- विद्युत नियामक आयोग ने सुनाया फैसला

- स्मार्ट मीटर के लिए आरसीडीसी फीस 600 से हुई 50 रुपये

- बिजली दर घटाने पर नियामक आयोग करेगा निर्णय

रुष्टयहृह्रङ्ख : कोरोना काल में प्रदेशवासियों की तमाम दिक्कतों को देखते हुए विद्युत नियामक आयोग ने बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है। आयोग ने न बिजली की मौजूदा दरों को बढ़ाया है और न ही उसने स्लैब में बदलाव किया है। दीपावली से पहले आयोग के आए इस फैसले से बिजली कंपनियों को भले ही झटका लगा हो, लेकिन उपभोक्ताओं का बिजली खर्च यथावत रहेगा।

शत प्रतिशत मीटरिंग का भी फरमान

आयोग ने अपने आदेश में स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं का भी ख्याल रखा है। बिजली चोरी पर कड़ाई से अंकुश लगाने के साथ ही आयोग ने बिजली कंपनियों को शत-प्रतिशत मीट¨रग करने का फरमान भी सुनाया है। कंपनियों को आयोग के फैसले का तीन दिन में विज्ञापन निकालना होगा। प्रकाशन के सात दिन बाद आयोग का फैसला स्वत: लागू हो जाएगा। बिजली कंपनियों ने चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 70,792.95 करोड़ रुपये वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) बताते हुए नियामक आयोग में याचिका दाखिल की थी।

टैरिफ ऑर्डर जारी

आयोग ने सितंबर से अब तक जन सुनवाई व राज्य सलाहकार समिति की बैठक में आए सुझाव व आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए बुधवार को टैरिफ ऑर्डर जारी कर दिया। आरपी सिंह की अध्यक्षता वाले आयोग ने कंपनियों के ट्रूअप से निकाली गई राशि व कई तरह के अन्य खर्चो के दावे को न मानते हुए 92,410 मिलियन यूनिट बिजली बेचने के लिए 65,175.21 करोड़ रुपये का ही एआरआर मंजूर किया है। अनावश्यक खर्चो में कटौती करने से उल्टे उपभोक्ताओं का ही कंपनियों पर लगभग 800 करोड़ रुपये निकल रहा है। ऐसे में आयोग ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए बिजली की दरों में बढ़ोतरी न करने का फैसला किया है। यानी मौजूदा बिजली दरें ही यथावत बनी रहेंगी।

स्लैब बदलाव का प्रस्ताव खारिज

गौर करने की बात यह भी है कि आयोग ने कंपनियों के विभिन्न श्रेणियों के उपभोक्ताओं की दरों के स्लैब में बदलाव करने संबंधी प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया है। वित्तीय संकट से जूझ रही कंपनियों ने अपनी कमाई बढ़ाने के लिए मौजूदा 80 स्लैब को 53 करने का प्रस्ताव किया था। आयोग ने यदि प्रस्ताव को मंजूरी दी होती तो कम खपत वाले उपभोक्ताओं का बिजली खर्च बढ़ जाता। आयोग ने पावर ट्रांसमिशन कंपनी के ट्रांसमिशन टैरिफ 34 पैसा प्रति यूनिट को भी न मानते हुए 23 पैसा प्रति यूनिट ही मंजूर किया है।

--

बिजली चोरी रोक घटानी होंगी लाइन हानि

आयोग ने बिजली चोरी पर कड़ाई से अंकुश लगाने के लिए कंपनियों के 17.90 फीसद वितरण हानियों के दावे को मानने से इंकार कर दिया है। कंपनियों को चोरी रोक कर हानियां 11.54 फीसद तक लानी होंगी। आयोग का कहना है कि कंपनियों की अक्षमता से बढ़ने वाली लागत को वह नहीं मानेंगे, क्योंकि इससे ईमानदारी से बिल देने वाले हतोत्साहित और बिजली चोरी व बिल न देने वालों को प्रोत्साहन मिलता है।

--

स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं को भी राहत

आयोग ने स्मार्ट मीटर पर आने वाले सभी खर्च को उपभोक्ताओं पर न थोपने का भी आदेश सुनाया है। अब स्मार्ट मीटर के मामले में पांच किलोवाट तक आरसीडीसी (कनेक्शन जोड़ना व काटना) फीस 600 रुपये के बजाय 50 रुपये ही रहेगी। पांच किलोवाट के ऊपर फीस 100 रुपये होगी। प्रीपेड मीटर के लिए कोई फीस नहीं होगी। मीटर के साथ ही कनेक्शन देने के अलावा पुराना मीटर खराब होने पर नया प्रीपेड या स्मार्ट मीटर ही लगाने की हिदायत दी गई है।

--

दरें घटाने को रिव्यू याचिका दाखिल करेगा परिषद

नियामक आयोग द्वारा बिजली दर घटाने के संबंध में फिलहाल निर्णय न करने पर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद दीपावली के बाद आयोग में रिव्यू याचिका दाखिल करेगा। परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है आयोग के नए आदेश का वह अध्ययन कर रहे हैं। बिजली उपभोक्ताओं के बिजली कंपनियों पर निकलने वाले 13,337 करोड़ रुपये के एवज में बिजली की मौजूदा दरों में कमी के लिए वह फिर से एक रिव्यू याचिका आयोग में दाखिल करेंगे। वर्मा ने बताया कि वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को राहत दिलाने के लिए वह आयोग से मिनिमम चार्ज खत्म करने की मांग भी करेंगे। वर्मा के मुताबिक आयोग ने दरें भले न घटाई हों, लेकिन उसके फैसले में है कि उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली का लाभ न मिलने तक कंपनियों को कै¨रग कास्ट के तौर पर 13-14 फीसद ब्याज देना होगा।

--

कंपनियों को देना होगा डीबीटी का रोडमैप

आयोग ने अहम फैसला सुनाते हुए उपभोक्ताओं को सब्सिडी देने की व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए कंपनियों से डीबीटी का रोडमैप अगले एआरआर के साथ प्रस्तुत करने के लिए कहा है। आयोग का मानना है कि सरकार किसानों, बुनकरों आदि को राहत देने के लिए जो सब्सिडी देती है, उसका हिसाब-किताब ठीक नहीं है। संबंधित उपभोक्ताओं को सीधे सब्सिडी देने की योजना के क्रियान्वयन से किसी तरह के दुरुपयोग की आशंका नहीं रहेगी। ऐसे में उपभोक्ताओं की शत-प्रतिशत मीट¨रग के साथ ही हर फीडर व वितरण ट्रांसफार्मर पर भी मीटर लगाने के लिए आयोग ने कहा है।