- इलाज के नाम पर की अवैध वसूली और लापरवाही

- कई के खिलाफ नोटिस, एफआईआर तक हुई दर्ज

LUCKNOW : कोविड 19 महामारी में लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए हर कोई अपनी जिम्मेदारी बाखूबी निभा रहा है। सरकार से लेकर जिला प्रशासन का हर शख्स जान जोखिम में डाल कर लड़ाई लड़ रहा है। वहीं चंद हॉस्पिटल और नर्सिग होम संचालक आपदा में भी अवसर तलाश रहे हैं। प्राइवेट हॉस्पिटल में सरकार के फिक्स चार्ज निर्धारित होने के बाद भी इलाज के नाम पर मनमाना पैसा वसूला जा रहा है। यह हम नहीं बल्कि जिला प्रशासन और कोविड प्रभारी की जांच में ऐसे कई प्राइवेट हॉस्पिटल का काला सच सामने आया है। उनके खिलाफ नोटिस के साथ एफआईआर तक दर्ज कराई गई हैै क्योंकि उन्हें इमान से ज्यादा पैसा प्यारा है और वह इंसानियत को शर्मसार करने का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं। पेश है रिपोर्ट।

डेट - 18 मई

हॉस्पिटल - मैक्वेल

एक्शन - विभूतिखंड में एफआईआर

यह है आरोप

कोविड- 19 प्रभारी डॉ। रोशन जैकब को निरीक्षण के दौरान मैक्वेल अस्पताल में मरीजों से अधिक वसूली का दस्तावेज मिले थे, जिस पर सोमवार को एफआईआर दर्ज की गई।

डेट 18 मई

हॉस्पिटल - देविना

एक्शन - गाजीपुर थाने में एफआईआर

यह है आरोप

देविना हॉस्पिटल पर मरीजों से वसूली के गंभीर आरोप हैं। ऑक्सीजन के नाम पर अस्पताल प्रशासन ने मरीजों से लाखों रुपये वसूले। यही नहीं दवाइयों और दूसरे मदों में सरकार की ओर से जो धनराशि निर्धारित की गई है उससे कई गुना पैसे लिए गए हैं।

डेट 5 मई

अस्पताल - नोवा, लखनऊ, जीसीआरजी और रेवंता

एक्शन - सभी को दी गई नोटिस

यह है आरोप

निरीक्षण के दौरान अस्पताल प्रशासन की ओर से डाटा उपलब्ध नहीं कराया। साथ ही पोर्टल पर भरे हुए बेड संबंधी कोई विवरण दर्ज नहीं किया गया।

डेट 6 मई

अस्पताल - सहारा और मेयो गोमती नगर

एक्शन- दी गई नोटिस

यह है आरोप

इन अस्पतालों में कोविड रोगियों से भारी भरकम बिल वसूला गया।

बिल में जोड़ा गया एक्सट्रा चार्ज

गोमतीनगर स्थित सहारा व मेयो हॉस्पिटल ने मरीजों से कंसल्टेंसी, फॉर्मा (मेडिसिन), प्रोसेज चार्जेस के हेड में अतिरिक्त भुगतान कराया। वहीं हॉस्पिटल द्वारा आरटीपीसीआर टेस्ट भी अधिक दर पर कराया जाता मिला। मेयो हॉस्पिटल में फार्मा चार्जेस (मेडिसिन) और ऑक्सीजन का अतिरिक्त हेड बना कर अतिरिक्त शुल्क मरीजों से लिया गया।

डेट 7 मई

अस्पताल चरक, ओपी चौधरी, मेयो, टिंडर पाम, अपूर्वा हॉस्पिटल

एक्शन नोटिस जारी

यह है आरोप

इन अस्पतालों में पेशेंट कम होने के बाद भी ऑक्सीजन की भारी खपत हो रही थी। यहां पर प्रतिदिन 200 से अधिक सिलेंडरों का उपयोग दर्शाया गया था।

