- एलयू सहित दूसरे यूनिवर्सिटी में लागू हुआ सेमेस्टर सिस्टम

- यूपी बोर्ड परीक्षा में सीसीटीवी व वाइस रिकार्डर से शुरू की गई निगरानी

- बेसिक में हर साल पांच स्कूलों को मॉडल स्कूल बनाने की प्रक्रिया भी की गई शुरू

<- एलयू सहित दूसरे यूनिवर्सिटी में लागू हुआ सेमेस्टर सिस्टम

- यूपी बोर्ड परीक्षा में सीसीटीवी व वाइस रिकार्डर से शुरू की गई निगरानी

- बेसिक में हर साल पांच स्कूलों को मॉडल स्कूल बनाने की प्रक्रिया भी की गई शुरू

LUCKNOW: lucknow@inext.co.in

LUCKNOW: बीते एक दशक में राजधानी की शिक्षा व्यवस्था में कई बड़े सुधार के साथ कई इंस्टीट्यूशन भी स्थापित हुए। वहीं एक यूनिवर्सिटी की भी स्थापना हुई। इसी के साथ बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर सेंट्रल यूनिवर्सिटी में यूजी और पीजी लेवल पर करीब तीन दर्जन से अधिक नए कोर्सेस की शुरुआत हुई ताकि ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स को एडमिशन पाने का मौका मिल सके। वहीं लखनऊ यूनिवर्सिटी देश की उन नामी यूनिवर्सिटी में शामिल हुई जिसने सौ वर्ष का सफर बीते एक दशक में पूरा किया। इसके अलावा एलयू ने अपने यहां पर इंजीनियरिंग संकाय की स्थापना की। उधर, बेसिक व माध्यमिक शिक्षा के स्तर पर राज्य सरकार द्वारा काफी बड़े स्तर पर बदलाव किया गया।

ख्वाजा मुइनुद्दीन यूनिवर्सिटी की स्थापना

वर्ष ख्009-क्0 में पूर्व सीएम मायावती ने राजधानी में ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती उर्दू अरबी फारसी यूनिवर्सिटी की स्थापना को मंजूरी दी। इसके बाद वर्ष ख्0क्फ् के सेशन में यूनिवर्सिटी में पहले बैच को एडमिशन दिया गया। यूनिवर्सिटी ने यूजी और पीजी लेवल के क्म् कोर्सेस में ब्क्फ् स्टूडेंट्स के साथ अपना सफर शुरू किया। आज यूनिवर्सिटी करीब ख्भ्00 स्टूडेंट्स को विभिन्न कोर्सेस में शिक्षा दे रही है।

एकेटीयू अपनी न्यू बिल्डिंग में शिफ्ट

प्रदेश के सबसे बड़े टेक्निकल यूनिवर्सिटी में शुमार डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम को बीते एक दशक में नया नाम मिलने के साथ नई बिल्डिंग भी मिली। यूनिवर्सिटी की स्थापना वर्ष ख्000 में हुई थी तब से यह अपने घटक संस्थान आईईटी के कैंपस में संचालित होता आ रहा था। वर्ष ख्0क्7 में पीएम ने जानकीपुरम में एकेटीयू की नई बिल्डिंग का उद्घाटन किया था। इसके साथ ही बीते एक दशक में यूनिवर्सिटी ने टेक्निकल क्षेत्र की पढ़ाई के साथ स्टूडेंट्स की सुविधाओं को काफी हद तक ऑनलाइन करने में कामयाबी पाई है। यूनिवर्सिटी ने ऑनलाइन क्वेश्चन पेपर भेजने के साथ डिजिटल मूल्यांकन और स्टूडेंट्स की समस्याओं को दूर करने के लिए चैट बॉक्स जैसी सुविधाओं की शुरुआत की। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी ने अपने सरकारी कॉलेजों को बेहतर बनाने के लिए ख्00 करोड़ रुपए का अतिरिक्त ग्रांट देकर एक मिशाल पेश की।

यूपी बोर्ड में बदला सिलेबस

प्रधानमंत्री ने एक बार यूपी में हो रही नकल के बारे में चर्चा की थी। उन्होंने इसके परीक्षा सिस्टम में सवाल उठाया था, जिसके बाद यूपी सरकार ने नकल को रोकने के लिए टेक्नोलॉजी का प्रयोग शुरू किया। पहले चरण में सरकार ने यूपी बोर्ड के सभी परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाएं, इसके बाद अगले साल सीसीटीवी के साथ मौखिक नकल को रोकने के लिए वाइस रिकार्डर को भी केंद्रों पर लगवाया। वहीं इस साल तो सभी केद्रों पर नजर रखने के लिए कमाडंर कंट्रोलर सेंटर की भी स्थापना करने जा रहा है ताकि एक ही जगह बैठे-बैठे सभी केंद्रों पर नजर रखी जा सके। इसके अलावा यूपी बोर्ड के सिलेबस में भी बड़ा बदलाव किया गया। सरकार ने यूपी बोर्ड के सिलेबस को सीबीएसई पैटर्न में बदल दिया, जिससे यहां के बच्चों को देश में दूसरे बच्चों के बराबर सामान्य शिक्षा का हक मिल सके।

बॉक्स

प्ररेणा की हुआ लांच, मॉडल व स्मार्ट स्कूल की शुरुआत

बेसिक शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए भी राजधानी में बड़े कदम उठाए गए। स्कूलों की गुणवत्ता को सुधारने के लिए प्ररेणा एप लांच किया, जिसमें स्कूल से जुड़ी सभी जानकारियों को एक ही एप के माध्यम से इकठ्ठा किया गया। वहीं विभिन्न वर्षो में हर ब्लॉक के पांच-पांच स्कूलों को पहले इंग्लिश मीडियम में बदला गया। इस साल से हर ब्लॉक के पांच-पांच स्कूलों को कॉन्वेंट स्कूलों की तर्ज पर मॉडल स्कूलों में बदलने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है। इसके साथ ही बीते एक दशक में राजधानी के बेसिक स्कूलों में मीड-डे-मिल बनाने की व्यवस्था में काफी बदलाव कर दिया। राजधानी के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में मीड-डे-मिल बनाने व वितरण करने की जिम्मेदार अक्षयपात्र जैसी संस्थान को सौंपी गई, जो स्टूडेंट्स को हेल्दी और पौष्टिक खाना समय पर गरमा गरम दे रही है। इसी के साथ ही अखिलेश सरकार में बच्चों को स्वेटर और मीड-डे-मिल खाने के लिए बर्तन के साथ सप्ताह में एक दिन फल देने की भी योजना की शुरुआत की गई।