लखनऊ (ब्यूरो)। हिंसक जानवरों के इलाज के दौरान डॉक्टरों को होने वाले नुकसान से बचाने का तरीका लखनऊ के वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान ने खोज निकाला है। लखनऊ जू के उप निदेशक डॉ। उत्कर्ष शुक्ला ने ऐसी मैनुअल पोल सिरिंज ईजाद की है, जिससे चिकित्सक दूर से ही जानवरों का इलाज कर सकेंगे। उनका दावा है कि देश में अभी तक इस तरह का कोई इक्विपमेंट नहीं बना था, जिससे सभी जानवरों के साथ-साथ हिंसक जानवरों का इलाज भी आसान और सुविधाजनक होगा। इस सिरिंज का वन्य जीव प्राणि सप्ताह के समापन के मौके पर शनिवार को जू में लोकार्पण किया गया। डॉ। उत्कर्ष शुक्ला ने इस सिरिंज का पेटेंट भी करवा लिया है।

बचेगा काफी समय
डॉ। शुक्ला के मुताबिक, अमूमन जू में कोई जानवर बीमार पड़ता है तो उसके इलाज के लिए सबसे पहले उसे बाड़े से हॉस्पिटल में शिफ्ट किया जाता है। इसके बाद डॉक्टर बेहद नजदीक से जानवर का इलाज करते हैं। कई बार कुछ जानवर हिंसक प्रवृति के भी होते हैं और जाने अनजाने नुकसान पहुंचा देते हैं। इसके अलावा कई बार जू प्रशासन कई जानवरों को भी रेस्क्यू करके हॉस्पिटल में भर्ती करता है और उनका इलाज भी चलता है। जू कई आदमखोर बाघों को भी रेस्क्यू कर चुका है। ऐसे डॉक्टर्स को इन जानवरों से कोई समस्या न हो और वे जानवरों को बिना केज में लाए अस्पताल में शिफ्ट कर उनका इलाज कर सकें, इसके लिए इस सिरिंज को बनाया गया है। यह काफी असरदार और सुरक्षित है।

आम सिरिंज से अलग है
यह सिरिंज आम सिरिंज से अलग है। एक तो इसकी लंबाई एक मीटर के करीब है। इसमें आम डिस्पोजल सिरिंज का ही इस्तेमाल होता है। जिससे दो एमएल से 20 एमएल डोज के इंजेक्शन लगाए जा सकते हैं। डॉ। उत्कर्ष शुक्ला का कहना है कि इसके जरिए जीवों के घावों पर दवा भी लगाई जा सकती है। इसके अलावा सिरिंज को जू के अलावा अन्य विभागों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे गोशालाओं, पशुपालन विभाग, नगर निगम और वन्यजीव विभाग में जीवों की चिकित्सा के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस सिरिंज के लिए डॉ। शुक्ला को मुख्यमंत्री ने सम्मानित भी किया है।