लखनऊ (ब्यूरो)। जल्द ही लोग नवाबी ठाठ-बाट के साथ ऐतिहासिक धरोहरों में विवाह समेत अन्य फंक्शंस का आयोजन कर सकेंगे। इसके लिए लखनऊ समेत प्रदेश की पुरानी और खंडहर हो चुकी धरोहरों को पर्यटन विभाग संवाराने का काम करेगा। जिसके बाद इनको हैरिटेज होटल या पैलेस में बदला जा सकेगा और वहां भव्य आयोजन हो सकेंगे। इससे पर्यटन तो बढ़ेगा ही, सरकार को राजस्व भी मिलेगा। पर्यटन विभाग ने यह योजना पीपीपी मॉडल के तर्ज पर तैयार की है। इसका प्रपोजल बनाकर शासन को भेज दिया गया है।

ये धरोहरें होंगी तब्दील

राजधानी में कैसरबाग के पास छतर मंजिल, रोशनउद्दौला कोठी, कोठी गुलिस्तान-ए-इरम और कोठी दर्शन विलास ऐतिहासिक धरोहरें हैं। इन सभी इमारतों को पुरात्व विभाग से पर्यटन विभाग को सौंप दिया गया है। अब इसके रख-रखाव की जिम्मेदारी पर्यटन विभाग के पास है। इन इमारतों को होटल या पैलेस में तब्दील करने का काम किया जायेगा।

संस्कृति अनुभव करना चाहता है पर्यटक

पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने बताया कि राजधानी समेत प्रदेश में 1950 से पहले की जो कलात्मक और ऐतिहासिक धरोहर हैं, उनको संवराने का काम अब पर्यटन विभाग करेगा। आज का पर्यटक अनुभवी पर्यटन करने पर विश्वास रखता है। वह वहां की कला व संस्कृति को बेहद नजदीक से अनुभव करना चाहता है। उसी को ध्यान में रखते हुए पॉलिसी तैयार की गई है। जिसमें पुराने खंडहर व भवन आदि को सुरक्षित रखने का काम किया जायेगा।

पीपीपी मॉडल पर होगी तैयारी

इन ऐतिहासिक धरोहरों को बदलने का काम किया जायेगा। इसमें हैरिटेज कॉफी, म्यूजियम, लाइब्रेरी, डेस्टिनेशन वेडिंग, कल्चरल एक्टिविटी, वेडिंग शूट व फिल्म शूट आदि जैसे काम किए जा सकेंगे। यह पूरी योजना पीपीपी मॉडल पर तैयार की जायेगी। जिसके तहत सरकार इन जगहों को लीज पर कंपनी को देगी। जिसके बाद उन इमारतों के पूरे रख-रखाव व देखभाल की जिम्मेदारी कंपनियों पर होगी। ऐसे में पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। वहीं, सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा।

राज परिवार को भी जोड़ेंगे

प्रमुख सचिव ने बताया कि प्रदेश में कई राज परिवार भी रहते हैं। अगर वे भी योजना से जुडऩा चाहेंगे तो उनको भी इसमें शामिल किया जायेगा। इसके लिए सरकार द्वारा उनको सब्सिडी आदि भी दी जायेगी, ताकि अधिक से अधिक फायदा मिल सके।

यहां पर फोकस ज्यादा

बुंदेलखंड के 7 जनपदों में करीब 30 से अधिक भवनों को चिन्हित किया गया है। इसके अलावा रामपुर एस्टेट में भी कई पुरानी ऐतिहासिक इमारते हैं, इनको भी शामिल किया जायेगा। इसी तरह पूरे प्रदेश में ऐसी ऐतिहासिक इमारतों का चयन किया गया है, जहां पर्यटक आकर उस दौर की शानो-शौकत को और करीब से अनुभव कर सकेंगे।

पीपीपी मॉडल पर ऐतिहासिक धरोहरों को होटल, पैलेस या म्यूजियम आदि में बदला जायेगा। सरकार लीज पर यह जगह कंपनियों को देगी। जिससे पर्यटन, रोजगार और राजस्व का फायदा होगा।

-मुकेश मेश्राम, प्रमुख सचिव, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय