लखनऊ (ब्यूरो)। नियामक आयोग की ओर से बिजली कंपनियों की तरफ से दिए गए 18 से 23 प्रतिशत तक दर वृद्धि के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है। जिसके बाद अब प्रदेश के उपभोक्ताओं से सुझाव एवं आपत्तियां मांगी जाएंगी। इसके बाद अप्रैल 2023 से आम जनता के बीच दरों को लेकर सुनवाई होगी फिर नई दरों का निर्धारण किया जाएगा। उधर, उपभोक्ता परिषद ने ऐलान किया है कि किसी भी कीमत पर बिजली दरों को नहीं बढऩे दिया जाएगा।

घरेलू उपभोक्ताओं को झटका

प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों की तरफ से वर्ष 2023-24 की दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता वर्ष 2021-22 टू्रअप सहित वर्ष 2023-24 के लिए बिजली दरों में औसत कुल 18 से 23 प्रतिशत बढ़ोतरी प्रस्ताव को विद्युत नियामक आयोग की पीठ के चेयरमैन आरपी सिंह व सदस्य वीके श्रीवास्तव ने स्वीकार कर लिया है। वर्ष 2023-24 के दाखिल प्रस्ताव, जिसमें घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली दरों में लगभग 18 से 23 प्रतिशत तथा अन्य बिजली उपभोक्ताओं की दरों में भी औसत 10 से 15 प्रतिशत तक वृद्धि प्रस्तावित है। बिजली कंपनियों ने उद्योगों की बिजली दरों में भी 16 प्रतिशत तक वृद्धि प्रस्तावित की है। सभी बिजली कंपनियों की वार्षिक राजस्व आवश्यकता लगभग 92,547 करोड़ रुपये है, वहीं वितरण हानियां 14.9 प्रतिशत हैं और वर्ष 2023-24 का गैप 9,140 करोड़ है।

जवाब दाखिल नहीं किया

विद्युत नियामक आयोग द्वारा अपने आदेश में यह भी कहा गया है कि जो कमियां एवं जवाब अभी तक बिजली कंपनियों ने दाखिल नहीं किए हैैं, वे दाखिल करें। विद्युत नियामक आयोग द्वारा अपने आदेश में यह भी ऐलान किया गया है कि बिजली दर पर आम जनता की सुनवाई अप्रैल 2023 से शुरू की जाएगी। विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी आदेश के तहत सभी बिजली कंपनियों को तीन दिन के अंदर समाचार पत्रों में बिजली दर बढ़ोतरी प्रस्ताव सहित वार्षिक राजस्व आवश्कता व ट्रूअप के सभी आंकड़ों को प्रकाशित कराना होगा। जिस पर प्रदेश के सभी बिजली उपभोक्ताओं को आपत्तियां व सुझाव देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। इसके बाद बिजली दर की सुनवाई हेतु तिथियों की अलग से घोषणा विद्युत नियामक आयोग द्वारा की जायेगी।

120 दिन का समय

सब मिलाकर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 61 व 62 के तहत अधिकतम 120 के अंदर नयी बिजली दर को आयोग द्वारा अंतिम रूप देना होगा। माना जा रहा है कि मई के अंतिम सप्ताह या जून के पहले सप्ताह तक नयी बिजली दरों का एलान हो जाएगा। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने एलान कर दिया है कि किसी भी हालत में बिजली दरों में बढ़ोत्तरी प्रस्ताव को लागू नहीं होने दिया जायेगा। उपभोक्ता परिषद् अपनी याचिका के माध्यम से पहले ही आयोग को अवगत करा चुका है कि प्रदेश की बिजली कंपनियों पर प्रदेश के उपभोक्ताओं का कुल 25,133 करोड़ सरप्लस निकल रहा है। ऐसे में बिजली दर बढ़ाने की बात करना ही उपभोक्ताओं के साथ धोखा है।