लखनऊ (ब्यूरो)। हम सभी जानते हैैं कि लाइट जाने पर घर में लगे इंवर्टर सिस्टम से बिजली बैकअप मिल जाता है। अब अगर यही व्यवस्था पावर कारपोरेशन लेवल से अपना ली जाए तो बिजली संकट से निपटने में कितनी बड़ी राहत होगी। जी हां, अंतत: ऐसा हुआ भी है। यूपी में 10 मेगावाट तक बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम लगाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। खास बात यह है कि उप्र विद्युत नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन की याचिका पर मंजूरी भी दे दी है। जिसके अब छोटे-छोटे जिलों में बिजली संकट नहीं आएगा, वहीं पीक आवर्स में महंगी बिजली खरीद से भी निजात मिलेगी।

बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम

उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के निर्देशन में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। प्रदेश पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है, जहां पर बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम लागू करने की तैयारी की जा रही है। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने ट्रांसमिशन के 22 सब स्टेशनों में से पांच ऐसे सब स्टेशनों का चयन किया है, जहां पर 10 मेगावाट के बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम लगाए जाएंगे। जिनको पीक आवर्स के अलावा जब दिन में बिजली सस्ती होगी, तब चार्ज कर लिया जाएगा और पीक आवर्स में महंगी बिजली से निजात पाने के लिए इस स्टोरेज सिस्टम का उपयोग किया जाएगा।

जारी किए दिशा निर्देश

इसको लेकर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा पावर कारपोरेशन की याचिका पर सभी जरूरी दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं। जिसके तहत यह पूरा प्रोजेक्ट कॉम्पिटेटिव बिडिंग के माध्यम से किया जाएगा और ऐसे क्षेत्रों में इसका उपयोग पहले चरण में होगा, जो राजस्व सरप्लस वाला क्षेत्र होगा। जो भी निजी फर्म टेंडर में क्वालीफाई होगी, उसके लिए यह भी शर्त अनिवार्य होगी कि अगर बैटरी एनर्जी स्टोरेज की उपलब्धता 70 प्रतिशत से कम रही तो आयोग आदेशानुसार उस पर बड़ी पेनाल्टी भी लगेगी। विद्युत नियामक आयोग चेयरमैन आरपी सिंह, सदस्य कौशल किशोर शर्मा एवं विनोद कुमार श्रीवास्तव ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया है।

बिजली दरों में भी आएगी कमी

उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी देने के बाद उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन को बधाई दी। उन्होंने कहा कि जब यह सिस्टम पूरे प्रदेश में सुचारू रूप से चलने लगेगा तो सीधे तौर पर प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी भी आएगी।

इनका चयन सिस्टम के लिए

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम देवराज सहित पूरे प्रबंधन का आभार व्यक्त किया। पहले चरण में पावर कारपोरेशन द्वारा जिन पांच सब स्टेशनों का चयन इस प्रोजेक्ट के लिए किया गया है, उसमें इटावा, हाथरस, अलीगढ, मथुरा और गाजियाबाद शामिल हैं। इस नई टेक्नोलॉजी पर गौर करें तो वर्तमान में जो आंकड़े सामने आ रहे हैं उसके मुताबिक 1 मेगावाट पर लगभग 6 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस प्रकार 10 मेगावाट के बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम के लिए लगभग 60 करोड़ रुपये का एक प्रोजेक्ट लगेगा।