लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ अपने जीवन और प्रोफेशन में आने वाली चुनौतियों से निपटना और दूसरी तरफ गरीब बच्चों को शिक्षित करने के अपने सपने को साकार करने का जज्बा। हम बात कर रहे हैैं ऐसे लोगों की, जिनका प्रोफेशन टीचिंग भले ही न हो लेकिन उन्होंने गरीब बच्चों को शिक्षित करने की जिम्मेदारी उठाई है और वो भी फ्री। भले ही वे रोज मलिन बस्तियों में जाकर क्लास न लगा रहे हों लेकिन सप्ताह में दो दिन उन्हें क्लास जरूर लगानी है चाहे कुछ भी हो जाए। टीचर्स डे के मौके पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ऐसी शख्सियतों को सामने लाने का प्रयास कर रहा है, जिनके जीवन का ध्येय गरीब बच्चों को शिक्षा के मार्ग पर मजबूत तरीके से आगे बढ़ाना है। पढ़ें ये स्पेशल रिपोर्ट

क्लासेस लगाते और एडमिशन भी कराते हैं

आलमबाग निवासी युवा गीतकार सोमनाथ कश्यप पिछले छह सालों से अपनी टीम के साथ मलिन बस्तियों में जाकर गरीब बच्चों को पढ़ा रहे हैैं। कोविड के दौरान उनकी मुहिम कुछ दिन के लिए रुकी लेकिन अब फिर से उन्होंने बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया है। सोमनाथ व उनकी टीम की ओर से सप्ताह में दो बार आलमबाग स्थित मलिन बस्तियों में क्लास लगाई जाती है। बच्चों को शिक्षित करने के साथ ही उनके सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर स्पोट्र्स एक्टिविटीज भी कराई जाती हैैं।

एडमिशन का टेंशन भी करते दूर

सोमनाथ का कहना है कि बच्चों को प्राथमिक शिक्षा के हर पहलू से अवगत कराने के बाद उनका एडमिशन सरकारी स्कूलों में करा दिया जाता है। उनकी माने तो उनके द्वारा 250 से अधिक बच्चों का एडमिशन कराया जा चुका है। अगर किसी बच्चे के पैरेंट्स बुक्स नहीं खरीद पाते हैैं तो इस दिशा में भी वह मदद करते हैैं।

बच्चों को पढ़ाने के लिए छोड़ी नौकरी

गोमतीनगर विस्तार गीतापुरी निवासी नेहा सिंह के जीवन का उद्देश्य गरीब बच्चों को शिक्षित करना है। अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने प्राइवेट नौकरी तक छोड़ दी। इसकी शुरुआत उन्होंने मलिन बस्तियों में रहने वाले गरीब बच्चों को शिक्षित करने से की। वह पिछले चार पांच सालों से नियमित रूप से विस्तार में स्थित मलिन बस्तियों में जाकर बच्चों को पढ़ा रही हैैं।

प्रतियोगिताओं का आयोजन

वह बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ उन्हें हर फील्ड में आगे बढ़ाने के लिए भी प्रयासरत हैैं। इसके लिए वह समय-समय पर बच्चों के बीच में पेंटिंग, ड्राइंग, क्विज इत्यादि प्रतियोगिताओं का आयोजन करती रहती हैैं। नेहा का कहना है कि उनकी ओर से बच्चों को शिक्षित करने के एवज में एक रुपया भी नहीं लिया जाता है।

घर को बनाया शिक्षा का मंदिर

श्याम विहार कॉलोनी, फैजुल्लागंज सेकंड में रहने वालीं ममता त्रिपाठी समाजसेवा में सक्रिय होने के साथ ही बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए भी प्रयासरत हैैं। उनकी ओर से बुधवार और शनिवार को क्लास लगाई जाती है, जिसमें तीन दर्जन से अधिक बच्चे शामिल होते हैैं और शिक्षा प्राप्त करते हैैं। उनकी ओर से भी बच्चों से कोई चार्ज नहीं लिया जाता है।

पैरेंट्स से भी संवाद

बच्चों की शिक्षा में कोई रुकावट न आए, इसके लिए उनकी ओर से हर सप्ताह बच्चों के पैरेंट्स के साथ संवाद कर उनकी काउंसिलिंग की जाती है। अगर किसी पैरेंट की ओर से बुक इत्यादि खरीदने में वित्तीय समस्या बताई जाती है तो ममता की ओर से उनकी वित्तीय मदद भी की जाती है। उनका कहना है कि अभी तो वह अपने एरिया में यह कदम उठा रही हैैं लेकिन उनका प्रयास है कि अन्य एरियाज में भी वह फ्री क्लासेस लगाएं।