मेरठ (ब्यूरो)। आज के दौर में हर पेरेंट्स की चाहत होती है उनका बच्चा अच्छी खासी अंग्रेजी सीखे। वह लिखे ही नहीं बल्कि उसकी स्पीकिंग भी अच्छी हो। इसलिए वे नामचीन पब्लिक स्कूलों में पढ़ाते हैं। इसका असर यह होता है कि बच्चों की इंग्लिश तो ठीक हो जाती है, लेकिन उनकी हिंदी कमजोर हो जाती है। खासतौर पर बच्चों के हिंदी लेखन में बहुत गलतियां होती हैं। इससे पेरेंट्स भी परेशान रहते थे। इस बात को ध्यान में रखकर सीबीएसई ने सभी स्कूलों को निर्देश जारी किए हैं। स्कूलों को छात्रों की हिंदी सुधारने के निर्देश दिए हैं।

पेरेंट्स ने की थी शिकायत
आमतौर पर देखा जाता है कि पब्लिक स्कूलों के बच्चों का हिंदी लेखन कमजोर रहता है। हिंदी राइटिंग में वे कई गलतियां करते हैं। इसकी शिकायत पेरेंट्स ने पत्र भेजकर सीबीएसई से की थी। पेरेंट्स के पत्र को ध्यान में रखकर सीबीएसई ने स्कूलों को निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत बच्चों की हिंदी में सुधार कराया जाए। सीबीएसई के मुताबिक देशभर से अभी तक 188 पेरेंट्स के लेटर आ चुके हैं, जिनमें पेरेंट्स ने हिंदी भाषा पर जोर देने के लिए कहा है। हिंदी को मजबूत बनाने के लिए बोर्ड ने निर्देश जारी किए हैं।

सीबीएसई बोर्ड के अनुसार टीचर्स लिखित कम्पटीशन, इमला, प्रतियोगिता आदि के माध्यम से बच्चों की हिंदी राइटिंग स्किल को सुधारें। इसके साथ ही गलत हिंदी लिखने वाले छात्रों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं। ताकि डे बाए डे उसमें सुधार कर सकें।

मेरठ से भी गए है लेटर
मेरठ से भी पेरेंट्स एसोसिएशन फॉर सीबीएसई स्कूल्स के प्रेसिडेंट कपिल राज शर्मा ने भी यह मुद्दा उठाया है। उन्होंने मेरठ से सीबीएसई को इस संबंध में कई बार लेटर लिखा है। मेल के जरिए भी बताया कि पब्लिक स्कूल में स्टूडेंट्स की हिंदी भाषा को सुधारने में मदद करें। बोर्ड को इस संबंध में लिखा है कि वो हिंदी पर जोर दें।

यह सही बात है, पब्लिक स्कूल के स्टूडेंट्स हिंदी सही से नहीं लिख पाते हैं। कुछ वल्र्ड वो समझते तक नहीं है जो सुधारना जरुरी है।
बबीता

पब्लिक स्कूलों में अक्सर बच्चा हिंदी गलत लिखता है, खासतौर पर मात्रा की गलती होती हैं। यहां तक हिंदी की गिनती तक उनको नहीं आती है।
सविता

अक्सर हम देखते हैं कि बच्चों की हिंदी गलत होती है। वो कई बार हिंदी को समझ तक नहीं पाते हैं। जो गलत है।
शिप्रा

हमारा प्रयास रहता है स्टूडेंट्स की हिंदी पर जोर दिया जाए, हम विभिन्न एक्टिविटीज भी कराते हैं। आगे पहले से अधिक ध्यान दिया जाएगा।
अनीता त्रिपाठी प्रिंसिपल, सिटी वोकेशनल पब्लिक स्कूल

स्कूल्स की ओर से प्रयास रहता है कि बच्चों के हिंदी लेखन में सुधार हो। हमने टीचर्स को भी कहा है कि वो अपने स्टूडेंट्स की लैंग्वेज पर जोर दें, जिसकी कमजोर है उनको सुधारे।
डॉ। कर्मेंद्र सिंह प्रिंसिपल, गुरु तेग बहादुर पब्लिक स्कूल

स्कूल्स का हमेशा प्रयास रहता है स्टूडेंट जो भी करें सही करें, कुछ स्टूडेंट्स पढऩे में कमजोर होते हैं। उनपर अलग से ध्यान दिया जाता है। और पेरेंट्स को भी कहा जाता है, वो ध्यान दे।
संजीव अग्रवाल, प्रिंसिपल,बीएनजी इंटरनेशनल