लखनऊ ब्यूरो: रोजा एक ऐसी इबादत है जिसके जरिए इंसान के अच्छे अखलाक की शिक्षा भी होती है। रोजे से खौफ खुदा, तकवा, सब्र, हमदर्दी, गमख्वारी, कुव्वतबर्दाशत और सहायता जैसे अच्छी विशेषतायें पैदा होती हैं। रोजेदार को दूसरे की भूख प्यास का एहसास होता है। वह चाहता है कि जो लोग भूखे, प्यासे और जरूरतमंद हैं, उनकी मदद करेें। वह तमाम लोग खुशनसीब हैं जो रमजान में जरूरतमंदों की सहायता करते हैं। खुदा पाक इस पवित्र माह में हर नेकी का सवाब कई-कई गुना बढ़ा कर देता है।

हालात सुधारने के ठोस उपाय करें

इमाम ईदगाह लखनऊ मौलाना खाालिद रशीद फरंगी महली चेयरमैन इस्लामिक सेंटर आफ इंडिया फरंगी महल ने सेंटर में जमा हुईं औरतों को तोहफा ए रमजान बांटा। इस तोहफा ए रमजान में चावल, आटा, दाल, बेसन, चीनी, चाय पत्ती, तेल जैसी जरूरी चीजें शामिल हैं। मौलाना फरंगी महली ने इस अवसर पर मिल्लत-ए-इस्लामिया के मालदार लोगों से अपील की कि वे खैर के कामों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें। विशेषकर इस पवित्र माह में मिल्लत के आर्थिक हालात सुधारने के ठोस उपाय करें। शैक्षिक व मिल्ली इदारों की भरपूर सहायता करें। बेरोजगारों को रोजगार के अवसर मुहैया कराएं। होनहार विद्यार्थियों की हिम्मत बढ़ाएं। गर्ज की मिल्लत की कामयाबी और खुशहाली के लिए अमल करें।

सुन्नी सवाल-जवाब

सवाल: क्या घर की नौकरानी को जकात की रकम दी जा सकती है?

जवा: जी हां! दी जा सकती है।

सवाल: औरतों का कुरान मजीद को जोर से पढऩा कैसा है?

जवाब: दुरुस्त नहीं है। औरतों का धीरे आवाज से कुरान पढऩा बेहतर है।

सवाल: क्या जकात जिसको दी जाए, उसको बताना जरूरी है?

जवाब: नहीं, उसको बताना जरूरी नहीं है।

सवाल: क्या ऐतिकाफ करने वाला इमामत कर सकता है?

जवाब: जी हां! इमामत कर सकता है।

सवाल: नमाज में अगर भूल से कोई वाजिब छूट जाए तो क्या करें?

जवाब: सजदा सहव कर लें, नमाज हो जायेगी।

शिया सवाल-जवाब

सवाल: अगर कोई रोजादार पथरी के दर्द के कारण दवा ना खाकर इंजेक्शन के जरिऐ एलाज करे तो क्या रोजा बातिल होगा?

जवाब: अगर दवा खाई जाएगी तो रोजा की कजा करना होगी। अलबत्ता इंजेक्शन के जरिऐ रोजा नहीं टूटता है।

सवाल: क्या कोई व्यक्ति रोजे की हालत में इन्हेलर इस्तेमाल कर सकता है?

जवाब: अगर रोजेदार इन्हेलर इस्तेमाल करना चाहे तो जरूरी है उसको इस बात का यकीन हो कि दवा मेदे में नही जाएगी तो इस्तेमाल कर सकता है।

सवाल: खुम्स का पैसा क्या स्कूल में दिया जा सकता है?

जवाब: खुम्स के पैसे के दो हिस्से होते हैं। एक हिस्सा सहमे सादात है, जो सिर्फ सैयद लोगों को दिया जाएगा। दूसरा हिस्सा सहमे इमाम है, जो दीनी कामों में जैसे मदरसे में, मस्जिद वगैरा में या फिर मुज्तहिद अगर किसी काम की इजाजत दे तो इस्तेमाल हो सकता है।

सवाल: अगर कोई व्यक्ति कर्जदार हो तो क्या उसका कर्जे का हिसाब जकात में कर सकते हैं?

जवाब: जकात की रकम में कर्जदार का कर्जा दिया जा सकता है।