- रमेश भइया ने देश के युवाओं को तंबाकू से दूर रखने को छेड़ रखा है अभियान

- लखनऊ में लागू कराई वेंडर लाइसेंस पॉलिसी

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रुष्टयहृह्रङ्ख: देश को आजाद हुए 74 साल हो गए हैं। 15 अगस्त 1947 में देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिली थी। हालांकि आज भी हमारा देश व समाज कई तरह की गुलामी के शिकंजे में अभी भी जकड़ा हुआ है। खासतौर से युवा वर्ग के लिए हमे आज भी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़नी होगी। यह लड़ाई लड़ रहे हैं रमेश भइया। इनकी लड़ाई है नशे के खिलाफ। युवा वर्ग के साथ-साथ स्कूली बच्चों को नशे से मुक्त कराने के लिए रमेश भइया ने तंबाकू मुक्त समाज अभियान शुरू किया। राजधानी में न केवल अभियान को सफलता मिली बल्कि स्कूलों के आस-पास तंबाकू बिक्री पर भी रोक लगवाई। इतना ही नहीं शहर में तंबाकू बिक्री के लिए लाइसेंस के नियम को लागू कराया। हालांकि इस दौरान इन्हें कई तकलीफ और दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा। आजादी की जंग की तरह इस जंग को लड़ने वाले रमेश भइया ने न केवल शहर में जीत हासिल की बल्कि प्रदेश में युवाओं को नशे से दूर करने के लिए जंग छेड़ रखी है।

तंबाकू के गुलाम होते जा रहे आज के युवक

समाज में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका युवाओं की होती है क्योंकि वह देश का भविष्य हैं, लेकिन दुर्भाग्य से हमारे देश के युवा और स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र धीरे-धीरे तंबाकू की गिरफ्त में आते जा रहे हैं जिससे वह असमय बीमारियों के शिकार हो जाते हैं और किसी न किसी तरीके से अपनी हेल्थ को नुकसान पहुंचाते हैं। रमेश भइया ने यह महसूस किया कि युवाओं तक तंबाकू की उपलब्धता कम हो, तभी इस पर रोक लगाई जा सकती है। ऐसे में उन्होंने लखनऊ को इसके लिए चुना। फिर क्या था वह अपने अभियान में जुट गये। उन्होंने पार्षदों को तंबाकू से होने वाली बीमारियों से अवगत कराया। इसके बाद पूरे शहर में तंबाकू मुक्त अभियान शुरू किया।

55 सौ बच्चे तंबाकू की गिरफ्त में

तंबाकू धीरे-धीरे एक महामारी का रूप धारण कर रही है वहीं दिन पर दिन इसका यूज करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। हर दिन लगभग 55 सौ बच्चे इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं। तंबाकू से हर दिन देश में ढाई हजार लोगों की मौत हो रही है। हर व्यक्ति इस गंभीर समस्या को लेकर चिंतित है। तंबाकू उत्पादों की बढ़ती खपत, बीमारियां और मौतों को कम करने के लिए समय-समय पर कई कानून बनाए गए। आप सबको जानकर हैरत होगी कि देश में 20 फीसदी मौतों का अकेला कारण तंबाकू ही है जबकि इसके उपयोग से गैर संचारी रोग भी तेजी से फैलते हैं। इसके प्रयोग से 40 प्रकार के कैंसर और लगभग 25 तरह की बीमारियां फैलती हैं।

स्कूल की सौ गज की दूरी में नहीं खुलेंगी दुकानें

रमेश भइया के प्रयास से जिला प्रशासन ने 5 सितंबर शिक्षक दिवस को यह घोषणा कि एक अभियान चलाकर सारे स्कूलों के आसपास 100 गज की दूरी में एक भी तंबाकू की दुकानें नहीं खुलेंगी। इसके लिए स्वास्थ्य, नगर निगम और पुलिस ने मिलकर अभियान चलाया। पहले चरण में शहर के सभी स्कूल के आस-पास यह अभियान चलाया गया। इसके बाद माध्यमिक विद्यालय फिर डिग्री कॉलेज के आस-पास अभियान चलाया गया।

सदन में प्रस्तुत हुआ और मिली हरी झंडी

भिंडर नीति के ड्राफ्ट के खिलाफ कुछ विरोध के स्वर भी आए, लेकिन उन सबको धीरे-धीरे निस्तारित कर एक ऐसा समय भी आया कि सर्वसम्मति से नगर निगम के सदन में यह पारित हो गया, जिसमें निर्णय हुआ कि वेंडर पॉलिसी बनाई जाए। इसके लिए शासन से गजट भी कराया गया। इस दौरान काफी मुश्किलें भी आई, लेकिन जब सफलता मिली तो संघर्ष के दर्द खुशी में बदल जाते हैं। इस अभियान में भी कुछ ऐसा ही हुआ।

वेंडर्स ने भी अपनाया

भिंडर नीति को लेकर धीरे धीरे वेंडर्स भी तैयार हो गए। उन्हे समझ में आया कि रजिस्ट्रेशन उनके हित में है। नगर निगम ने फरवरी में रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिए। उसके परिणाम भी अच्छे आए। रजिस्ट्रेशन को लेकर अभी बहुत बड़ा समूह कतार में भी है।

