- अष्टमी व नवमी दोनों तिथियों में रहता है अग्नि का वास।

- नवरात्र पर पूजन के बारे में बता रहे हैं ज्योतिष व पंडित।

Meerut- नवरात्र के इन नौ दिनों मां के पूजन से हर कामना पूरी होती है। पंडितों के अनुसार नवरात्र की अष्टमी व नवमी दोनों तिथियों में अग्नि का वास पृथ्वी पर होता है। इसलिए ये दोनों ही दिन शुभ माने जाते हैं। पंडितों के अनुसार इन दोनों दिन पूरी विधि विधान के साथ ही मां का पूजन करना चाहिए।

नवरात्रों में कन्या पूजन के नियम अन्नपूर्णा के पंडित अरुण शास्त्री के अनुसार अष्टमी नवरात्र पर नौ वर्ष की आठ कन्याओं का पूजन साकार दुर्गा स्वरूप का ही पूजन होता है। महागौरी स्वरूप में किया गया पूजन सभी प्रकार की संपदाओं की प्राप्ति के योग बनते हैं। पंडित श्रीधर त्रिपाठी के अनुसार नवमी नवरात्र पर दस वर्ष की नौ कन्याओं का पूजन सिद्धिदात्री स्वरूप में किया जाना पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति के योग बनाता है। वर्तमान स्थिति में यदि एक भी कन्या दो वर्ष से दस वर्ष के मध्य तक की कन्या पूजन के लिए उपलब्ध होती हैं तो अपना सौभाग्य मानना चाहिए कि महादेवी शक्ति सौम्य रूप में आपको वरदान देने आपके घर प्रकट हुईं।

ऐसे करें कन्या पूजन - पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार

- कन्या पूजन में सबसे पहले कन्याओं के चरण धोकर उनके मस्तक पर रोली, चावल का टीका लगा कर हाथ में कलावा बांधें तथा फूलों से स्वागत करें।

- कन्या को जहां स्थान दें उनका मुख उत्तर दिशा की ओर बिल्कुल न हो। उन्हें शुद्ध आसन देकर इस भावना से बैठाएं कि जैसे मां दुर्गा का साकार रूप आपके समक्ष हैं और भावनाओं में गदगद हो रहे हैं।

- कन्याओं को चुनरी ओढ़ाकर प्रचलित रीति अनुसार हलवा, पूड़ी, चना एवं दक्षिणा दे कर श्रद्धा पूर्वक भोग लगाते हुए पूजन करना चाहिए।

- विशेष ध्यान देने योग्य बात है हलवा, मालपुआ व खीर ये देव भोग के लिए ही होते हैं हम मनुष्यों को तो केवल प्रसाद ही लेना चाहिए। सीधे ही बिना भोग लगाये ये देव पदार्थ स्वंय ग्रहण करने से ऐसा व्यक्ति दिव्य शक्तियों का दोषी हो जाता है।

- देवताओं के लिए हलवा, मालपुआ का भोग विशेष होता है तथा देवियों के लिए खीर का भोग विशेष होता है। इसलिए कन्या पूजन में खीर का भोग कन्या को अवश्य लगायें तथा उस पात्र की जूठन प्रसाद रूप में स्वंय ग्रहण करना मां दुर्गा की प्रसन्नता व कृपा दोनों प्रदान कराता है।

- भाव भरे हृदय से विदा के समय ये प्रार्थना करें कि भविष्य में जब भी हम आवाहन करें तो मां आप कृपा करके अवश्य ही पधारियेगा।

राम जन्म नवमी है अबूझ मुहूर्त - पंडित राम नारायण बाबू के अनुसार 15 अप्रैल को दिन शुक्रवार दुर्गा नवमी के साथ-साथ रामनवमी तिथि भी है। जो भगवान राम के जन्म का शुभतम योग बनाता है। सूर्यवंशी राम जो वीरता, मर्यादा और न्यायप्रियता के प्रतीक हैं और इस दिन रवि योग शुभकारी रूप में व्याप्त है इसलिए सभी शुभकायरें के लिए ये अबूझ मुहूर्त हो जाता है इसदिन वाहन खरीदना, नवीन गृहप्रवेश, आदि कोई भी शुभ कार्य का परिणाम मंगलकारी ही होता है।