- हेल्पलाइन पर सवाल पूछ रहे रोजादार

- रमजान में इबादत का सवाब हजार साल के बराबर होता है

LUCKNOW: इदारा ए शरइया फिरंगी महल के अध्यक्ष मुफ्ती अबुल इरफान मियां फिरंगी महली काजी शहर लखनऊ ने अपने बयान में कहा कि रमजान उल मुबारक में बीस रमजान को मगरिब से पहले करीबी मस्जिद में जाकर 10 दिन एहतिकाफ में बैठना सुन्नते मोअककदा है। रमजान का सबसे फजीलत वाला अमल आखिरी 10 दिनों का इतिकाफ करना है।

रात में सो भी जाएं तो इबादत का मिलेगा सवाब

एहतिकाफ का मतलब है सारी दुनिया को छोड़कर अल्लाह के दामन में पनाह लेना कि नर्क से बचा लें और अपना बंदा बना लें। इतिकाफ में 21, 23, 25, 27 रातें शबे कद्र भी हो सकती हैं, जिसमें इबादत का सवाब हजार साल के बराबर होता है। अगर मस्जिद में इबादत के बजाये रात को सो भी गए तो इबादत का सवाब मिलेगा जो घर पर नहीं मिलता है। मुफ्ती इरफान मियां ने बताया कि एहतिकाफ में हमेशा अधिक संख्या में लोग मस्जिदों में रहते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं। मुफ्ती इरफान मियां काजी शहर लखनऊ ने आवाम से अपील की है कि जिस तरह पांच वक्त की नमाज, तरावीह की नमाज एजुम्मे की नमाज़, आपने घर पर ही अदा की है। उसी तरह लॉकडाउन की हिदायतों का पालन करते हुए अगर मस्जिद छोटी है तो दो से तीन आदमी और अगर बड़ी मस्जिद है तो चार से पांच आदमी ही शिरकत करें। उन्होंने अपील की है कि सोशल डिस्टेंसिंग के बीच वे हर नमाज, दुआ और इबादत के बाद अल्लाह से इस वबा को खत्म करने के साथ मुल्क की तरक्की की दुआ जरूर करें। अल्लाह ताला नियतो को खूब जानने वाला है और जो लोग भी इस बार इस वबा के मजबूरी दर्जा नहीं शरीक हो पाए उनको भी इंशा अल्लाह अल्लाह अपने फजल और करम से जरूर नवाजेगा।

सुन्नी सवाल जवाब

सवाल- शबे कद्र में कौन सी इबादत करनी चाहिए।

जवाब नफल पढ़ी जायें, तिलावत की जाए। बेहतर यह है कि कजा ए उमरी, जो नमाज जिंदगी में छूट गयी हो। अदा करें और दुआ मांगें।

सवाल क्या जकात कपड़े इत्यादि की शकल में दी जा सकती है।

जवाब- जी हां, दी जा सकती है।

सवाल- सोने और चांदी के जेवर की जकात किस रेट से निकाली जाएगी।

जवाब- सोने और चांदी के जेवर की जकात बाजार में इस जेवर की कीमत के हिसाब से निकाली जाएगी।

सवाल- किया सजदा तिलावत में नियत बांधना जरूरी है।

जवाब- सजदा तिलावत में नियत नही बांधी जाती है बल्कि सजदा कि नियत से अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे में चले जायें।

सवाल- वित्र की तीसरी रकआत में दुआ ए कुनूत भूल गए तो क्या करें।

जवाब- सजदा सहव कर लें, नमाज़ हो जायेगी।

शिया सवाल जवाब

सवाल- क्या फितरा जकात और सदके का पैसा मस्जिद की मरम्मत में दिया जा सकता है।

जवाब- फितरा जकात और सदके के पैसे को गरीब मोमिन और यतीम को देना बेहतर होगा।

सवाल- क्या कज़ा नमाज़े जमाअत से पढ़ी जा सकती है।

जवाब- कज़ा नमाजे़ जमाअत से पढ़ी जा सकती है जैसे शबे कद्र में लोग पढ़ते हैं।

सवाल- अगर रोजेदार के गले मे नाक के जरिए पानी चला जाए तो क्या रोजा टूट जाएगा।

जवाब- किसी भी चीज के गले से नीचे जाने से रोजा टूट जाता है, ऐसे में उसका रोजा भी टूट जाएगा।

सवाल- इस्लाम में गवाही देने वाले की क्या शर्ते बयान किए गए हैं।

जवाब- गवाही देने वाला बालिग, समझदार, आदिल और हलाल जादा हो यानी जो हराम चीजें हैं। उनको छोड़ता हो और वाजिब को अदा करता हो।

सवाल- अगर कोई व्यक्ति मोहताज है और उसको रमजान के दिनों में जरूरत है तो क्या फितरा निकालने से पहले दे सकते हैं।

जवाब- अगर कोई जरूरतमंद है तो उसको पहले से कर्ज के तौर पर पैसे दे दें और ईद के मौके पर फितरा निकालकर कर्जे का भुगतान फितरे की राशि से कर लें।

सुन्नी हेल्पलाइन

लोग अपने सवालात दोपहर 2 बजे से 4 बजे के दौरान इन नंबरों 9415023970 9335929670, 9415102947, 7007705774, 9140427677 और Email: ramzanhelpline.2005@gmail.com WWW.farangimahal पर सवाल पूछ सकते हैं।

शिया हेल्पलाइन

महिलाओं के लिए हेल्पलाइन नंबर 6386897124 है जबकि शिया हेल्पलाइन के लिए सुबह 10 से 12 बजे तक 9415580936, 9839097407 नंबर पर संपर्क करें।