- सात दिवसीय थियेटर फेस्ट रेपर्टवा का हुआ आगाज

- नाटक 'मेरे पिया गए रंगून' और खूसरो नाइट से सजी महफिल

LUCKNOW: संगीत, कला और नाट्य का संगम मंगलवार से संगीत नाट्य अकादमी में शुरू हो गया। इसकी शुरुआत रेपर्टवा के सातवें सीजन 'मीट द कास्ट' से हुई। इसमें शॉर्टफिल्म, नाटक और सूफियाना म्यूजिकल शाम के साथ इस फिल्मोत्सव का आगाज हुआ। यह आयोजन 12 जनवरी तक चलेगा। इस दौरान कई नामी कलाकार और हस्तियां अपनी मंच पर अपने अभिनय की प्रस्तुति करेंगे।

मीट द कास्ट

रेपर्टवा के पहले दिन मंगलवार को पहले सत्र में 'मीट द कास्ट' का आयोजन दोपहर 12 बजे किया गया। इसमें 'नाटक मेरे पिया गये रंगून' के कलाकार व लेखक मौजूद रहे। इस दौरान नाटक के कलाकार लोगों से मुखातिब हुये। उन्होंने नाटक के दौरान आने वाली समस्याओं से भी दर्शकों को अवगत कराया। इस नाटक के निर्देशक सुनील शानबाग ने एक सवाल के जवाब में बताया कि देश में कोई असहिष्णुता नहीं है। वहीं, नाटक में अहम किरदार निभा रहे उत्कर्ष मजूमदार ने कहा कि फिल्मों से थियेटर की दुनिया बिल्कुल अलग है। उन्होंने बताया कि वे वेडिंग अलबम ब्लैक विथ एक्वल नाटक कर रहे हैं। इसके अलावा हिंदी में नादिरा बब्बर के साथ भी एक प्ले कर रहे हैं। इस दौरान देश-विदेश में ख्याति पा चुकी पांच फिल्मों अखिल किरा की 'दीपम', रवि चेतन की 'यूनीफार्म', श्रीकांत केकडे़ की 'स्पीचलेस', द्रोमा मेहता की 'फॉर यू' व कार्तिक की 'ब्लैक एंड व्हाइट' को भी दिखाया गया।

खुसरो के रंग से सजी शाम

अंत में सूफियाना माहौल से रेपर्टवा की शाम गुलजार हुई। पहली बार नरेशन को म्यूजिक के साथ पेश किया। इस म्यूजिकल शाम में खुसरो के रंग को दिखाया गया, जिसमें उनके और हजरत निजामुद्दीन के रिश्तों का बखान गानों के साथ किया गया। इस म्यूजिकल शाम में अजय तिपानिया ने ढोलक, वेदांत भारद्वाज बेंजो, बिंदु नारायण स्वामी ने गायिकी की तो अमित चड़्ढा ने नरेशन के जरिये अमीर खुसरो के बारे में बताया।

सबको भाया नाटक

रेपर्टवा के तीसरे सत्र में थियेटर फिस्टा के अंतर्गत 'नाटक मेरे पिया गये रंगून' का मंचन हुआ। इसके लेखक मिहिर भूटा थे। यह नाटक पिछली सदी के अंत में गुजरात और मुंबई की पृष्ठभूमि पर बेस्ड है। नाटक में एक लड़की के प्रेम व एक लड़के के सपनों की कहानी है। कहानी में दिखाया गया है कि हेली भरतराम से प्यार करती है, जो की उसकी संरक्षिका कुंती भाभी का बेटा है। वहीं, भरत एक महत्वाकांक्षी गुजराती युवा है। वह अपने मामा गोकुलदास सवाराम भाटिया के व्यवसाय में मदद के लिए बॉम्बे चला जाता है। इधर हेली कुंती भाभी के सहयोग से बॉम्बे आती है भरत से प्यार का इजहार करने। फिर भरत के मामा दोनों की शादी करवा देते हैं। लेकिन, भरत राम शादी के बाद भी हेली को अपनाता नहीं है और उसको अपने घर भेज खुद रंगून चला जाता है। जहां वह राजकुमारी अल्किनी के साथ एक अवसरवादी रिश्ता बनाने की कोशिश करता है। मगर हेली भी रंगून पहुंच जाती है। वह राजकुमारी को सारी बात बताती है। अंत में भरत राम को अहसास हो जाता है कि उसने गलती की है। हैप्पी एंडिंग के साथ नाटक का अंत हो जाता है। 140 मिनट के इस ड्रामा में मीनल पटेल, उत्कर्ष मजूमदार, केतकी थट्टे, प्रतीक गांधी, सत्चित पुराणिक, अवंतिक गांगुली, हितेश मलुकानी और अजय जयरामण ने भूमिका को बखूबी अदा किया।