लखनऊ (ब्यूरो)। कहते हैं कि अपराधी कितना भी शातिर हो, अपने पीछे कोई न कोई सुराग जरूर छोड़ जाता है। यह बात घूसखोर पुलिस कर्मियों पर भी लागू होती हैै। ऐसा की एक मामला सामने आया, जब एक दारोगा की काली कमाई का राज उसके रिटायरमेंट के बाद खुला। उसके ऊपर विजिलेंस विभाग ने एक शिकायत पर जांच शुरू की थी। चार साल तक चली जांच के बाद सामने आया कि दारोगा ने पद पर रहते हुए उसने अपनी कमाई से 147 प्रतिशत ज्यादा खर्च किया। जिसका मतलब उसने काली कमाई का यूज किया। जांच में उसकी करोड़ों की संपत्ति का सच सामने आया हैै। विजिलेंस विभाग ने उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है।

चार साल पहले शुरू हुई थी गोपनीय जांच

चार साल पहले शासन के निर्देश पर शुरू हुई गोपनीय जांच में विजिलेंस ने पाया है कि मेरठ के रहने वाले रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह सैनी ने वैध कमाई से 147 प्रतिशत अधिक संपत्ति अवैध कमाई से अर्जित की। एजेंसी ने रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

कमार्ई से 147 प्रतिशत अधिक खर्च किए

विजिलेंस की मेरठ सेक्टर इंस्पेक्टर मंजू गुप्ता के मुताबिक, साल 2019 में शासन ने मेरठ के रहने वाले रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह सैनी के खिलाफ विजिलेंस ने खुली जांच करने का आदेश दिया था। विजिलेंस ने अपनी जांच में पाया कि महेंद्र सिंह सैनी ने यूपी पुलिस में नौकरी करते हुए वैध सोर्स से कुल 58,04,666 की कमाई की थी। पर जांच में सामने आया कि इस दौरान उन्होंने 1,43,84,668 रुपए खर्च किए थे, जो उनकी आय से 85,79,802 अधिक थे, यानि कमाई से 147 प्रतिशत अधिक खर्च किया गया।

विजिलेंस विभाग ने दर्ज किया केस

इंस्पेक्टर के मुताबिक, जांच के दौरान जब कमाई और खर्चे के विषय में महेंद्र सिंह से पूछताछ की गई तो वह कोई भी संतुष्टिपूर्ण जवाब दे नहीं सके। ऐसे में, उन्हें जांच में दोषी मानते हुए उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 13 (1) व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 13 (2) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।