-23 अगस्त से चल रही लेखपालों की हड़ताल, 164 नहीं कर रहे काम

-काम-काज ठप, दाखिल-खारिज, प्रमाणपत्रों की बढ़ी पेन्डेंसी

-आंगनबाड़ी और आशा कार्यकत्रियों की हड़ताल से योजनाओं को दीमक

-प्रशासन निरुत्तर, शासन स्तर पर होना है फैसला

Meerut : हड़तालियों से आवाम हलकान है। मेरठ में पिछली 23 अगस्त से लेखपालों की हड़ताल से करीब 1 लाख आय, मूल और जाति प्रमाणपत्रों का बैकलॉग सदर तहसील में इकट्ठा हो गया है तो वहीं 2 सितंबर से आंगनबाड़ी और आशा कार्यकत्रियों के कलक्ट्रेट पर में जमे होने से हौसला पोषण योजना का हौसला टूट रहा है। अधिकारियों के माथे पर बल पड़ें हैं तो वहीं लोकल स्तर पर समस्या का कोई समाधान नहीं जूझ पड़ रहा है।

38 हजार हुई पेन्डेंसी

लेखपालों की हड़ताल के बाद जनपद में आय प्रमाणपत्र, मूल निवास प्रमाणपत्र और जाति प्रमाणपत्र पर पूरी तरह से रोक है। सदर, मवाना और सरधना तीनों तहसीलों में करीब 38 हजार प्रमाणपत्रों की पेन्डेंसी जमा हो गई है। तहसीलों में ऑफलाइन प्रमाणपत्र पर रोक सी लगी है तो ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन तो हो रहे हैं किंतु प्रमाणपत्र जारी नहीं हो रहे हैं।

लेखपालों के पास है पासवर्ड

ई-गर्वर्नेस के तहत विभिन्न प्रमाणपत्रों के लिए पोर्टल पर ऑनलाइन एप्लीकेशन के साथ ही दस्तावेजों के परीक्षण के बाद ऑनलाइन डॉक्यूमेंट रिलीज हो रहे हैं। जनपद के करीब 166 लेखपालों की इस पोर्टल पर आईडी बनी हुई है, संबंधित क्षेत्र के प्रमाणपत्रों को लेखपाल ही ऑनलाइन सर्टिफाई करके रिलीज कर सकता है। पासवर्ड भी लेखपालों के पास हैं, ऐसे में प्रमाणपत्र का काम पूरी तरह से ठप है।

और भी काम ठप

प्रमाणपत्रों के अलावा लेखपालों के हवाले वारिसान संबंधी दस्तावेजों का परीक्षण, खसरों की नकल, जमानत तस्दीक कराना आदि काम है। हड़ताल के चलते यह सब ठप पड़े हुए हैं। लेखपालों की हड़ताल पर एस्मा लागू होने के बाद जिला प्रशासन नोटिस भेजने की कार्यवाही आरंभ कर रहा है। एडीएम प्रशासन दिनेश चंद्र की लेखपाल संघ के प्रदेश अध्यक्ष राममूर्ति यादव से फोन पर वार्ता का भी कोई हल नहीं निकला

दम तोड़ रही हौसला योजना

विधानसभा चुनाव सिर पर हैं, कहीं बना बनाया खेल न बिगाड़ दें हड़ताली। अभी हौसला पोषण योजना ढंग से शुरू भी न हो पाई थी कि उसपर ब्रेक लग गया। जनपद की 2076 आंगनबाड़ी और 2049 सहायिकाएं 2 सितंबर से कलक्ट्रेट पर जमीं हुई हैं। सेंटर पर गर्भवती महिलाओं का पोषण नहीं मिल रहा है तो बच्चों का दोपहर का भोजन नहीं पक रहा। आशा कार्यकत्रियों की हड़ताल से गांवों में जननी सुरक्षा योजना लड़खड़ा गई है।

मेरठ में

166-3 तहसीलों में लेखपाल तैनात

23 अगस्त से धरने पर हैं लेखपाल

38 हजार-प्रमाणपत्र कम्प्यूटर में फंसे

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ऑनलाइन पोर्टल का पासवर्ड लेखपालों के पास है, ऐसी स्थिति में किसी भी कीमत पर संबंधित क्षेत्र का प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जा सकता। अन्य कार्य भी प्रभावित हैं।

-रामवीर सिंह, रजिस्ट्रार कानूनगो, तहसील सदर

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स्कॉलरशिप का फार्म भरने की अंतिम तिथि 30 सितंबर है, हड़ताल से प्रमाणपत्र नहीं बन पा रहा है, कहीं स्कॉलरशिप से न हाथ धोना पड़ जाए।

-सनी बंसल

करीब 1 हजार फार्म पिछले दिनों से ऑनलाइन भरकर जमा कर दिए किंतु एक भी प्रमाणपत्र बनकर वापस नहीं आया।

-दीपक, सुविधा केंद्र संचालक

वारिसान, जमानत तसदीक आदि में लेखपालों की रिपोर्ट नहीं आ पा रही है, कई केसेस उलझे पड़े हैं।

-आशीष चौरसिया, एडवोकेट

जाति प्रमाणपत्र बनवाने के लिए आवेदन किया है, मिलिट्री की भर्ती देखनी है। हड़ताल के चलते डॉक्यूमेंट बन ही नहीं रह है।

-निक्कू, छात्र

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लेखपालों की हड़ताल पर एस्मा तामील है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष से बात की थी किंतु कोई बात नहीं बनी। सरकार की मंशा से भी अवगत करा दिया गया है, मांगों का सरकार के स्तर पर ही समाधान हो सकता है। एक-दो दिन में स्थिति सामान्य होने की संभावना है। आंगनबाड़ी और आशा कार्यकत्रियों का भी समझाने का प्रयास किया जा रहा है।

दिनेश चंद्र, एडीएम प्रशासन