लखनऊ (ब्यूरो)। एक कॉल पर पब्लिक की मदद के लिए पहुंचने वाली पुलिस रिस्पांस व्हीकल (पीआरवी) का अब रिस्पांस टाइम और बेहतर हो गया है। शुरुआती एक सप्ताह में पहले की अपेक्षा मौके पर पहुंचने में 45 सेकेंड का फर्क आया है, जबकि पहले 112 पर कॉल जाने के बाद करीब 9 मिनट का समय लग जाता था पीआरवी को। अब यह घटकर 8.15 मिनट हो गया है। पीआरवी का अगला टारगेट है 7.50 मिनट में मौके पर पहुंच कर पीडि़त को मदद उपलब्ध कराना। इस अचीवमेंट मेें सबसे अहम रोल निभा रहा है सीयूजी फोन। हाल ही में पुलिस कमिश्नर व डीसीपी सेंट्रल व प्रभारी 112 ने 70 पीआरवी को सीयूजी मोबाइल फोन उपलब्ध कराए है।

क्या है पीआरवी का कॉलिंग का सिस्टम

किसी भी वारदात की सूचना पीडि़त मदद के लिए 112 पर कॉल करता है। 112 के मुख्यालय में टेली कॉलर के पास कॉल पहुंची है और पीडि़त या मददगार से घटना के संबंधित जानकारी लेने के बाद उसके स्पॉट से करीब तैनात पीआरवी को कॉल डिटेल ट्रांसफर कर दी जाती है। पीआरवी में एक इलेक्ट्रानिक पैड होता है जिससे कॉल आने पर उसे लिंक मिलता है मौके पर पहुंचने पर लॉक किया जाता है। इसके अलावा यह डिवाइस ट्रैकिंग का भी काम करती है। जिससे मदद से पीआरवी घटना स्थल पर पहुंच कर पीडि़त की मदद करती है। अंतिम में पीडि़त की शिकायत के निस्तारण के संबंधित रिपोर्ट भी इसी डिवाइस के चलते हेड क्वार्टर मेें रिपोर्ट की जाती है।

मैसेज न मिलने पर 10 सेकेंड में कॉल

- 112 पर डिवाइस पर मैसेज न मिलने पर 10 सेकेंड बाद टेली कॉलर द्वारा संबंधित पीआरवी के सीयूजी नंबर पर कॉल कर सूचना दी जाती है।

- कई बार फोन बिजी होने के चलते अक्सर रिस्पांस टाइम में इसका फर्क पड़ता है।

- ऐसी तमाम दिक्कतों के बाद डीसीपी सेंट्रल व डायल 112 की प्रभारी ने आने वाली कई शिकायतों पर एक सर्वे कराया।

- कई बार डिवाइस पर मैसेज लिंक नेटवर्क के चलते देर से मिलता है। दूसरा पीआरवी में तैनात पुलिस कर्मियों को सीयूजी सिम कार्ड तो दिया गया लेकिन मोबाइल फोन नहीं दिया गया था।

- पीआरवी में तैनात पुलिस कर्मी अपना पर्सनल फोन का यूज करते थे। कई बार छुट्टी पर जाने या फिर ड्यूटी बदलने व अन्य कई कारणों से टेली कॉलर की कॉल रिसीव करने में भी देरी व प्रॉब्लम आती थी।

सीयूजी सिम नहीं अब मोबाइल भी दिया गया

पब्लिक रिस्पांस व्हीकल के रिस्पांस टाइम को कम करने और जल्दी से जल्दी मौके पर पहुंचने के लिए लखनऊ कमिश्नरेट में 70 पीआरवी व्हीकल को मोबाइल फोन दिए गए हैं। यह फोन पीआरवी व्हीकल में ही रहेंगे और उस फोन पर सीयूजी नंबर लगा रहेगा। यह फोन स्मार्ट फोन नहीं है जिससे उनका बैटरी बैकअप भी ज्यादा समय तक रहेगा।

100 का टारगेट, रिस्पांस टाइम भी होगा बेहतर

डीसीपी सेंट्रल व डायल 112 की प्रभारी अपर्णा रजत कौशिक ने बताया कि 70 पीआरवी मोबाइल को फोन उपलब्ध करा दिए गए। अभी 30 और पीआरवी को मोबाइल फोन उपलब्ध कराया जाएगा। ताकि सभी चार पहिया व दो पहिया पीआरवी मोबाइल पर फोन संबंधित प्रॉब्लम न आ सके। फोन उपलब्ध कराने के एक सप्ताह के बाद रिपोर्ट चेक की गई तो शुरुआती दौर में 45 सेकंड का अंतर आया है। अब टारगेट है कि 7.50 मिनट का टारगेट किया जा रहा है। अभी 9 मिनट में पीआरवी कॉल के बाद पीडि़त तक पहुंच रही थी।

मोबाइल फोन उपलब्ध कराने के बाद 45 सेकेंड का रिस्पांस टाइम में फर्क आया है। अब अगला टारगेट 7.50 मिनट में रिस्पांस टाइम है। जिसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा। इसके अलावा घनी आबादी वाले एरिया में एक चार पहिया व दो पहिया पीआरवी व्हीकल को तैनात किया जा रहा है। ताकि कम समय और ट्रैफिक जाम से बच कर जल्द से जल्द पीडि़त के पास पुलिस की मदद पहुंच सके।

- अपर्णा रजत कौशिक, डीसीपी सेंट्रल व प्रभारी डायल 112