लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में कला और संस्कृति के चाहने वालों का जमावड़ा अक्सर बना रहता है। जहां नाटकों के मंचन से लेकर अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन आम बात है। सबसे ज्यादा आयोजन कैसरबाग स्थित राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में होते थे। सबसे सस्ता और सुलभ होने के कारण, यहां बुकिंग अक्सर फुल ही रहती थी। पर बीते करीब चार वर्षों से यहां लाइट, साउंड वगैरह की गूंज शांत है, क्योंकि इसके रेनोवेशन का काम अबतक खत्म नहीं हो सका है। इस प्रेक्षागृह के बंद होने के कारण नाटककारों को सस्ते दर पर शहर के बीच प्रेक्षागृह नहीं मिल पा रहा है। इसको लेकर उनमें रोष भी है। हालांकि, अधिकारी इसे फरवरी माह से शुरू करने का दावा कर रहे हैं।

बली प्रेक्षागृह चार साल से बंद

बली प्रेक्षागृह नाटक और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रेक्षागृहों में एक है। यह लगभग 265 कुर्सियों वाला प्रेक्षागृह है। जिसका किराया तीन हजार रुपये प्लस एक हजार रुपये सिक्योरिटी फीस है। यहां एसी की सुविधा भी मौजूद है। एक दौर था कि यहां जल्दी बुकिंग तक नहीं मिलती थी। पर देख-रेख के अभाव में यहां खराब सीटें, छत से पानी टपकना, खराब लाइट और साउंड सिस्टम जैसी समस्याएं खड़ी हो गई थीं। हालात सुधारने के लिए कलाकारों द्वारा प्रदर्शन भी किये गए, जिसके बाद संस्कृति विभाग द्वारा इसके रेनोवेशन का काम शुरू हुआ। सरकार द्वारा तीन करोड़ रुपए का बजट भी पास हुआ। अधिकारी इसे बीते साल जुलाई-अगस्त तक शुरू करने का दावा भर रहे थे, पर यह अभी तक पूरी तरह तैयार नहीं हो सका है।

कईयों का रोजगार छिन गया

रंगकर्मी संगम बहुगुणा बताते हैं कि बली प्रेक्षागृह को बंद हुए करीब चार साल होने को हैं। तमाम कोशिशों के बावजूद यह शुरू नहीं हो पा रहा है। इसका खामियाजा हम जैसे तमाम रंगकर्मियों को उठाना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, यहां आयोजन कराने से कई तरह के रोजगार के अवसर भी पैदा होते थे। पर अब वो सब बंद हो गया है। हर कोई महंगे प्रेक्षागृहों में जाकर कार्यक्रमों का आयोजन नहीं कर सकता। वहीं, रंगकर्मी ज्ञानेश्वर मिश्रा के मुताबिक, इस समय राजधानी में एक भी ऐसा प्रेक्षागृह नहीं है, जहां कोई नाटक या अन्य सांस्कृति कार्यक्रम सस्ते में किया जा सके। इसके चलते हम कलाकारों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

प्रेक्षागृह में निर्माण कार्य काफी तेजी से चल रहा है। एक माह में इसके फिर से शुरू होने की उम्मीद है।

-सरिता श्रीवास्तव, सचिव, राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह