- एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार घरेलू विवादों के कारण ही 34.40 फीसद आत्महत्याएं
- आत्महत्याओं के मामले में यूपी का देश में आठवां स्थान
द्यह्वष्द्मठ्ठश्र2@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ
रुष्टयहृह्रङ्ख:घरेलू विवाद इंसान को इस कदर तोड़ देते हैं कि वह आत्महत्या जैसा खतरनाक कदम उठा लेता है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े कुछ इसी ओर इशारा कर रहे हैं। एनसीआरबी की ओर से जारी किए गए आंकड़ों पर नजर डालें तो साफ होता है कि पिछले पांच माह के दौरान राजधानी में 250 से अधिक लोगों ने सुसाइड किया है और इनमें से अधिकतर की वजह पारिवारिक विवाद ही रहा है। आंकड़ों से यह भी साफ होता है कि देश में आत्महत्या के मामले में उत्तर प्रदेश 8वें स्थान पर है। वहीं पहले स्थान पर तमिलनाडु है।
बढ़ते जा रहे हैं सुसाइड के केस
जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 2018 में प्रदेश में 4842 लोगों ने आत्महत्या की। वहीं 2019 में यह संख्या 5464 हो गई, जिसमें 2208 लोगों ने पारिवारिक विवाद के कारण यह घातक कदम उठाया। वहीं अगर हम 2020 की बात करें तो राजधानी में ही अब तक चार परिवारों से सामूहिक आत्महत्या की है। इन सभी में आर्थिक तंगी के साथ पारिवारिक विवाद भी एक कारण था।
लॉकडाउन के दौरान 250 से अधिक सुसाइड
राजधानी में मार्च से अगस्त तक 250 से अधिक लोगों ने सुसाइड किया है। इनमें भी अधिकतर में पारिवारिक विवाद ही सामने आया है। माना जा रहा है कि बंदी के कारण रोजगार जाने और काम ठप होने से घरेलू विवाद बढ़ रहे हैं और लोग यह खतरनाक कदम उठा रहे हैं।
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पुरुष ज्यादा दे रहे जान
सुसाइड करने वालों में 72.2 प्रतिशत पुरुष
सुसाइड करने वालों में 29.8 प्रतिशत महिलाएं
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किन कारणों से लोग कर रहे सुसाइड
32.40 प्रतिशत फैमिली विवाद में दे रहे जान
17.10 प्रतिशत बीमारी के चलते दे रहे जान
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सुसाइड करने वालों की कैटेगरी
कैटेगरी प्रतिशत
वर्किंग पर्सन 23.40
हाउस वाइफ 15.40
बिजनेसमैन 11.60
बेरोजगार 10.10
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प्रदेश में सुसाइड के आंकड़े
वर्ष मामले
2018 4842
2019 5464
कोट
लॉकडाउन में करियर की असुरक्षा का दबाव पड़ने से बहुत से लोग तनाव में आ गए हैं, जिसका सीधा असर उनके पारिवारिक जीवन पर भी पड़ा है। अवसादग्रस्त होकर लोग आत्महत्या जैसा कदम उठा रहे हैं। डिप्रेशन के शिकार लोगों के व्यवहार पर परिवार के लोगों को नजर रखनी चाहिए।
डॉ। सुनील पांडे, राज्य मानसिक अधिकारी