लखनऊ (ब्यूरो)। बादशाहनगर स्थित तीन मंजिला एसएस टावर में हुए भीषण अग्निकांड में एक कर्मचारी अश्वनी तिवारी की मौत एसिड और आग से जलने के कारण हुई थी। बुधवार को पोस्टमार्टम में इसका खुलासा हुआ। जांच के लिए विसरा भी रख लिया गया है। दोपहर को पोस्टमार्टम के बाद शव परिवारजन के सुपुर्द कर दिया गया। शाम को गुलाला घाट पर अंतिम संस्कार हुआ।

मां व पत्नी ने की कार्रवाई की मांग

अश्वनी की मां सुमन और पत्नी वर्षा ने कंपनी के मालिक राहुल सिंह और एरिया मैनेजर अनमोल पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है। अग्निकांड के बाद दिल्ली के रहने वाले कंपनी मालिक राहुल सिंह और एरिया मैनेजर अनमोल मोबाइल स्विच ऑफ करके फरार हैं। पुलिस ने दोनों के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर ले लिए हैं। उनकी लोकेशन ट्रेस की जा रही है। एसीपी महानगर नेहा त्रिपाठी ने बताया कि अभी तक अश्वनी के घरवालों ने कोई तहरीर नहीं दी है। सीएफओ मंगेश कुमार ने बताया कि इमारत के मानक नहीं पूरे थे। कॉम्प्लेक्स मालिक पर कार्रवाई की जाएगी। अग्निकांड के दौरान जिम के ऊपर छत पर करीब 20 लोग फंस गए थे। कुछ लोग कूदे तो कुछ सीढ़ी लगाकर उतारे गए थे।

मैरिज एनिवर्सरी की चल रही थी तैयारी

अश्वनी अपनी पहली एनिवर्सरी भी नहीं मना सका। एनिवर्सरी के पांच दिन पहले ही उनकी हादसे में मौत हो गई। घर का माहौल गमगीन है। अश्वनी की मां सुमन ने बताया कि बीते साल पांच फरवरी को बेटे के शादी वर्षा से हुई थी। वर्षा राजाजीपुरम पत्थरकटा की रहने वाली हैं। बेटा शादी की पहली एनिवर्सरी धूमधाम से मनाने की तैयारी कर रहा था। घर पर खुशी का माहौल था। सारी खुशियां मातम में बदल गईं।

निकास द्वार में बैटरियों का लगा था स्टाक

अग्निशमन विभाग की टीम ने पूरी इमारत का निरीक्षण किया, तो उसके कोई मानक पूरे नहीं थे। बेसमेंट स्थित बैटरी की दुकान, बैंक और जिम में कहीं पर भी अग्नि सुरक्षा उपकरण नहीं थे। न ही दो निकास द्वार बने थे। फायर स्टेशन अफसर शिवदरस प्रसाद ने बताया कि सबसे ज्यादा खामी बैटरी की दुकान में थी। वहां प्रवेश और निकास द्वार एक ही था। द्वार पर ही बैटरी का स्टाक लगा था। अग्निकांड हुआ तो आग की तपिश से ताबड़तोड़ बैटरियां फटने लगीं। इस कारण अश्वनी बाहर नहीं निकल सका और बुरी तरह फंस गया। बैटरियां फटने से निकला एसिड अश्वनी के शरीर पर जगह-जगह पड़ा। इसके अलावा आग की लपटों से भी वह झुलस गया था। एफएसओ ने बताया कि अगर बैटरियों का स्टाक गेट पर न होता तो शायद वह बच जाता। सबसे बड़ी गलती कंपनी के मालिक की है।