- बेंगलुरु के उमेश जाधव कार से पूरे देश में घूम-घूम कर एकत्र कर रहे शहीदों के घरों की मिट्टी

- 19 राज्य और 49 हजार किमी। का सफर कर, पहुंचे राजधानी, कैप्टन मनोज पांडे के घर से लेंगे मिट्टी

- 14 फरवरी को शहीदों के घरों से एकत्र माटी से पुलवामा में बनाएंगे भारत का नक्शा

anuj.tandon@inext.co.in

LUCKNOW:

सरहदों की रक्षा करते समय कभी-कभी जवान शहीद भी हो जाते हैं। पूरा देश उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देता है, लेकिन इसका तरीका अलग-अलग होता है। कुछ यही काम बेंगलुरु के उमेश जाधव कर रहे हैं। वे पुलवामा के शहीदों के घर-घर जाकर वहां की मिट्टी एकत्र कर रहे हैं, जिससे वे देश का नक्शा बनाएंगे। इसी कार्य के लिए उमेश राजधानी आए हैं।

और शुरू हुआ सफर

पेशे से म्यूजिक टीचर उमेश ने बताया कि अकसर सेना के जवानों की शहादत की खबरें आती रहती हैं। वो हमारे लिये अपनी जान दे रहे हैं लेकिन, हम उनके या उनके परिवार के लिए क्या कर रहे हैं, यह कोई नहीं सोचता है। पुलवामा आतंकी घटना के बाद मैंने इसमें शहीद हुए जवानों की पूरी जानकारी जुटाई और 9 अप्रैल को बेंगलुरु से अपनी कार से शहीदों के घरों की मिट्टी लेने निकल पड़ा। ग्रुप सेंटर सीआरपीएफ के डीआईजी ने हरी झंडी दिखाकर मुझे रवाना किया।

19 राज्यों का कर चुके सफर

उमेश ने बताया कि वे अब तक 19 राज्यों के विभिन्न स्थानों पर जाकर शहीदों के घर की मिट्टी एकत्र कर चुके हैं। कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, गोवा, दमन, महाराष्ट्र, एमपी, राजस्थान, दिल्ली, गुजरात के बाद वे यूपी आए हैं। यहां उन्होंने कारगिल शहीद परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पांडेय के घर जाकर वहां की मिट्टी ली है। इसके बाद वे बनारस जाएंगे।

पुलवामा में खत्म होगा सफर

उमेश ने कहा कि उनका यह सफर पुलवामा में 14 फरवरी को खत्म होगा, जहां वे शहीदों के घर की मिट्टी से भारत का नक्शा बनाएंगे। इसके बाद इस मिट्टी को वहां बनने वाले स्मारक में मिलाया जाएगा। इस अभियान के बाद उन्हें 9 अप्रैल को कच्छ पहुंचना है, जहां वे दूसरे स्मारक के लिए मिट्टी सौंपेंगे।

नहीं लेते सरकारी मदद

अपने मिशन पर निकले उमेश ने इसके लिए दो गाडि़यों को मॉडिफाई कराया है। वे एक गाड़ी में बैठकर सफर करते हैं और इससे जुड़ी दूसरी गाड़ी में रात में आराम करते हैं। गाड़ी में ही सारे औजार, साइकिल, स्कूटी व शहीदों के गांव की मिट्टी अपने साथ लेकर चलते हैं। उन्होंने बताया कि वो कोई भी सरकारी मदद भी नहीं लेते हैं। आम जनता जो उनकी मदद कर देती है, उसी से काम चलाते हैं।

युवाओं को सोचना चाहिए

उमेश कहते हैं कि शहीदों के परिवार के लिए हम लोगों को भी कुछ करना चाहिए। आज का यूथ सोशल मीडिया पर ज्यादा व्यस्त रहता है। इससे शहीदों का क्या फायदा होगा, इसके बारे में सोचना चाहिए। यूथ से अपील है कि वो बाहर निकलें और शहीदों के परिवार के लिए कुछ करें।