लखनऊ (ब्यूरो)। किसी मरीज के लिए केजीएमयू में अपना रजिस्ट्रेशन कराना, ओपीडी में दिखाना, जांच करवाना, दवा आदि लेना किसी युद्ध से कम नहीं है। यहां रोजाना चार हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं। पर घंटों की जद्दोजहद के बाद उनको डॉक्टर के महज चंद मिनट ही मिल पाते हैं। मरीजों के इस दर्द को बयां करती अनुज टंडन की रिपोर्ट

मरीज : राजकिशोर

जिला : बस्ती

समय : 8 बजे सुबह पहुंचे

रजिस्ट्रेशन : 9:30 बजे

ओपीडी डॉक्टर : 11:30 बजे के बाद

जांच : 12 बजे

दवा : 12:15 बजे

घंटों लग गये रजिस्ट्रेशन करवाने में

बस्ती से आये 55 वर्षीय राज किशोर ने बताया कि उनको लिवर की समस्या है। वह यहां के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में दिखाने आये थे। बस से सुबह राजधानी पहुंचे और सुबह 8 बजे ही केजीएमयू आ गये, ताकि समय पर डॉक्टर को दिखा सकें। पर सबसे पहले उनको रजिस्ट्रेशन की लंबी लाइन से गुजरना पड़ा। लाइन में लगने के करीब डेढ़ घंटे बाद उनका रजिस्ट्रेशन हो सका। इसके बाद वह गैस्ट्रो विभाग की ओपीडी में दिखाने पहुंचे, जहां उनको नंबर लगाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा।

डॉक्टर के मिले महज चंद मिनट

ओपीडी पहुंचे तो वहां खड़े कर्मचारी ने उनका पर्चा लेकर इंतजार करने को कहा। ऐसे में वह अपनी बारी आने का इंतजार करने के लिए वहीं बैठ गये। वह बार-बार उठकर ओपीडी गेट पर झांक कर देख रहे थे कि उनका नंबर कब आयेगा। बार-बार आने पर वहां खड़े कर्मचारी ने उनको डांटते हुए नाम पुकारे जाने तक बैठने को बोल दिया। करीब दो घंटे के इंतजार के बाद उनका नंबर आया। उन्होंने बताया कि डॉक्टर द्वारा 4-5 मिनट के दवा व जांच लिखकर अगली तारीख दे दी है।

सैंपल देने में छूटे पसीने

राजकिशोर के मुताबिक, जब वह सैंपल देने काउंटर पर पहुंचे तो वहां भी लंबी लाइन लगी हुई थी। उन्होंने बताया कि करीब एक घंटे के बाद उनका सैंपल देने का नंबर आया। इस दौरान काफी परेशानी का सामना करना पड़ा, क्योंकि कोई उनकी सुनने वाला नहीं था। वहीं, रिपोर्ट के लिए दो दिन के बाद आने को कहा गया है। ऐसे में उनको समझ नहीं आ रहा है कि इतनी दूर से दोबारा कैसे जल्दी आयेंगे, क्योंकि आने-जाने में काफी खर्चा हो जाता है।

4 घंटे लग गए दवा मिलने में

इसी तरह मरीज मो। फारूख ने बताया कि उनको तो केवल दवा लेने के लिए आना पड़ा। सुबह 9 बजे आ गया था और दवा करीब 1 बजे के आसपास मिली है, जबकि पर्चा बहुत पहले दे दिया था। पता नहीं इतना टाइम क्यों लग रहा है। किसी से पूछो तो सही से जवाब नहीं मिलता है। यहां कोई सुनने वाला नहीं है।

डॉक्टर्स की भारी कमी

केजीएमयू के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग की ओपीडी में 250 से अधिक मरीज रोज दिखाने आते हैं। पहले विभाग में 3 डॉक्टर तैनात थे, लेकिन अब यहां पर केवल दो डॉक्टर ही रह गये हैं। ऐसे में डॉक्टरों पर मरीजों का लोड डबल हो गया है, जिसके चलते डॉक्टर मरीजों को पूरा टाइम नहीं दे पा रहे है। उन्हें मरीज देखते-देखते ही शाम हो जाती है, जबकि इसके अलावा उनको रिसर्च, जांच समेत अन्य काम भी करने होते हैं।

डॉक्टरों की कमी हो दूर

केजीएमयू में पूरे प्रदेश समेत अन्य राज्यों से भी मरीज इलाज कराने आते हैं। यहां पर करीब 500 डॉक्टरों की तैनाती है, लेकिन 100 से अधिक पद अभी भी खाली चल रहे हैं, जिसके चलते मरीजों को समुचित इलाज मिलने में दिक्कतें आ रही हैं। डॉक्टरों की कमी दूर करना सबसे ज्यादा जरूरी है। इसके लिए विभाग में रेजिडेंट और अन्य स्टाफ की संख्या भी बढ़ाने की जरूरत है।

ओपीडी में मरीजों का लोड बहुत अधिक रहता है। हालांकि, इसके बावजूद सभी मरीजों को डॉक्टर द्वारा समय देकर देखा जाता है। किसी को लौटाया नहीं जाता।

-डॉ। सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू