमल, बर्ड्स, नंबर्स, शेप्स, लेटर्स, टॉयज के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। बच्चों को पोएम और स्टोरी, फेवरेट फूड के बारे में जानकारी हो। बच्चे को बेसिक मैनर्स पर भी फोकस करना होगा।

पेरेंट्स का प्रेजेंटेशन भी अच्छा हो

एक्सपर्ट के मुताबिक, पेेरेंट्स को बच्चों के साथ-साथ खुद पर भी थोड़ा काम करना होगा। मसलन, स्कूल में एडमिशन के दौरान अपने प्रेजेंटेशन पर काम करें। बातचीज का लहजा, बैठने का तरीका, सवालों के जवाब देने के तरीके पर पॉजिटिव अप्रोच नजर आए।