LUCKNOW: यूजीसी द्वारा फर्जी करार दिए जा चुके सूबे के नौ विश्वविद्यालयों की जांच का जिम्मा एसआईटी को सौंपा गया है। उच्च शिक्षा विभाग ने यूजीसी के सख्त रुख को देखते हुए जांच एसआईटी को देने का निर्णय लिया है। मालूम हो कि इलाहाबाद और मथुरा-वृंदावन में सर्वाधिक दो-दो फर्जी विश्वविद्यालय चल रहे हैं। इनके अलावा वाराणसी, कानपुर, अलीगढ़, प्रतापगढ़ व नोएडा में एक-एक फर्जी विश्वविद्यालय हैं।

भारतीय शिक्षा परिषद का मामला कोर्ट में

यूजीसी ने राजधानी के भारतीय शिक्षा परिषद को भी अवैध विश्वविद्यालय घोषित किया था, लेकिन परिषद ने अदालत की शरण ली और मामला अभी अदालत में है। उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव बीबी सिंह ने बताया कि फर्जी विश्वविद्यालय किसी एक निश्चित पते से संचालित नहीं होते, इसलिए दिक्कत होती है। हर बार इन पर अंकुश के लिए अभियान चलता है, लेकिन ये फिर गायब हो जाते हैं। इस बार मामले की जांच एसआईटी को दी गयी है। उच्च शिक्षा विभाग भी एसआईटी के साथ समन्वय कर रहा है। फर्जी कालेज बंद कराने के साथ उनके संचालकों को जेल भेजना सुनिश्चित किया जाएगा।

फर्जी विश्वविद्यालय

- वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी

- महिला ग्राम्य विद्यापीठ विश्वविद्यालय (महिला विश्वविद्यालय) प्रयाग, इलाहाबाद

- गांधी ¨हदी विद्यापीठ प्रयाग, इलाहाबाद

- नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ इलेक्ट्रोकॉम्प्लेक्स होम्योपैथी, कानपुर

- नेताजी सुभाष चंद्र बोस मुक्त विश्वविद्यालय अचलताल, अलीगढ़

- उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय कोसीकला, मथुरा

- महाराणा प्रताप शिक्षा निकेतन विश्वविद्यालय, प्रतापगढ़

- इंद्रप्रस्थ शिक्षा परिषद, नोएडा

- गुरुकुल विश्वविद्यालय, वृन्दावन