मेरठ (ब्यूरो)। सर्दी बढऩे के साथ हार्ट पेशेेंट की संख्या बढ़ रही है। एलएलआरएम मेडिकल कालेज में खून को गाढ़ा करने से रोकने वाली या स्ट्रोक की आशंका को कम करने वाली एक ऐसी दवा को बांटा जा रहा है, जिसका सैंपल बीते माह गाजियाबाद के सरकारी अस्पताल में फेल पाया गया था। इस दवा का नाम है क्लोपिडोग्रेल बाइसल्फेट 75. आनन-फानन में इस दवा के वितरण को गाजियाबाद के सरकारी अस्पताल में रोक दिया गया था। अब इस अधोमानक (ब्लो स्टैंडर्ड ) दवा का वितरण मेरठ के मेडिकल कालेज में बिना किसी रोक टोक के हो रहा है। इससे हार्ट के मरीजों की जान से खिलवाड़ हो रहा है। दवा के नाम पर आपकी सेहत के साथ हो खिलवाड़ का खुलासा दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की इन्वेस्टीगेटिव टीम ने किया। खास बात यह है कि मानक विहीन दवा के वितरण की जानकारी ड्रग विभाग से लेकर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन तक को नहीं है।

बांट रहे ब्लो स्टैंडर्ड मेडिसन
गौरतलब है कि प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाइज कारपोरेशन से दवाओं की सप्लाई होती है। इसलिए अधिकतर सरकारी अस्पतालों में दवाएं लगभग एक ही होती हैं। गत माह गाजियाबाद के एमएमजी अस्पताल में खून को पतला करने वाली दवा क्लोपिडोग्रेल बाइसल्फेट 75 एमजी दवा का सैंपल जांच में फेल पाया गया था। इस दवा की रिपोर्ट आने के बाद दवाओं के वितरण पर रोक लगा दी गई है, लेकिन यही सेम दवा क्लोपिडोग्रेल बाइसल्फेट 75 एमजी दवा का वितरण एलएलआरएम मेडिकल कालेज में जारी है।

जांच में फेल हो चुकी दवा
इस टैबलेट का बैच नंबर सीपीडीटी 21002 मैन्युफैक्चरिंग अगस्त 2021 की थी। दवा की एक्सपायरी जुलाई 2023 में है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने मेडिकल कालेज के दवा काउंटर से इस दवा को लिया और इसका बैच नंबर मैच किया तो सीपीडीटी 21002 बैच नंबर की दवा ही काउंटर से रोजाना सैकडों मरीजों को दी जा रही है।

400 से अधिक टैबलेट बांटे रहे रोजाना
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन भारत सरकार ने क्लोपिडोग्रेल बाईसल्फेट 75 एमजी दवा का सैंपल एमएमजी अस्पताल से लिया था। जांच के बाद इस सैंपल को मानक अनुरूप नहीं पाया गया है। ड्रग विभाग के अनुसार सिर्फ सीपीडीटी 21002 बैच नंबर की दवा अधोमानक थी, उसके बाद दूसरे बैच नंबर की दवा मरीजों को दी जा रही है। लेकिन मेरठ में इसी बैच की दवा का मरीजों को दिया जाना एक गंभीर लापरवाही और मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। वहीं सूत्रों की मानें तो क्लोपिडोग्रेल बाईसल्फेट 75 एमजी हर तीन माह में करीब दो से तीन हजार टेबलेट की सप्लाई उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाइज कारपोरेशन से की जाती है। इसमें से रोजाना करीब 400 से 500 टेबलेट का वितरण किया जा रहा है।

वापस नहीं ली गई दवाएं
वहीं गत माह ही गाजियाबाद के संयुक्त जिला अस्पताल में बीपी और उल्टी रोकने वाली दवा रेमिप्रिल 5 एमजी और आंडेस्टोन 4 एमजी के सैंपल भी केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रक संगठन की जांच में फेल पाए गए थे। इसके बाद इन दवाओं के वितरण पर रोक लगाई गई थी। बावजूद इसके रेमिप्रिल 5 एमजी दवा का वितरण भी मेरठ मेडिकल कालेज में जारी है। यह दवा बीपी के मरीजों दी जाती है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाइज कारपोरेशन से प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में दवा की सप्लाई की जाती है। यदि एक जगह सैंपल फेल होता है तो उसे सभी अस्पतालों में रोक दिया जाता है।


जो भी दवाएं उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाइज कारपोरेशन से भेजी जाती है उनकी वेयर हाउस में आने के बाद सैंपलिंग की जाती है। यदि कहीं दवा के सैंपल फेल हो जाते हैं तो उनको वापस मंगा लिया जाता है, लेकिन हमारे पास अभी ऐसी कोई जानकारी नही आई है। इसकी गंभीरता से तुरंत जांच कराई जाएगी।
- डॉ। आरसी गुप्ता, प्राचार्य मेडिकल कालेज

गाजियाबाद में कुछ दवाओं के सैंपल अधोमानक मिले हैं। जानकारी के अनुसार हम इन दवाओं के मेडिकल कालेज से सैंपल लेकर जांच कराएंगे।
- पीयूष शर्मा, ड्रग इंस्पेक्टर

यह दवा खून को थक्का जमने से रोकने की होती है। यदि दवा असर नही करेगी तो खून का थक्का बन जाएगा और मरीज को हार्ट अटैक या ब्रेन अटैक हो सकता है। यह बहुत ही गंभीर मामला है। इस दवा का सही होना बहुत जरुरी है।
- डॉ। विश्वजीत बैंबी, सीनियर फिजीशियन