मेरठ (ब्यूरो)। रैपिड रेल के काम के चलते छह महीने के लिए दिल्ली रोड बंद करने के विरोध में रविवार को उप्र उद्योग प्रतिनिधि मंडल के पदाधिकारियों ने दिल्ली रोड के व्यापारियों के पक्ष में बैठक का आयोजन कर दिल्ली रोड पर धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान व्यापारियों ने प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जताते हुए दो घंटे अपनी दुकाने बंद कर विरोध जताया। व्यापारियों ने आरोप लगाया कि कोई अधिकारी 3 मीटर का रास्ता छोडऩे की बात करता है कोई अधिकारी रास्ता बंद करने की बात करता है और कोई अधिकारी कहता है कि कोई रास्ता बंद नहीं होगा। सब व्यापारियों को परेशानी करने वाली बातें कर रहे हैं।
कारोबार पहले से ही ठप
रैपिड रेल निर्माण कार्य के चलते फुटबॉल चौराहे से जागरण चौराहे तक के व्यापारियों का व्यापार पिछले डेढ़ साल से बंद पड़ा है लेकिन जीएसटी, बिजली के बिल, लेबर की तनख्वाह, दुकानों का किराया, हाउस टैक्स का बिल, बच्चों के स्कूल के खर्चे, घर के खर्चे व्यापारियों को करने पड़ रहे हैं। कोरोना काल के बाद से व्यापारियों की स्थिति पहले से ही खराब है। रेलवे प्रशासन केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार द्वारा व्यापारियों को कोई राहत नहीं दी जा रही है। कई बार अधिकारियों से बात करने के बाद भी कोई निर्णय स्पष्ट सामने नहीं आ रहा है। व्यापारियों को अंधेरे में रखकर रैपिड रेल का कार्य कराया जा रहा है।
व्यापारियों की अनेदखी
अधिकारियों द्वारा बुलाई जा रही बैठकों में दिल्ली रोड के व्यापारियों को नहीं बुलाया जा रहा है। ट्रांसपोर्ट नगर व शारदा रोड के व्यापारियों से मीटिंग की जा रही है। जिनके आने-जाने के रास्ते अन्य चारों तरफ से खुले हैं। दिल्ली रोड का व्यापारी यह नहीं समझ पा रहा कि उसके साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है।
दो घंटे बाजार बंद
दिल्ली रोड के व्यापारियों ने रविवार सुबह 10 से 12 बजे तक बाजार बंद रखकर धरने पर बैठे गए। धरने पर बैठे व्यापारियों का कहना था कि अगर उनकी मांगों पर सुनवाई कर हल नहीं निकाला गया तो वह आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
यह रही प्रमुख मांगें
दिल्ली रोड का रास्ता बंद ना किया जाए।
व्यापार प्रभावित होने के कारण बैंकों के ब्याज, बिजली के बिल, लेबर की तनख्वाह व घर के खर्चे के लिए मुआवजा दिया जाए।
जो दुकानें अधिग्रहण में आ रही हैं, उनकी जमीन बिल्ंिडग फर्नीचर आदि की गणना कर सर्किल रेट का पांच गुना मुआवजा दिया जाए।
अधिग्रहित की जा रही दुकानों मैं किराएदार होने की दशा में संपत्ति का मुआवजा मकान मालिक को दिया जाए और कारोबार की वैल्यूएशन कर उसका मुआवजा किराएदार को दिया जाए।
दुकानों का अधिग्रहण होने की दशा में कब्जा लेने या तोडऩे से पहले मुआवजा दिया जाए।