लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू में शैक्षिक पदों के लिए जारी भर्ती विज्ञापन पर विवाद गहरा गया है। विज्ञापन में आरक्षण अधिनियमों और शासनादेश दोनों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग महासंघ ने इसे लेकर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। वहीं आयोग ने इस पर केजीएमयू कुलसचिव को नोटिस जारी कर 31 अगस्त तक जवाब देने को कहा है, ऐसा न करने पर आयोग ने एक्शन की चेतावनी भी दी है।

नियमों के उल्लंघन का आरोप

केजीएमयू ने 256 शिक्षक पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था। जिसमें नर्सिंग के पद भी शामिल हैं। अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग महासंघ के अध्यक्ष रामचंद्र पटेल ने आयोग को लिखे शिकायत पत्र में आरोप लगाया है कि एससी सदस्य की सहमति के बिना विज्ञापन जारी किया गया है। यही नहीं बैकलॉग और सामान्य भर्ती का विज्ञापन एक साथ जारी किया गया है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। इससे आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी कनिष्ठ हो जाएंगे।

आवेदन फीस भी मांगी

पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि कि बैकलॉग भर्ती में आवेदन शुल्क नहीं लिया जाता है, जबकि विज्ञापन में आवेदन फीस मांगी गई है। वहीं पिछले विज्ञापन में खाली रह गए सामान्य और ईडब्ल्यूएस श्रेणी के पदों को कैरी फॉरवर्ड कर लिया गया है। जबकि इसमें रोस्टर लगना चाहिए था।

आरक्षित वर्ग को होगा नुकसान

- शिकायती पत्र में पिछड़ा वर्ग को हुए नुकसान के बारे में लिखा गया है।

- अनुसूचित जाति को 21 प्रतिशत की जगह 8.8 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत की जगह 12.6 प्रतिशत और एसटी अभ्यर्थियों को दो प्रतिशत की जगह शून्य आरक्षण दिया गया है।

- यह आरक्षण नियमों के उल्लंघन के साथ दंडनीय अपराध भी है।

- ऐसे में बैकलॉग भर्ती को शून्य आवेदन शुल्क के साथ पहले पूरा करने और सामान्य वर्ग के अधिसंख्य पदों को शासन से स्वीकृत कराने की मांग की गई है।

शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में सारे नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किया गया है। इसमें अगर कोई शंका है तो उसे दूर किया जाएगा।

-आशुतोष द्विवेदी, कुलसचिव, केजीएमयू