लखनऊ (ब्यूरो)। नगर निगम की ओर से बेहतर वेस्ट कलेक्शन व्यवस्था के दावे तो किए जा रहे हैं लेकिन भवन स्वामियों को फिलहाल राहत नहीं मिलने वाली है। वजह यह है कि जब तक ईकोग्रीन का अनुबंध समाप्त नहीं होगा, तब तक वेस्ट कलेक्शन के लिए नई कंपनियों का चयन नहीं हो सकता है।

40 फीसदी घरों से उठ रहा कूड़ा

अभी सिर्फ 40 फीसदी घरों से ही वेस्ट उठ रहा है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कई इलाकों में तो सप्ताह में दो से तीन दिन वेस्ट उठ रहा है, वहीं कई ऐसे वार्ड हैैं, जहां सप्ताह में एक दिन भी वेस्ट नहीं उठ रहा है।

अभी नहीं हुआ टेंडर

नगर निगम की ओर से कवायद की जा रही थी कि इस माह तीन नई कंपनियों के चयन के लिए टेंडर निकाला जाएगा। जब तक शासन स्तर पर ईकोग्रीन का अनुबंध समाप्त नहीं होगा, तब तक नई कंपनियों का चयन संभव नहीं है। अभी निगम की ओर से अपने वेंडर्स और कर्मचारियों के माध्यम से घरों से वेस्ट कलेक्ट कराया जा रहा है। अगर निकाय चुनाव की अधिसूचना लग जाती है तो नई कंपनियों के चयन का मामला अटक सकता है। ऐसे में निगम प्रशासन को प्रयास करने होंगे कि निकाय चुनाव की अधिसूचना लगने से पहले नई कंपनियों का चयन कर लिया जाए।

अब नए इलाके भी जुड़े

जो परिसीमन आया है, उसके बाद कई वार्डों का एरिया बढ़ गया है। वहीं जीआईएस सर्वे के बाद भवनों की संख्या भी 50 हजार से अधिक बढ़ गई है। जिससे साफ है कि निगम प्रशासन को इन प्वाइंट्स को ध्यान में रखते हुए ही वेस्ट कलेक्शन व्यवस्था का खाका तैयार करना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो जो भवन नए एरिया में हैैं, वहां वेस्ट कलेक्शन व्यवस्था की सुविधा नहीं मिल सकेगी। जिससे नए एरिया में रहने वाले भवन स्वामियों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

88 गांवों पर भी फोकस

नगर निगम प्रशासन को निगम सीमा में शामिल 88 गांवों पर भी फोकस करना होगा। ये वो गांव हैैं, जहां अभी विकास कार्य नहीं हुए हैं। अब ये गांव निगम सीमा में शामिल हो गए हैैं। यहां की जनता भी पार्षद का चयन करेगी। इन गांवों से पार्षद पद पर किस्मत अजमाने वाले प्रत्याशियों ने अभी से ही वेस्ट कलेक्शन व्यवस्था बेहतर करने को लेकर आवाज उठाने का काम शुरू कर दिया है। निगम प्रशासन के सामने इन गांवों में भी वेस्ट कलेक्शन व्यवस्था को शुरू करना चुनौती भरा काम है। हालांकि निगम प्रशासन की ओर से इस दिशा में कार्य योजना तैयार की जा रही है।