बना दिया 10 लाख का बिल

चरक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर द्वारा कोविड रोगी के परिजनों से अधिक वसूली की गई है। एक रोगी को 21 अप्रैल को जेहटा रोड स्थित हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था और 5 मई तक हॉस्पिटल में भर्ती रहा। इसके बाद मरीज को दुबग्गा स्थित चरक हॉस्पिटल में पोस्ट कोविड इलाज के लिए भर्ती कराया गया। 13 मई को मरीज की मौत हो गया। हॉस्पिटल द्वारा इस मरीज की भर्ती अवधि के लिए कुल 10 लाख का बिल बनाया गया, जिसमें 2 लाख 4 हजार 65 रुपये दवाइयों के भुगतान के रूप में वसूल किये गए। शिकायतकर्ता द्वारा उपलब्ध कराई गई बिल समरी से साफ है कि हॉस्पिटल द्वारा डॉक्टर विजिट, प्रोसिजरल चार्जेज इत्यादि मदों में अत्यधिक राशि वसूल की गई।

डेट 19 मई

अस्पताल मेट्रो हॉस्पिटल, गोमती नगर

एक्शन नोटिस जारी, डीएम ने दिए जांच के आदेश

यह है आरोप

यहां पर पेशेंट से मनमाना बिल वसूला गया।

डेट 19 मई

अस्पताल मेट्रो हॉस्पिटल, गोमती नगर

एक्शन नोटिस जारी

यह था आरोप

शिकायतकर्ता द्वारा बताया गया कि मेट्रो सिटी हॉस्पिटल गोमतीनगर द्वारा कोविड रोगी के 8 दिन के उपचार के दौरान विभिन्न मदों में कुल 5 लाख 25 हजार रुपये की धनराशि वसूल की गई, लेकिन उनको कोई बिल उपलब्ध नहीं कराया गया। डिस्चार्ज के 15 दिन बीत जाने के बाद भी हॉस्पिटल द्वारा रोगी के परिजन को बिल नहीं दिया गया। पूछे जाने पर जानकारी दी गई कि मरीज का भोजन, डॉक्टर व स्टाफ के लिए पीपीई किट, ग्लव्स, मास्क इत्यादि का खर्चा भी मरीज से वसूल किया गया।

डेट 26 मई

अस्पताल मेदांता हॉस्पिटल

एक्शन नोटिस जारी

यह है आरोप

शिकायतकर्ता द्वारा बताया गया है कि मेदांता हॉस्पिटल लखनऊ की घोर लापरवाही, अदूरदर्शिता के कारण कोविड मरीज का उपचार आईएलडी नामक बीमारी समझकर करने से पेशेंट की डेथ हो गई। इस संबंध में नोडल अधिकारी द्वारा उक्त प्रकरण की जांच पैंडेमिक पब्लिक ग्रीवांस कमेटी के द्वारा कराते हुए विधिक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए।

डेट 26 मई

अस्पताल चंदन हॉस्पिटल, फैजाबाद रोड

एक्शन नोटिस जारी

यह है आरोप

शिकायतकर्ता द्वारा बताया गया कि चंदन हॉस्पिटल द्वारा घोर लापरवाही, अनियमितता तथा 18 से 20 लाख रुपये कोविड उपचार के लिए वसूले गए। इस संबंध में भी नोडल अधिकारी द्वारा उक्त प्रकरण की जांच पैंडेमिक पब्लिक ग्रीवांस कमेटी के द्वारा कराते हुए विधिक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए।

कोट-

कोविड 19 महामारी है और ऐसे समय में हॉस्पिटल को अपने मुनाफे व फायदे को भूल कर समाज की सेवा करने की जरूरत है। जो हॉस्पिटल मरीजों से एक्सट्रा चार्ज वसूल रहा है या फिर सरकारी एजेंसी की जांच में दोषी पाया जाता है, उससे हमारे एसोसिएशन से कोई सरोकार नहीं है और न ही हम लोग उसके साथ खड़े होंगे।

डॉ। देवेश कुशवाहा, सचिव, यूपी एंड लखनऊ नर्सिग होम एसोसिएशन

कोविड महामारी के समय मरीजों का इलाज पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इसमें भी कोई अवसर तलाशता है तो वह समाज नहीं पेशे के प्रति भी ईमानदार नहीं है। आईएमए ऐसे लोगों के साथ कभी खड़ा नहीं होगा। अगर उन्होंने गलत किया है तो उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन जांच में दोषी पाए जाने पर।

डॉ। रामा श्रीवास्तव, प्रेसिडेंट, आईएमए