- डिस्चार्ज होने के बाद भी बढ़ाते रहें इम्यूनिटी

LUCKNOW: कोरोना संक्रमण से ठीक होकर घर जाने वाले मरीजों के लिए अगले 6 महीने हेल्थ को लेकर बेहद अहम हैं। डॉक्टरों की मानें तो अगले 6 महीने तक संक्रमण का दुष्प्रभाव बना रहता है। इस दौरान स्वस्थ हुए मरीजों को अपने हार्ट, लंग्स और किडनी को लेकर बेहद जागरूक रहना होगा। इनकी नियमित जांच करानी होगी। इतना ही नहीं डिस्चार्ज हुए मरीजों को अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने की कोशिश करते रहना चाहिए। संक्रमण के बाद अत्यधिक कमजोरी, थकान को ठीक होने में महीनों का वक्त लग सकता है। दुनिया के कई देशों में कोरोना संक्रमण के दीर्घकालिक प्रभाव देखने में आए हैं, जिनमें डिस्चार्ज हुए रोगियों को कमजोरी से लेकर चिड़चिड़ापन, थकान और आंतरिक अंगों का खतरा लगभग 6 महीने तक बना रहता है।

6 माह तक लंग्स की जांच कराएं

कोरोना संक्रमण फेफड़े को प्रभावित करता है। ऐसे में अगर मरीज को निमोनिया होने पर वेंटिलेटर पर ले जाया जाए तो उसके फेफड़े काम करना बंद कर सकते हैं क्योंकि मरीज के फेफड़ों में पानी भरने लगता है और इस पानी को हटाने के लिए दवा दी जाती है। शरीर में खून के तेजी से जमने के के कारण क्लॉटिंग होने लगती है। संक्रमण के दौरान वायरस का आक्रमण फेफड़ों पर होता है। इससे ठीक हो जाने के बाद भी अगले 6 महीनों तक नियमित तौर पर फेफड़ों की जांच कराते रहना चाहिए।

लीवर को लेकर रहें सजग

शरीर में लीवर बहुत बड़ा आर्गन होता है यदि किसी का लीवर पहले ही खराब है तो उसके लिए संक्रमण जोखिम भरा हो सकता है। संक्रमण के बाद भी जब रोगी डिस्चार्ज हो जाता है तब भी उसे लीवर को लेकर समस्या बनी रह सकती है। जिन लोगों का लीवर सही नहीं है उनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है और संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। संक्रमण हो जाने के बाद मरीज का लीवर और भी डैमेज हो जाता है। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद अगले 6 महीनों तक लीवर को लेकर बेहद जागरूक और सतर्क रहना चाहिए।

किडनी का भी रखें ध्यान

संक्रमण के कारण मरीज की किडनी कमजोर हो जाती है क्योंकि उसकी इम्यूनिटी काफी कम हो चुकी होती है। जिन मरीजों को शुगर होता है उनके लिए यह और भी खतरनाक साबित हो सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि संक्रमण ठीक होने के बाद मरीज को कम से कम अगले 6 महीने तक अपने किडनी को लेकर बेहद जागरूक रहना चाहिए और इसकी नियमित जांच कराते रहना चाहिए।

इसे भी जानें

भारत में 10 में से एक व्यक्ति को गुर्दे की समस्या है जबकि यूपी में 10 लाख लोगों में से 200 लोग इस समस्या से ग्रस्त हैं।

35 फीसदी कोरोना मरीजों में लीवर की बीमारी होती है। लीवर के मरीजों के लिए काफी घातक है कोरोना संक्रमण।

चीन में 56 हजार संक्रमित हो की जांच हुई और 14 फीसद लोग लंच की बीमारी से प्रभावित थे।

रोजाना एक्सरसाइज करें

कोरोना पेशेंट के डिस्चार्ज होने के बाद भी लगभग एक डेढ़ महीने तक कमजोरी और खांसी की शिकायत बनी रहती है। इसके अलावा शरीर में दर्द, अकड़न आदि भी रहता है। नींद नहीं आने की समस्या हो सकती है। मरीज को चाहिए कि डिस्चार्ज होने के बाद भी वह नियमित रूप से एक्सरसाइज करें, स्टीम ले, गुनगुने पानी से गरारा करे।

कोट

अपने खानपान आदि पर विशेष ध्यान रखें क्योंकि उसको अगले 6 महीने तक बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा भी हो सकता है इसके अलावा उसे नियमित तौर पर अपने फेफड़ों, लीवर, किडनी आदि की जांच कराते रहना चाहिए। सबसे बड़ी बात सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास बनाए रखना चाहिए। हमेशा खुश रहना चाहिए।

प्रो। संदीप साहू, आईसीयू, एसपीजीआई लखनऊ

डिस्चार्ज होने के बाद शरीर में अकड़न, दर्द वगैरह रह सकता है। इसके लिए मरीज को लगभग 1 महीने तक कैल्शियम और विटामिन डी लेते रहना चाहिए, जो गंभीर प्रकृति के कोरोना संक्रमित हैं उनको आंखों में जलन की भी शिकायत हो सकती है। खासकर जो अधिक उम्र के हैं ऐसे लोगों को ब्लड क्लोटिंग ना होने पाए इसके लिए दवा दी जाती है और उनको डिस्चार्ज होने के बाद भी इन सभी चीजों को लेकर जागरूक बने रहना चाहिए। नियमित रूप से डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए।

डॉ। डी हिमांशु, केजीएमयू, लखनऊ

डिस्चार्ज होने के बाद करीब 1 माह तक फेफड़े की एक्सरसाइज करते रहना चाहिये। इसके लिए मरीज गुब्बारे फूला सकता है। प्राणायाम अनुलोम विलोम काफी फायदेमंद है। इससे ऑक्सीजन लेवल भी बढ़ता है। मरीज को डिस्चार्ज होने के बाद 10 दिनों तक आइसोलेशन में रहना चाहिए। उसके अगले कुछ महीनों तक नियमित रूप से अपने शुगर और बीपी की जांच कराकर रहना चाहिए। करीब 6 महीने तक अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी जागरूक रहना चाहिए।

डॉ। रूपेंद्र, लोकबंधु अस्पताल