- रेडिको खेतान लिमि। के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर ने शेयर किया अपना अनुभव

LUCKNOWहर व्यक्ति के लिए उसके बचपन के दिन सुनहरे दौर के समान हैं। स्कूल जाना, साइकिल की सवारी करना, दोस्तों के साथ जन्मदिन मनाना, पसंदीदा खिलौने के साथ खेलना जैसी कई ऐसी स्मृतियां होती हैं, जो पूरे जीवन हमारे मन की गहराइयों में बसी रहती हैं। मैं अपनी बात करूं तो आज भी मुझे वो साइकिल याद है, जिससे मैं स्कूल जाया करता था। निश्चित रूप से उस पल को मैं कभी भूल नहीं पाऊंगा। यह अनुभव साझा किए हैं रेडिको खेतान लिमि। के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ। ललित खेतान ने।

सिर्फ परिवहन का साधन नहीं

उन्होंने कहा कि साइकिल उनके लिए सिर्फ परिवहन का एक साधन नहीं थी बल्कि स्कूल जाने के लिए प्रेरणा के स्त्रोतों में से एक थी। कोलकाता की तंग गलियों से हिंदी हाईस्कूल (अब बिड़ला हाईस्कूल) तक पहुंचने के लिए उन्हें एक ऐसा साथी मिला, जिसने उन्हें फ्री व्हील का हुनर सिखाया। उनकी माने तो उन दिनों साइकिल से स्कूल जाना एक विशेष ध्यानाकर्षण था। उन दिनों जो बच्चे साइकिल से स्कूल जाते थे, उन्हें काफी लोकप्रियता भी मिलती थी।

हमेशा साइकिल स्थिर रही

मेयो कॉलेज, अजमेर में अपने दिनों को याद करते हुए चेयरमैन एंड एमडी ने बताया कि जहां एक कक्षा से दूसरी कक्षा तक जाने में साइकिल ही उनका सहारा बनती थी। इसकी वजह यह थी कि स्कूल कैंपस बहुत बड़ा था और उस समय वहां परिवहन का कोई दूसरा साधन मौजूद नहीं था। उनका कहना है कि जब आप कॉलेज जाते हैं, तो आपकी जिंदगी में काफी परिवर्तन आता है, लेकिन मेरा वहां भी साइकिल के साथ पहले की तरह ही साथ रहा।

अस्तित्व का महत्वपूर्ण हिस्सा

चेयरमैन एंड एमडी डॉ। ललित खेतान का कहना है कि साइकिल किसी न किसी समय में हर व्यक्ति के अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। साइकिलिंग के लिए न तो उम्र बाधक है न ही जेंडर। साइकिलिंग से सेहत पर सकारात्मक असर पड़ता है, जो बेहद जरूरी है।