पूरे प्रदेश में हो रहा काम

विनोबा सेवा आश्रम की ओर से गांव में 40 साल से लोगों की रक्षा का काम किया जा रहा था, लेकिन शहर का अनुभव तंबाकू मुक्त लखनऊ अभियान से हुआ। इसके लिए रणनीति ऐसी बनाई गई ताकि सफलता मिले। लोगों को इस तरह जागरुक किया गया कि यह सफलता की कुंजी बन गया। आज शहर में एक बात आपको दिखाई देने लगी होगी कि तंबाकू की दुकान बिना लाइसेंस के नहीं हैं। इस मॉडल को पूरे प्रदेश में लागू करने का काम शुरू कर दिया गया है।

प्रदेश के 16 शहरों में चल रहा काम

रमेश भइया ने सभी महानगर के डीएम, नगर आयुक्त और मेयर को भी इस वेंडर लाइसेंस नीति से अवगत कराया। वर्तमान में पॉलिसी को लेकर 16 महानगरों में काम चल रहा है। ऐसे में हमारा प्रदेश तंबाकू मुक्त प्रदेश बनने की ओर अग्रसर है।

ऐसे मिली सफलता

रमेश भइया के प्रयास से वेंडर लाइसेंसिंग प्रणाली को लागू करने के लिए नगर निगम ने अपने सदन से नियमावली की उपविधि को पास कर इसका सरकारी गजट भी करा लिया है। इस कार्य में तंबाकू उत्पादों को बेचने वाले व्यापारियों का भी ख्याल रखा गया है। मेयर संयुक्ता भाटिया ने इस पहल में अपना योगदान दिया। उन्होंने तंबाकू दुकानदारों की जीविका और व्यापार करने की दुश्वारियों पर गौर करते हुए टोबैको वेंडर लाइसेंस जारी करने की पहल की, जिससे की तंबाकू दुकानदार बैखौफ होकर दुकानों को संचालित कर सकें। हालांकि नियमावली के तहत कुछ खास बातों का ध्यान भी दुकानदारों को रखना होगा। इसके तहत किसी भी शैक्षणिक संस्थान से 100 गज की दूरी पर वह दुकानें संचालित कर सकेंगे। दुकानदार सिर्फ तंबाकू उत्पाद ही बेचेंगे। इसके अलावा टॉफी, चिप्स, पानी की बोतल आदि नहीं बेच सकेंगे।

विश्व में लखनऊ बना मॉडल

रमेश भइया की मुहिम ऐसी रंग लाई कि देश ही नही पूरे विश्व में लखनऊ पहला मॉडल बन गया है, जिसने तंबाकू वेंडर पॉलिसी और कोटपा कानून को कड़ाई से लागू करने का निर्णय लिया।

कौन है रमेश भइया

यूपी के शाजहांपुर के छोटे से जिले से आए रमेश भइया ने युवाओं को तंबाकू के नशे से मुक्त कराने के लिए अभियान का बीड़ा उठाया। इससे पहले वह विनोबा सेवा आश्रम के जरिए गांव के युवाओं को नशे की लत से दूर रखने के लिए काम कर रहे थे। उन्होंने तंबाकू से आजादी दिलाने के साथ समाजिक बुराइयों से भी लोगों को स्वतंत्र कराने की कसम खाई। अभियान में उनकी पत्‍‌नी, बेटे ए बहू और कई करीबी लोग भी उनके सार्थी बनें। आज इस अभियान में सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों लोग जुड़ गए हैं। इनकी वजह से एक नई क्रांति आई। नशे के शिकंजे से युवा वर्ग को दूर करने की रमेश भइया ने शपथ ली है। उनका मानना है कि हम पूरी तरह से तब आजाद होंगे जब देश का युवा किसी भी तरह की बुराइयों से दूर होगा।

इस तरह की अभियान की शुरुआत

जब विनोबा सेवा आश्रम की शुरुआत बरतारा गांव में हुई तो यहां पर महामारी को लेकर लगाए जाने वाले टीका का प्रतिशत बहुत कम था। इसे बढ़ाने के लिए प्रिवेंशन इज बेटर देन की ओर से कार्यक्रम शुरू किया गया। इसके माध्यम से प्रत्येक गांव तक पहुंच बनाई गई और धीरे-धीरे टीका का प्रतिशत करीब सौ प्रतिशत हो गया। आज गांव में टीकाकरण के बारे में बहुत जागरूकता है। इसी प्रकार गांव को शराब मुक्त बनाने, जैविक खेती को बढ़ाने, महिलाओं को काम देने, युवाओं को श्रमदान के प्रति जोड़ने की मुहिम चलाई गई। इसके कारण वर्ष 2011 में भारत देश का प्रतिष्ठित पुरस्कार रचनात्मक क्षेत्र में जमुनालाल बजाज पुरस्कार विमला बहन रमेश भैया को मिला। वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश सरकार का यश भारती सम्मान भी प्राप्त हुआ। जनपद रत्‍‌न भी दिया गया। गत वर्ष कुशीनगर महोत्सव में राज्य सम्मान भी प्राप्त हुआ। दैनिक जागरण ने रोहिलखंड गौरव पुरस्कार देकर सम्मानित किया।