- जिला प्रशासन के अधिकारियों ने निजी तौर पर एक-एक दिन सैलरी मृतक किसानों की बेटियों के नाम की
- कमिश्नर के हाथों 15 बेटियों को एक-एक लाख रुपए की एफडी दी
- कुल 20 बेटियों के नाम पर कराई जानी है एफडी
Meerut : ऐसा कम ही देखने को मिलता है डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन निजी तरीके से मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता प्रदान करें। वेस्ट यूपी में मेरठ एडमिनिस्ट्रेशन ने एक उदाहरण पेश किया। बर्बाद हुई फसल बर्बाद के सदमे में हुई किसानों की मौत के बाद उनकी बेटियों को अविवाहित कन्या योजना के तहत एक-एक लाख रुपए की एफडी दी गई। ये एफडी का रुपया डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारियों और कर्मचारियों की सैलरी का एक दिन की इनकम से लिया गया है।
15 कन्याओं को वितरण
दोपहर 3 बजे एफडी वितरण कार्यक्रम कमिश्नर सभागार में किया गया। जहां पर 9 परिवारों की 15 बच्चियों को कमिश्नर अपने हाथों से एफडी वितरित की। डीएम पंकज यादव ने बताया कि ये एफडी कुल 20 बच्चियों को दी जानी है। अभी हमारे पास 15 लाख रुपए एकत्र हुए हैं। अभी कुछ डिपार्टमेंट की ओर से रुपया आना बाकी है। जिसके बाद उनकी भी एफडी दे दी जाएगी। उन्होंने कहा जब इन बच्चियों की उम्र 21 वर्ष की हो जाएगी उसके बाद वह उसे मेच्योर करा सकेंगी।
अपने पैरों पर खड़े होने की जरुरत
इस मौके पर कमिश्नर आलोक सिन्हा ने बताया कि आज के समय में बेटियां बेटों से कम नहीं हैं। बस उन्हें अच्छी शिक्षा देने की जरुरत है। ताकि वो भी अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। उन्होंने जब तक वो अपने पैरों खड़ी नहीं होगी तब तक वो न तो अपने परिवार को सपोर्ट कर सकेंगी न ही खुद अपनी।
कोई संतुष्ट तो कोई असंतुष्ट
एफडी का चेक लेने वालों मे कोई संतुष्ट दिखा तो कोई असंतुष्ट दिखा। फिटकरी गांव की रहने वाली यशोदा की 3 साल की बेटी के नाम एफडी हुई है। यशोदा ने बताया कि सरकार न ही सही अधिकारियों ने तो हमारे बारे में थोड़ा तो सोचा। इसमें हम संतुष्ट हैं। वहीं फतेहपुर हंसापुर गांव में रहने वाली सपना को एफडी का चेक मिला। उसके बाद सपना की मां किरन ने बताया कि मुआवजा की बात तो अभी किसी ने भी नहीं की। इससे क्या होता है? हमारे जख्म तो बहुत गहरे हैं। ऐसे नहीं भरने वाले हैं।
दो बेटी ऐसी भी
इन बेटियों में से दो बेटियां ऐसी भी थी जिनके जज्बे को सलाम करने को आप भी मजबूर हो जाएंगे। जी हां, दोनों ही सगी बहने हैं। जिनमें से एक फौज में जाना चाहती है और दूसरी बहन पुलिस में भर्ती होकर समाज की सेवा करना चाहती है। खांजापुर कुशावली की रहने वाली छह वर्षीय आकांक्षा फौज में जाना चाहती है। वहीं उसकी बड़ी बहन दिव्या पुलिस में भर्ती होना चाहती है।
इन बच्चों को दी गई एफडी
1. कुमारी दीपा, पुत्री कृष्णा
2. कुमारी निक्की, पुत्री कृष्णा
3. कुमारी कनुप्रिया, पुत्री यशोदा
4. कुमारी कनिका बंसल, पुत्री अनुराधा
5. कुमारी मंजू, पुत्री राजेश
6. कुमारी अंकुश, पुत्री राजेश
7. कुमारी सपना, पुत्री किरन
8. दीक्षा, पुत्री कविता
9. माही, पुत्री कविता
10. इशिका, पुत्री कविता
11. दिव्या, पुत्री सुनीता
12. आकांक्षा, पुत्री सुनीता
13. प्रीती सोम, पुत्री संजय
14. स्वीटी सोम, पुत्री संजय
15. प्रिया उर्फ पारुल, पुत्री बाला देवी
बेटियां आंखों का तारा हैं और वह किसी से कम नहीं हैं और वह सब कुछ कर सकती हैं। बेटियों को अच्छी शिक्षा देकर योग्य बनाएं ताकि वह अपना, अपने परिवार का व देश व प्रदेश का नाम रोशन करें।
- आलोक सिन्हा, कमिश्नर
मृतक कृषकों की 20 अविवाहित पुत्रियां हैं जिनमें से आज 15 को एक-एक लाख के चैक मण्डलायुक्त महोदय द्वारा सौंपे गए। शेष को भी चैक सौंपे जाएंगे। आज लड़कियां अपने परिवार का नाम रोशन कर रही हैं और वह किसी से कम नहीं हैं। अभी पुलिस की भर्ती में मेरठ जनपद की 3 बहनों का चयन हुआ है।
- पंकज यादव, डीएम
मैं बीए फाइनल की स्टूडेंट हूं। एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से जो भी किया गया वो प्रशसंनीय है, लेकिन कमिश्नर की बात और भी सही थी कि हमें अपने पैरों पर खड़ा होना होगा। उसका हम पूरी तरह से प्रयास करेंगे।
- प्रिया, नंगली साधारण
मैं बीकॉम सेकंड ईयर की स्टूडेंट हूं। पिता की कमी हमेशा खलेगी, लेकिन मैं उनके सपने को साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगी। उनका सपना था कि मैं प्रोफेसर बनूं।
- कनिका बंसल, परीक्षितगढ़
मेरी बेटी कनुप्रिया अभी सिर्फ तीन साल की है। लेकिन मैं अपनी बेटी को अच्छी से अच्छी शिक्षा देना चाहती हूं। मैं बेटी को पायलेट बनाना चाहती हूं।
- यशोदा, कनुप्रिया की मां
मैं अभी इलेवंथ स्टैंडर्ड की स्टूडेंट हूं। मुझे अभी काफी पढ़ाई करनी है। मैं बैंक में ऑफिसर बनना चाहती हूं। साथ ही अपने परिवार का सहारा बनना चाहती हूं।
- सपना, हंसापुर