लखनऊ (ब्यूरो)। कई ऐसे वार्ड हैैं, जिनके सीट आरक्षण में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। इनमें से ज्यादातर ऐसे वार्ड हैैं, जहां से दिग्गज चुनावी मैदान में उतरते हैैं और जीत दर्ज कराते हैैं। दो से तीन वार्डों की तस्वीर छोड़ दें तो ज्यादातर दिग्गज फिर से निकाय चुनावी में ताल ठोंकते नजर आएंगे। जो भी नए प्रत्याशी इनके सामने उतरने का मन बना चुके हैैं, उनके लिए इन्हें हराना इतना आसान नहीं होगा। इसके दो कारण हैैं, एक दो दिग्गजों का चुनावी अनुभव अधिक है, वहीं दूसरी तरफ कहीं न कहीं वार्ड की जनता का भी उनसे लगाव है।

पहली बार चुनावी मैदान में
कई वार्डों की सीट महिला आरक्षित कर दी गई है। इनमें से ज्यादातर वार्ड नए हैैं। ऐसे में साफ है कि नए चेहरे ही चुनावी मैदान में उतरेंगे। फिलहाल नए वार्डों में जो महिला प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही हैैं, उनकी ओर से युद्धस्तर पर वोटर्स को साथ लाने की कवायद शुरू कर दी गई है। जिससे पहली बार में ही वो निकाय चुनाव के मैदान में जीत दर्ज कर सकें।

एनओसी की भी झंझट नहीं
88 गांवों से चुनावी मैदान में उतरने वाले प्रत्याशियों के सामने अब एनओसी का भी झंझट नहीं है। निगम पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि सभी को एनओसी दे दी जाएगी। वहीं सीट आरक्षण की तस्वीर साफ होने के बाद प्रत्याशियों की ओर से एनओसी पर भी फोकस कर दिया गया है और एनओसी लेने से पहले उनकी ओर से देखा जा रहा है कि हाउस टैक्स इत्यादि तो उन पर बाकी नहीं है।

हर किसी की विशेष रणनीति
जिन वार्डों से महिलाएं और युवा चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैैं, उनकी ओर से अलग तरह से रणनीति बनाई जा रही है। एक तरफ जहां वे बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद हासिल करने के लिए रोजाना उनके घरों के चक्कर काट रहे हैैं, वहीं दूसरी तरफ उनकी ओर से जनता को भरोसा दिलाया जा रहा है कि अगर उनकी जीत होती है तो उनकी ओर से किस तरह से विकास कार्य कराए जाएंगे। उनका प्रयास है कि हर एज ग्रुप के लोग उनके साथ आएं, जिससे उनकी जीत सुनिश्चित हो सके।

मेयर सीट आरक्षण का इंतजार
अभी तक मेयर सीट का आरक्षण साफ नहीं हो सका है। इसकी वजह से वो लोग ज्यादा परेशान नजर आ रहे हैैं, जो इस बार निकाय चुनाव में मेयर पद की दावेदारी ठोंक रहे हैैं। हालांकि अभी उन्हें यह नहीं पता है कि उन्हें टिकट मिलेगा भी या नहीं, इसके बावजूद उनकी ओर से खुद को मेयर पद का प्रबल दावेदार बताया जा रहा है।