लखनऊ (ब्यूरो)। भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय पावर फाइनेंस कारपोरेशन द्वारा पूरे देश के सभी बिजली निगमों की जो रेटिंग जारी की गई है, उसमें प्रदेश की बिजली कंपनियां पूरी तरीके से फिसड्डी साबित हुई हैैं। प्रदेश की एक बिजली कंपनी पश्चिमांचल सी ग्रेड तक पहुंच पाई है और चार अन्य बिजली कंपनियां केस्को, दक्षिणांचल, पूर्वांचल व मध्यांचल सी माइनस ग्रेड में स्थान बना पाई हैं, जो चिंता का विषय है। वहीं, उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र की कंपनी नोएडा पावर कंपनी को ए प्लस ग्रेड मिला है।

हर साल जारी होती है रेटिंग

पावर फाइनेंस कारपोरेशन प्रत्येक वर्ष बिजली कंपनियों की रेटिंग जारी करता है। जिसमें वित्तीय पैरामीटर के लिए अधिकतम 75 माक्र्स रखे जाते हैैं। परफॉरमेंस के लिए 13 माक्र्स रखे जाते हैैं और एक्सटर्नल एनवायरमेंट के लिए 12 माक्र्स रखे जाते हैैं, कुल 100 नंबर की रेटिंग की जाती है। ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा देश की 51 सरकारी बिजली कंपनियों की 11वीं वार्षिक रेटिंग जारी की गयी है, उसमें 100 नंबर मानकर अलग-अलग ग्रेड दिया गया है। देश की जिस बिजली कंपनी को 85 से 100 नंबर मिले हैैं, वह ए प्लस है, जिसे 65 से 85 नंबर मिले हैैं, वह ए ग्रेड में है। जिस कंपनी को 50 से 65 नंबर मिले हैैं, वह बी श्रेणी, जिस कंपनी को 35 से 50 नंबर मिले हैैं, वह बी माइनस श्रेणी, वहीं 15 से 35 नंबर पाने वाली कंपनियां सी ग्रेड और और सबसे फिसड्डी 0 से 15 नंबर पाने वाली कंपनी सी माइनस ग्रेड में है। उप्र की बिजली कम्पनियों का हाल चिंताजनक है।

रेटिंग एक नजर में

बिजली कंपनियां ग्रेड नंबर

पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम सी 15 से 35

कानपुर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कम्पनी-केस्को सी माइनस 0 से 15

मध्यांचल विद्युत वितरण निगम सी माइनस 0 से 15

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम सी माइनस 0 से 15

दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम सी माइनस 0 से 15

जनता को भुगतना पड़ रहा

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश की बिजली कंपनियों की रेटिंग लगातार गिरती जा रही है, जिससे यह साबित होता है कि बिजली कंपनियों के पैरामीटर पूरी तरीके से खराब साबित हो रहे हैं और इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। ऐसे में समय रहते उत्तर प्रदेश सरकार को पूरे मामले पर हस्तक्षेप करते हुए सख्त से सख्त कदम उठाने चाहिए।